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चाणक्य नीति से जीवन के हर क्षेत्र में सफलता पाए


सभी व्यक्ति के पास अपना तेज होता है। तेज क्या है। आपने जलती हुई मोमबत्ती देखी होगी उस मोमबत्ती का जो जलता हुआ भाग, जो खुद जल कर पूरे कमरे मे प्रकाश देता है यही तेज है। सबका तेज उनके ज्ञान और त्याग के अनुसार घटता या बढ़ता रहता है। इसलिए हमे भी अपनी तेज को बढाना चाहिए। लेखक के अनुसार अपनी तेज बढ़ाने के लिए निम्नलिखित काम करने चाहिए - 
1. प्राथना 
2. मेडिटेशन 
3. दूसरो का भला

आब्जर्व करे-  आप दैनिक जीवन मे जासूस की तरह बने। अपने आसपास की चीजों को पूरी तरह ओब्जर्व करे। अगर आप म्यूजिक सुन रहे हैं तो म्यूजिशियंस की तरह ओब्जर्व करिए, अगर आपके आसपास कोई अच्छी खुशबू है तो एक इत्र बनाने वाले के तरह आब्जर्व करिये इसी तरह अगर आप किसी अच्छी बिल्डिंग के आसपास में जा रहे हैं तो इंजीनियर की तरह आब्जर्व करिये। आप देखेंगे कि आपकी सोचने और समझने की शक्ति कितनी बढ़ गई है। 

संगत - आप उन लोगों के एवरेज है जिन के साथ आप अपना ज्यादातर समय बिताते हैं। अतः हमेशा अपने से बेहतर लोगो के साथ समय बिताइये। 
1. अपने गुस्से पर काबू रखें। 
2. दूसरों की उनकी पीठ पीछे सराहना करें। 
3. दूसरों के सामने अपनी बड़ाई ना करें। 
4. अपनी पारिवारिक समस्याओं को दूसरों के सामने प्रकट ना करें। 
5. ऐसे बने जिससे कि लोग आप पर भरोसा कर सके। 
6. दूसरों के साथ वैसा ही व्यवहार करें जैसा कि आप अपने साथ चाहते हैं। 
7. दोस्तों का चयन बड़े ध्यान से करें। हमेशा स्टेट्स मे अपने से बराबर या अपने से बड़े लोगों के साथ दोस्ती करें
8. हमेशा सीखने को तैयार हैं अपनी नॉलेज को अपडेट करते रहें। 
9 अपना स्टैंडर्ड बनाकर रखें हर किसी से घुले मिले नहीं। 
10. समाज की भलाई के लिए छोटे-मोटे काम करते रहे। 
11. हमेशा रिलैक्स रहे। 
12. एक अच्छे ओब्जर्वेर बने और माहौल के हिसाब से काम करें। 
13. खुद भी प्रसन्न रहें और औरों को भी प्रसन्न करते रहे। 

लीडरशिप - लीडरशिप हमे समाज मे सम्मान दिलवाती है। लीडर शिप का मतलब आपको चुनाव नही लड़ना है। बस आप ऐसे काम करिये जिससे कि समाज आपको देख कर मोटिवेट हो। निम्नलिखित तरीको से आप समाज मे सम्मान पा सकते है -
1. हमेशा कॉन्फिडेंट दिखाई दे। 
2. हर बात पर दूसरों की अप्रूवल ना लें। 
3. पहले सोचे फिर बोले। 
4. स्टेट फॉरवार्ड बने। 
5. जब कोई काम करें तो यह ना सोचें कि लोग क्या कहेंगे। 
6. हमेशा ओपन बॉडी लैंग्वेज रखें। 
7. हमेशा अच्छे से कपड़े पहने। 

किस्से कहानी सुनाने वाला बने - लोगों को किस्से कहानी सुनना बहुत पसंद होता है जो भी व्यक्ति किस्से कहानी सुनाना है लोग उसके आसपास घेर कर उसकी बातें सुनते हैं आगे आप देखेंगे कि कैसे आप एक अच्छे कहानी सुनाने वाले बन सकते हैं -
1. कहानी को छोटा ना करें कहानी को पूरी डिटेल से समझाएं। 
2. कहानी सुनाते समय आप की आवाज में परिवर्तन होता रहे। 
3. कहानी सुनाते समय आपकी बॉडी लैंग्वेज भी मूव करनी चाहिए। 
4. कहानी में कोई सीख भी होना चाहिए जो कि उस माहौल पर आधारित हो। 

अपनी चिंता को समय दे - हर व्यक्ति को कोई ना कोई चिंता रहती है इसके लिए वह हर समय परेशान रहता है इससे बेहतर है कि हम  चिंताओं के लिए दिन मे आधे घंटे का कोई समय निर्धारित करें और जितनी भी समस्याएं या चिंताएं हैं उस समय मनन कर ले इससे हमारा दिन खराब नहीं होगा और दिन भर हम चिंता मुक्त रहेंगे। 




वर्तमान में हमारा दैनिक जीवन बहुत तनाव से गुजरता है। हम अपनी दैनिक आदतों मे परिवर्तन कर अपने जीवन को सफल बना सकते है। आदतो मे सुधार के लिए हमे अपने दैनिक जीवन के हर कार्य को इंवेस्टर माइंडसेट् की तरह सोचना होगा, जैसे खाने मे हम ऐसा खाएं जो आपके शरीर को फायदा दे। इसी तरह जीवन मे उन्नति के लिए किताब पढ़ना, ज्यादा शरीरिक कार्य ये सब कार्य इंवेस्टर माइंडसेट् है। 

परिवर्तन की तैयारी - बड़ी से बड़ी ज्ञान की बातें व्यर्थ हो जाती हैं जब तक उस पर अमल ना किया जाए क्योंकि अमल तो आप को ही करना है। अपनी आदतो को परिवर्तित कीजिये। कोई आईडिया तब तक काम नही करता जब तक आप उस आईडिया पर काम नहीं करते। 

आदत स्थापित करने के चरण - हर आदत बनने मे 66 दिन लगते है।  इसके तीन चरण है, हर चरण मे 22 दिन लगते है। ये चरण निम्नलिखित हैं -

1. बिगाड़ना - पहले 22 दिन आपको पुरानी आदत को बिगाड़ने मे लगते है। ये चरण सबसे कठिन होता है कई बार इच्छा होती है कि पुरानी आदत को न बदले। 

2. बनाना - अगले 22 दिन आपको नई आदत बनाने मे लगते है। इस समय कई बार नई आदत को छोड़ने का मन होता है। 

3. बनाये रखना - अंतिम 22 दिन आपको नई आदत को बनाये रखने मे लगते है। ये समय अपेक्षाकृत आसान होता है। 

66 दिन बाद आदत को करने के लिए सोचना भी नही पड़ता। वह आदत अपने आप होने लगती है।

सुधार - हर दिन जरूरी है। हर दिन किया गया सुधार आपके जीवन को सफल बनाता है। दिन मे अगर 1% सुधार करेंगे तो आप महीने मे 20% सुधर जाएंगे। 

सफलता के दस आदते - ये दस आदते आपको जीवन मे सफल बना सकती है। 

1. मानसिक फोकस, शरीरिक ऊर्जा, व्यक्तिगत इच्छा शक्ति, मूल प्रतिभा, दैनिक समय - आप हर निर्धारित अवधि मे एकांत मे रहे। ध्यान भंग करने वाले चीजो जैसे tv, सोशल मिडिया से दूर रहे। 

2. 90-90-1 नियम - अगले 90 दिनों मे  हर दिन के 90 मिनट का समय दे एक ऐसे काम को दे। जिस समय आपका ध्यान भंग करने वाली कोई भी चीज आपके पास न हो। 

3. 60-10 नियम - अपने लिए 60 मिनट का ऐसा समय निकाले जिसमे आप अपनी बेहतरी के लिए कोई ऐसा काम करे जिससे आप आंतरिक संतुष्टि मिले। पूरे एक घंटे का ध्यान लगाए इसके बाद 10 मिनट आपकी समान्य अवस्था मे लौटने के लिए है। 10 मिनट मे आप सैर कर सकते है, किताब पढ़ सकते है। 

4. छोटे लक्ष्य - अगले दिन पूरा करने वाले 5 छोटे लक्ष्यों को सूचीबद्ध  करे। 

5. व्यायाम - कार्य दिवस के अंत मे व्यायाम करे।

6.  मालिश करवाये - सप्ताह मे दो बार 90 मिनट मालिश करवाये। 

7. सफर को सफल बनाये - सफर के दौरान लगने वाले समय को उपयोगी बनाये। उस दौरान ऑडियो बुक सुने, YouTube मे ज्ञान वर्धक जनकारी देखे। 

8. ड्रीम टीम - जो लोग अपनी सर्विस से आपके जीवन को सुगम बनाते है उनकी ड्रीम टीम बनाइये। जैसे डॉक्टर, वक़ील, एलेक्ट्रिसियन, हेल्पर इत्यादि की एक टीम बनाये। 

9. उपयोगी रविवार - अपने रविवार या छुट्टी के दिन को उपयोगी बनाये। अगले सप्ताह की कार्य सूची बनाये,  पिछले सप्ताह के कार्य सूची का मूल्यांकन करे। 

10. 60 मिनट के विधार्थी - हर दिन 60 मिनट के विधार्थी बने। इन 60 मिनट मे कुछ न कुछ सीखे। अक्सर उमर गुजरने के बाद सीखने की इच्छा कम होने लगती है। अपनी सीखने की इच्छा को दबाइये नही सीखने की ललक पैदा कीजिये। 

आईये 5 AM क्लब मे आपका स्वागत है। 












जॉब के आचरण - जॉब को लेकर हम बहुत परेशान रहते है कई लोग अपने जॉब के काम के बोझ को लेकर अपने घर वालो को भी मानसिक रूप परेशान करते है। जॉब के तनाव से मुक्ति पाने के उपाय पर विचार करते है। 

आप अपनी जॉब को खेल मानिये। जब आप अपनी जॉब को खेल मानेंगे तब आपको जॉब करने मे मजा आने लगेगा। उसके बाद आप मन लगाकर काम करेंगे।

जॉब के दौरान आने वाली समस्या को लेकर अपने बॉस से बात कर उसे दूर कीजिये। ऑफिस की राजनीति से दूर रहिए और अपने काम से काम रखिये। किसी भी काम करने से पहले उस काम को बार-बार सोचे जिससे आपका दिमाग उस काम करने के लिए अभ्यस्त जायेगा।

अक्सर हम ज्यादा परिश्रम करते है लेकिन हमे उतना परिणाम् नही मिलता है इसका कारण है डिस्ट्रक्शन। फोकस बनाने में 30 मिनट का समय लगता है लेकिन डिस्ट्रक्शन आपको फोकस से दूर कर देता है अतः हमें कोशिश करनी चाहिए कि काम के समय डिस्ट्रक्शन करने वाली चीजों से दूर रहें। जैसे मोबाइल नोटिफिकेशन, टीवी , दोस्त आदि इन से दूर रहे। इसके लिए आप
- मोबाइल की सेटिंग में जाकर सभी नोटिफिकेशन को म्यूट कर दें। 
- यूट्यूब के फालतू चैनल को अनसब्सक्राइब कर दें। 
- टीवी पर सास बहू और फालतू के धारावाहिकों को ना देखें। 
- अपने फ्रेंड सर्कल को छोटा रखें और उन पर ज्यादा समय व्यस्त ना रहे। 
- अगर किसी पार्टी में जाना फॉर्मालिटी है तो वहां पर जाने से बचें। 
अगर यह सब आप ने कर लिया तो आपके पास काफी समय होगा। आपको प्रोडक्टिव रहना है ना की बिजी।

ब्लेम  गेम ना खेलें काम को अनुशासन में करें।  अपने सफल काम का क्रेडिट दूसरों को दें और फेल हो जाए तो खुद पर जिम्मेदारी लें। अपने काम को मास्टर पीस कि तरह करें। इस तरह हम अपनी योग्यता बढ़ा कर अपने समय की कीमत बढ़ा सकते है। 

टाइम मैनेजमेंट- वैसे टाइम कभी मैसेज नहीं होता केवल एक्टिविटी मैनेज की जाती है हम चार तरह की एक्टिविटी दिन भर में करते हैं।  
1. ना ही इम्पोर्टेंट ना ही अर्जेंट - हमारे समय  का लगभग 80% भाग इन कामों में लगता है जैसे टीवी देखना, मोबाइल देखना, गपशप करना इत्यादि। 
2. इम्पोर्टेंट नहीं लेकिन अर्जेंट - ऐसे काम हमारे समय का मुश्किल से 5% भाग ही खर्च करते हैं लेकिन ये अन्य कामों मे बहुत  डिस्ट्रेशंन करते है। जैसे अचानक फोन आ जाना है। 
3. इम्पोर्टेंट लेकिन अर्जेंट नहीं - जैसे मान लीजिए कि आपका यूपीएससी का एग्जाम दो महीने बाद है और आप उसकी तैयारी करनी है काम तो महत्वपूर्ण है लेकिन अर्जेंट नहीं है  आप ऐसे काम एक दिन बाद भी करे तो भी कोई दिक्कत नहीं होगी।  
4. इम्पोर्टेंट भी और अर्जेंट भी - जैसे मान लीजिए कि आपका यूपीएससी का एग्जाम 2 दिन बाद है तो उसकी तैयारी आपके लिए महत्वपूर्ण भी है और अर्जेंट भी। 

टाइम मैनेजमेंट करने के लिए हमें पहले केटेगरी जो कि ना तो इंपॉर्टेंट है ना ही अर्जेंट  उससे अपना फोकस हटाकर तीन नंबर के केटेगरी पर फोकस करना है जो कि महत्वपूर्ण तो है लेकिन अर्जेंट नहीं है। हम जितना उस पर फोकस करेंगे उतना ही जीवन मे सक्सेस होंगे। 

अपने 30 दिन का प्लान पहले बना लीजिये इसके लिए आप डायरी का उपयोग कर पूरे महीने का प्लान लिखें कि किस दिन को कौन सा काम करना है इससे आपके पूरे महीने का काम आपके सामने होगा तब आपको काम करने में बहुत आसानी होगी।  

इसके बाद अपने डेली काम का शेड्यूल प्लान करें और उसको व्यवस्थित करें। अगर आप अपने दिन के कामों का शेड्यूल बनाते हैं तो आप देखेंगे कि आप के 4 घंटे का काम 1 घंटे में ही निपट जाएगा यानी 25% समय में आप पूरा काम कर पाएंगे।  शेड्यूल बनाते समय 90 मिनट का टाइम ब्लॉक बनाइये और एक ब्लॉक मे एक तरह का काम कीजिये। सबसे जरूरी काम सबसे पहले ब्लॉक मे कीजिये। उसके बाद के ब्लॉक मे उससेे कम जरूरी काम। एक ब्लॉक के बाद कुछ समय का ब्रेक लीजिये।  

अपने काम को तय समय से आधे समय मे पूरा करने की कोशिश कीजिये। जब हम कम समय देते है तब आप अपना पूरा फोकस उस काम पर लगाते है और आप जिस चीज पर भी अपना फोकस करते हैं वह बढ़ जाती है। आप देखेंगे कि ऐसा करने से आपकी काम करने की गति बढ़ जायेगी और आपके पास काफी समय बच जायेगा। मल्टी टास्किंग ना करें और एक काम को पूरी एकाग्रता से करे

काम मैनेजमेंट -  हमारे पास बहुत सारे काम होते हैं लेकिन महत्वपूर्ण कार्य अन्य कार्य को वजह से छूट जाते हैं। अतः हमें अपने कामों को ठीक से मैनेज करने के लिए निम्नलिखित तरीके अपनाने चाहिए -
- अपने कामों की एक लिस्ट बनाइए
- अपने काम को टाइम मैनेजमेंट की की कैटेगरी के अनुसार  कैटिगराइज कीजिए।  
- इम्पोर्टेंट और अर्जेंट कामों की रैंकिंग करिए। 
- उसमें से जो काम दूसरों को देने लायक हैं उनको दूसरों को दे दीजिए।  
- बाकी काम खुद करिए कोशिश करिए कि एक समय में एक ही काम करें। 
- सबसे कठिन काम को सबसे पहले निपटाइए। 

1. लोगो को काम सौपें - अगर आपको लगता है कि आपका काम कोई दूसरा आप से कम कीमत में कर सकता है तो वह काम आप दूसरों से ही कराए आप सिर्फ वही काम कीजिए जो आपके सिवा कोई और नहीं कर सकता या जो बहुत महत्वपूर्ण है। हमेशा यह प्रश्न पूछिए यह काम मेरे बिना कैसे हो सकता है और जब आपको इस प्रश्न का कोई जवाब मिल जाए तब उस काम को दूसरे व्यक्ति सौंप दीजिये। 

2. ना कहना सीखें - आप फालतू के कामों को मना कर दे और सिर्फ महत्वपूर्ण कार्य करें। इससे आपका काफी समय बचेगा और आप महत्वपूर्ण कामों को अपना समय दे पाएंगे। 

सीखने की आदत - रोज करीब 1 घंटे किताबो को दीजिये, किताबो की स्टडी कीजिये। जिससे आप रोज कुछ नया सीख सके। पढ़ने के लिए आपको अपने स्कूल की किताबों या रोमांटिक नोवेल को नहीं पढ़ना है बल्कि अच्छे लेखकों द्वारा लिखी जीवनी और पर्सनल मास्टरी की किताबों को पढ़ना है इससे आप कुछ ना कुछ नया सीखेंगे। जब आप कुछ सीख रहे तो ऐसे सीखिये जैसे आप दुसरो को सिखाने के लिए सीख रहे है अर्थात उस बिषय मे मास्टरी प्राप्त कर ले

नमस्कार साथियों चाणक्य नीति में वह क्षमता है जो किसी भी आम इंसान को दुनिया के सबसे ताकतवर राज्य का राजा बना दे।  चाणक्य की सहायता से ही चंद्रगुप्त मौर्य मगध के राजा बने और फिर सम्पूर्ण भारत पर एक क्षत्र शासन किया।अपनी विडियोज में हम उन खास नीतियों चर्चा  करते रहते है जिन्हें फॉलो करके आप भी आज की दुनिया की किसी भी फील्ड में एक सक्सेसफुल इंसान बन सकते हैं।  सक्सेसफुल इंसान बनने के लिए सबसे पहले आपको खुद पर विजय प्राप्त करने होगी और विनिंग माइंड सेट बनाना होगा। इसी लिए आज हम चर्चा करेंगे कि आचार्य के अनुसार जीवन में सफलता प्राप्त करने के लिए कैसे विनिंग माइंड सेट बनाए। तो आइए आज की चर्चा प्रारंभ करते है। 


आपने अक्सर सुना होगा कि सफलता प्राप्त करने के लिए आपका माइंड सेट मजबूत होना चाहिए बात बिलकुल सही है आपका सफलता में आपका विनिंग माइंड सेट बहुत ही बड़ा योगदान देता है। आज की वीडियो में हम सीखेंगे कि कैसे आप अपने माइंड को विनिंग माइंड सेट बनाए। जिससे आपका सेल्फ कॉन्फिडेंस मजबूत हो सके।

साथियों हम सभी दुनिया में अपनी पहचान बनाना चाहते हैं दुनिया जीतना चाहते है चाहे वह अपने बिजनेस को इंटरनेशनल लेवल तक ले जाना हो या अपनी क्रिएटिविटी सारी दुनिया को दिखाना हो या  लाइफ में कुछ बड़ा अचीव करना हो। दुनिया जीतने का पहला कदम है अपने मन में खुद को एक विनर के रूप में देखना। अक्सर हम जीवन में कभी जीत नहीं पाते क्योंकि हम हारने के डर की वजह से कभी कोशिश ही नहीं करते। एक विनर बनने के लिए अपने मन में मौजूद इस डर से जितना सबसे जरूरी है।  जीवन में सफलता प्राप्त करने के लिए कैसे विनिंग माइंड सेट बनाए। इसके लिए चाणक्य ने तीन स्टेप बताए हैं 

फर्स्ट स्टेप है गोल सेटिंग 

अगर आप अपने किचन में गैस जलाकर बर्तन लेकर खड़े हो जाएंगे और आपको यह पता ही नहीं है कि आप बना क्या रहे हैं तो खाना कैसे बन पाएगा । लेकिन जब आपको यह पता होगा कि आप आज खीर बनाने जा रहे हैं तभी तो आप सारे इनग्रीडिएंट्स इकट्ठा करेंगे सही रेसिपी फॉलो करेंगे एक्सपर्ट की सलाह लेंगे और इस तरह से आप बेहतरीन खीर बना पाएंगे।  अर्थात जब हमें क्लियर होगा कि हमें अचीव क्या करना है हमारा गोल क्या है तभी तो हम उसके लिए सही तैयारी करेंगे और सही एफर्ट्स लगाएंगे। जैसा की आचार्य ने अपने श्लोक में कहा है।
 वाली बेल को on कर दीजिए । इससे आप चैनल के साथ हमेशा के लिए जुड़ जायेंगे। जल्द मिलेंगे ऐसी ही ज्ञान वर्धक  वीडियो की चर्चा में। आज की चर्चा में शामिल होने के लिए आप सभी का धन्यवाद, 



नमस्कार साथियों, आपका स्वागत है Life Lessons के माध्यम से अपने जीवन यात्रा को सफल और सुगम बनाने वाले अपने अभियान में।  साथियों आज हम चर्चा करेंगे कि चाणक्य नीति में आचार्य चाणक्य ने हमे संकट का सामना करने के लिए कौन कौन सी नीतियां बताई है। इन नीतियों को जान कर आप आसानी से संकट का सामना कर पाएंगे। तो आइए चर्चा प्रारंभ करते है


साथियों जिस व्यक्ति ने इस धरती पर जन्म लिया है उसे जीवन में संकट का सामना करना ही पड़ता है।  दुनिया में ऐसा कोई भी व्यक्ति नहीं है जिसके जीवन में संकट न आया हो। 

चाणक्य नीति के अध्याय 3 श्लोक 1 के अनुसार संसार में ऐसा कौन-सा कुल अथवा वंश है, जिसमे कोई-न-कोई दोष अथवा अवगुण न हो, प्रत्येक व्यक्ति को किसी न किसी रोग का सामना करना ही पड़ता है, ऐसा मनुष्य कौन-सा है, जो किसी व्यसन में न पड़ा हो और कौन ऐसा है जो सदा ही सुखी रहता हो, क्योंकि प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में संकट तो आते ही है। 

अर्थात आचार्य चाणक्य के अनुसार संसार के प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में संकट आते है। व्यक्ति के जीवन में निम्न संकट आते है 
शारीरिक दोष या अवगुण - चाणक्य के अनुसार संसार का शायद ही कोई व्यक्ति हो जिसमे शारीरिक दोष न हो, व्यक्ति को चाहिए कि वह अपनी शारीरिक दोष को सुधारे लेकिन अगर दोष सुधारे जाने योग्य न हो तो उस दोष पर ध्यान न देकर अपने लक्ष्य पर फोकस करना चाहिए। जब आप सफल हो जायेंगे तो लोग भी आपके दोष को भूल जायेंगे।

रोग - शारीरिक दोष की तरह प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में कभी न कभी रोग से ग्रसित होता है। इसीलिए हमे अपनी इम्यूनिटी को मजबूत करना चाहिए। ताकि रोग ही न हो फिर भी अगर रोग से ग्रसित हो जाए तो उसका उपचार कराए। ताकि रोग आपकी बाधा न बन सके।

व्यसन - आज के समाज में नशा या व्यसन बहुत बुरी तरह फैला हुआ है। शायद ही कोई व्यक्ति होगा जो नशा से मुक्त हो। इसीलिए जब आप नशे से ग्रसित हो तो उसकी मुक्ति का उपाय करे।

अर्थात प्रत्येक व्यक्ति को कभी न कभी संकट का सामना करना पड़ता है। अचानक आया  संकट हमारे दुख का।कारण बनता है। इसीलिए संकट के लिए तैयार रहे लेकिन संकट से डरे नहीं उसका सामना करे।


चाणक्य नीति के अध्याय 5 श्लोक 3 के अनुसार संकट प्रत्येक मनुष्य पर आते ही है परंतु बुद्धिमान व्यक्ति को संकट और आपत्तियों से तभी डरना  चाहिए जब तक वे सिर पर न आ जाएं। संकट और दुख आने पर तो व्यक्ति को पूरी शक्ति से उन्हे दूर करने का प्रयत्न करना चाहिए।

अर्थात आचार्य चाणक्य कहते है कि सिर्फ अफवाह सुनकर संकट से डरना नहीं चाहिए। पहले संकट का सामना करने के लिए तैयार हो जाए और जब संकट सिर पर मंडराने लगे तो उसका डट कर सामना करना चाहिए। ताकि वह संकट दूर हो सके। इसके लिए संकट से बचने के उपाय करना चाहिए। 

चाणक्य नीति के अध्याय 5 श्लोक 11 के अनुसार दान देने से दरिद्रता नष्ट होती है, अच्छे आचरण से कष्ट दूर होते है, मनुष्य की दुर्गति समाप्त होती है, बुद्धि से अज्ञानता या मूर्खता नष्ट होती है, ईश्वर की भक्ति से भय दूर होता है।
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अर्थात आचार्य चाणक्य के अनुसार हमे संकट के अनुसार उसका सामना करना चाहिए। जैसे 

दरिद्रता - अपने जीवन में दरिद्रता से बचने के लिए दान करना चाहिए। आप को विश्वास नहीं हो रहा होगा। लेकिन चाहे प्राचीन पुस्तक चाणक्य नीति हो या आधुनिक समय में लिखी गई फाइनेंस की लाखो पुस्तके हर पुस्तक में यह लिखा होगा कि फाइनेंशियल फ्रीडम के लिए हमे दान करना चाहिए। अब आप सोच रहे होंगे कि ये दान देने से फाइनेंशियल फ़्रीडम कैसे मिलेगा। साथियों दान करने से सामने वाली की खुशी देखकर हमे खुशी मिलती है और हमारे मस्तिष्क में यह संदेश जाता है कि हमारे पास पर्याप्त धन है। यही प्रचुरता का अहसास हमे फाइनेंशियल फ्रीडम दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है

कष्ट - व्यक्ति को अपने जीवन में विभिन्न प्रकार के  कष्ट आते है लेकिन व्यक्ति अपने अच्छे व्यवहार, वाणी की मधुरता, सुशीलता से अपने कष्टों को दूर कर सकता है। क्योंकि अन्य व्यक्ति भी अच्छे आचरण वाले व्यक्ति को ही आगे बढ़ाने में मदद करते है।

अज्ञानता और मूर्खता - व्यक्ति अपने ज्ञान और बुद्धि से अपनी और दुसरो की अज्ञानता और मूर्खता को को दूर कर सकता है। 

भय - भगवान सर्व शक्तिमान है वह व्यक्ति के सभी कष्टों को दूर कर सकता है। इसीलिए  जब भी कभी व्यक्ति को भय महसूस हो भगवान के शरण में चले जाना चाहिए। भगवान सभी कष्टों का निवारण करते है। 

साथियों संकट सभी के जीवन में आते है इसीलिए व्यक्ति को संकट के लिए तैयार रहना चाहिए। और जब संकट आए तो पूरी ताकत से संकट का सामना करना चाहिए। भगवान आपके सभी संकट और कष्टों को दूर करे।

धन्यवाद



नमस्कार साथियों, पिछली वीडियो में हमने चर्चा की थी कि चाणक्य नीति की सहायता से हम कैसे अपना प्लान बना सकते है और फिर हमने सीखा कि अगर प्लान के एक्सीक्यूशन में कोई समस्या आती है तो उस समस्या का निराकरण कैसे करते है। आज हम चर्चा करेंगे कि प्लान को एक्जिक्यूशन के लिए टीम और टीम लीडर का क्या योगदान होता है। तो आइए आज की वीडियो पर चर्चा प्रारंभ करते है 

साथियों आप अकेले चाहे जितना भी काम कर ले लेकिन आपको उतनी सफलता उस काम में नहीं मिलेगी जितना आप अपनी टीम के साथ काम कर के सफलता प्राप्त कर सकते हैं। अकेले आप कुछ दूर तक तो दौड़ सकते हो लेकिन ज्यादा दूर जाने के लिए आपको एक टीम की जरूरत होती है। टीम सिर्फ खेल में ही नहीं होती है बल्कि जीवन के हर काम में टीम बनाकर सफलता को प्राप्त किया जा सकता है। टीम बनाने का मतलब है अपने time को multiply करना। हर एक इन्सान के पास एक दिन में काम करने के limited घंटे होते है। यदि आपका अपना बिजनेस है और आपकी कंपनी में 10 लोग है अगर एक इन्सान एक दिन 8 घंटे काम करता है। तो आपके लिए एक दिन में 80 घंटे का काम हो जायेगा। जबकि अकेले काम करके आप अधिकतम 24 घंटे ही काम कर पाते। और इतना काम करके आप बीमार पड़ जाते। इसीलिए टीम के साथ काम करके अपने गोल को आसानी से पा सकते है जैसा कि आचार्य चाणक्य ने बताया है 

बहूनां चैव सत्त्वानां समवायो रिपुञ्जयः। वर्षाधाराधरो मेघस्तृणैरपि निवार्यते ।। 

अर्थात निश्चित रूप से बहुत से लोग मिलकर बड़े से बड़े शत्रु को जीत सकते हैं। मनुष्य का समुदाय अर्थात उनका सगंठन शत्रु को जीतने में उसी प्रकार सफल रहता है, जिस प्रकार इकट्ठे किए गए तिनके जल की धारा को रोक देते है अर्थात घास-फूस का छप्पर वर्षा के पानी से रक्षा करता है। 

अर्थात एक टीम अपने बड़े से बड़े गोल में आसानी से सफलता प्राप्त कर सकती है। जरूरी नहीं कि आपकी टीम में हाई क्वालिफाइड प्रोफेशनल हो या बहुत बड़ा ऑफिस हो और ऑफिस में काम करने वाले एम्प्लॉय आपकी टीम हो । घर के सदस्य भी आपकी टीम का हिस्सा हो सकते है या कहे कि होते ही है। एक टीम में टीम लीडर उस टीम का सबसे महत्व पूर्ण व्यक्ति होता है । अच्छा टीम लीडर अपनी टीम को मोटिवेट करके अपने गोल को पा सकता है। क्योंकि जैसा टीम लीडर होता है वैसी ही टीम होती है जैसा की आचार्य चाणक्य बताया है

राज्ञि धर्मिणि धर्मिष्ठाः पापे पापाः समे समाः । राजानमनुवर्तन्ते यथा राजा तथा प्रजाः ॥

यदि राजा पुण्यात्मा है तो प्रजा भी वैसी ही पुण्यात्मा होती है. यदि राजा पापी है तो प्रजा भी पापी होती है और यदि राजा सामान्य है तो प्रजा सामान्य होती है। प्रजा के सामने राजा का उद्हारण होता है. और प्रजा राजा का अनुसरण करती है.
जिस समय चाणक्य ने अपनी पुस्तक लिखी थी उस समय राजा या सेनापति ही अपनी टीम का लीडर होता था इस प्रकार जैसा राजा या टीम लीडर होता है वैसी ही उसकी टीम होती है अगर टीम लीडर पुण्यात्मा होता है तो टीम भी पुण्यात्मा होती है और यदि टीम लीडर पापी होता है तो टीम भी उसका अनुसरण करते हुए पापी हो जाती है। और जिससे टीम के साथ साथ अन्य लोगो को भी दुख का सामना करना पड़ता है। जैसा कि आचार्य चाणक्य ने लिखा है

कुराजराज्येन कुतः प्रजासुखं कुमित्रमित्रेण कुतोऽभिनिवृत्तिः।

कुवारवारैश्च कुतो गृहे रतिः कृशिष्यमध्यापयतः कुतो यशः।।

आचार्य चाणक्य दुष्ट टीम लीडर के प्रभाव को प्रतिपादित करते हुए कहते हैं कि दुष्ट राजा के राज्य में प्रजा सुखी कैसे रह सकती है। दृष्ट मित्र से आनन्द कैसे मिल सकता है। दुष्ट पत्नी से घर में सुख कैसे हो सकता है ? तथा दुष्ट-मूर्ख शिष्य को पढ़ाने से यश कैसे मिल सकता है।

अर्थात दुष्ट-निकम्मे राजा के राज्य में प्रजा सदा दुःखी रहती है। इसलिए सुखी रहने के लिए अच्छे राजा के राज्य में रहना चाहिए। यह श्लोक टीम लीडर और टीम लीडर के महत्व बताता है इसीलिए अच्छी टीम के लिए अच्छे टीम लीडर का होना बहुत आवश्यक है क्योंकि अगर टीम का लीडर न रहे तो वह टीम नष्ट हो जाती है जो कि एक अन्य श्लोक में बताया है।

आलस्योपहता विद्या परहस्तं गतं धनम्।
अल्पबीजहतं क्षेत्रं हतं सैन्यमनायकम्॥

आलस्य से विद्या नष्ट हो जाती है । दूसरे के हाथ में धन जाने से धन नष्ट हो जाता है । कम बीज से खेत तथा बिना सेनापति वाली सेना नष्ट हो जाती है ।

अर्थात जिस तरह बिना सेना पति के सेना नष्ट हो जाती है। वैसे ही बिना टीम लीडर के टीम भी नष्ट हो जाती है। इसीलिए एक अच्छी टीम को सही से चलाने के लिए एक अच्छा टीम लीडर होना चाहिए। जिससे टीम अपने गोल को आसानी से पा सके। 



 साथियों आज की वीडियो में हमने टीम और टीम लीडर के महत्व को जाना आगे आने वाली विडियोज में हम टीम के सदस्यों का चयन और टीम और टीम लीडर के कार्यों पर चर्चा करेंगे। इसीलिए अगर आप मेरी वीडियो में पहली बार देख रहे है तो सब्सक्राइब वाली बेल को ऑन कर दीजिए। आप कॉमेंट के माध्यम से आज की चर्चा में सामिल हो सकते है हमारी टीम हर कमेंट को रीड एंड रिप्लाई करती है। आज की चर्चा में सामिल होने के लिए आप सभी का धन्यवाद





टीम का चयन

अच्छी टीम ही टीम लीडर की शक्ति है

जैसा कि आचार्य चाणक्य ने चाणक्य नीति के अध्याय 3 के श्लोक 16 में कहा है 
बलं विद्या च विप्राणां राज्ञः सैन्यं बलं तथा। बलं वित्तं च वैश्यानां शूद्राणां च कनिष्ठता।। 

कि विद्या ही ब्राह्मणों का बल है। राजा का बल सेना है। वैश्यों का बल धन है तथा सेवा करना शूद्रों का बल है। - चाणक्य


टीम की आवश्यकता

इसीलिए आचार्य चाणक्य ने राजा अर्थात टीम लीडर को हमेशा अच्छे लोगो की टीम बनाने को कहा है।

3, 5 एतदर्थ कुलीनानां नृपाः कुर्वन्ति संग्रहम्। आदिमध्यावसानेषु न त्यजन्ति च ते नृपम् ॥

 भावार्थ :
चाणक्य नीति के अध्याय 3 श्लोक 5 क्वानुसार कुलीन लोग आरम्भ से अन्त तक साथ नहीं छोड़ते । वे वास्तव में संगति का धर्म निभाते हैं । इसलिए राजा लोग कुलीन का संग्रह करते हैं ताकि समय-समय पर सत्परामर्श मिल सके।



टीम का चयन

टीम बनाने के लिए टीम लीडर को बहुत ही कड़े मापदंडों का पालन करना चाहिए जैसा कि आचार्य चाणक्य ने चाणक्य नीति के अध्याय 5 के श्लोक 2 में बताया है 

यथा चतुर्भिः कनकं परीक्ष्यते निर्घषणच्छेदन तापताडनैः। तथा चतुर्भिः पुरुषः परीक्ष्यते त्यागेन शीलेन गुणेन कर्मणा॥

भावार्थ :

घिसने, काटने, तापने और पीटने, इन चार प्रकारों से जैसे सोने का परीक्षण होता है, इसी प्रकार त्याग, शील, गुण, एवं कर्मों से पुरुष की परीक्षा होती है । 



  इसीलिए अपनी टीम को बनाने के लिए बहुत कठिन मापदंडों का पालन करना चाहिए। जिससे सुयोग्य लोगो की टीम बन सके। 


3,2 आचारः कुलमाख्याति देशमाख्याति भाषणम्। सम्भ्रमः स्नेहमाख्याति वपुराख्याति भोजनम् ॥ 
 भावार्थ -: आचरण से व्यक्ति के कुल का परिचय मिलता है। बोली से देश का पता लगता है। आदर-सत्कार से प्रेम का तथा शरीर को देखकर व्यक्ति के भोजन का पता चलता है।#सुप्रभात


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Team leader ke kary
  
 इसीलिए टीम लीडर को हमेशा अच्छे लोगो की टीम बनानी चाहिए। 

 टीम का एक फायदा यह भी है कि हर इंसान अलग-अलग तरीके से किसी भी काम को करता है इसलिए उनके काम करने का तरीका भी अलग होगा। जैसे कि हमारा सहकर्मी जो कोई एक जल्दी काम खत्म कर लेगा और कोई होगा जो काम करने में ज्यादा समय लगाता हैं। किसी की प्रेजेंटेशन स्किल बहुत अच्छी होगी तो किसी की कम्युनिकेशन स्किल अच्छी होगी तो हर किसी की विशेषता को साथ में लेकर मिलाजुला कर हम कैसे काम कर सकते है कैसे टीम में एक साथ काम कर पाए वह बहुत जरूरी हैं।  



टीम स्किल में प्रत्येक सहकर्मी की योग्यता और विशेषता को साथ लेकर चलना होता है। टीम वर्क को सक्सेसफुल बनाने के लिए टीम वर्क के लिए एक दूसरे को समझ पाना बेहद जरूरी है। Team Management में आवश्यक है कि प्रत्येक व्यक्ति दूसरे व्यक्ति के बातों को उनके विचारों को ध्यान से सुने और एक दूसरे के साथ समझदारी से बातचीत करके अच्छे-अच्छे आइडिया निकालें।



एक टीम में काम करते हुए, आप विभिन्न प्रकार के कौशल और प्रतिभा वाले लोगों का सामना कर सकते हैं। अवसर से सर्वश्रेष्ठ बनाते हुए, आप एक साथ काम करते हुए कुछ नया सीख सकते हैं। टीमवर्क हमेशा संसाधन निर्माण की ओर जाता है क्योंकि लोग आगामी चुनौतियों को बेहतर तरीके से संभालना सीखते हैं। इसलिए, एक इकाई के रूप में काम करते हुए, आप सीखने और बढ़ने के कई अवसरों में आएंगे।







 इनमें से कोई एक भी ना हो तो वह राज्य नहीं रह जाता अब आज के समय के हिसाब से देखें तो जैसे मान लीजिए आपका गोल एक स्टार्टअप ओपन कर उसे इंटरनेशनल लेवल तक ले जाना है। अब आपको स्टार्टअप का अंपायर बनाने के लिए भी आपको इन्हीं सात चीजों की जरूरत पड़ेगी राजा यानी आप मंत्री यानी आपकी कंपनी के डायरेक्टर्स और डिसीजन मेकर्स प्रजा यानी आपके क्लाइंट्स शहर यानी आपके ऑफिस या इंफ्रास्ट्रक्चर कोश यानी रेवेन्यू सेना मतलब आपके एम्पलाइज और दुश्मन यानि आपके राइवल्स या कंपीटीटर्स।

  आपके पास ऐसे लोग जो आपकी जीत में कैटालिस्ट की तरह काम करें अब सिर्फ आपके विनिंग माइंडसेट से आपकी कंपनी आसमान नहीं छू पाएगी आपको अपने मंत्रियों अपनी सेना सभी को तैयार करना होगा ताकि वह कंपनी को जीत की ओर लेकर जाए और यह सिर्फ आपकी जीत नहीं उन सब की जीत भी है एक अच्छे लीडर की खासियत यही होती है कि वह पर्सनल गेम नहीं देखा बल्कि सभी को जीत की तरफ साथ में ले जाता है अब हम इसी कलेक्टिव विनिंग की बात करने जा रहे हैं।




 भरोसेमंद एम्पलाइज ढूंढने का तरीका हम पहले ही डिस्कस कर चुके हैं हम अपने राइवल्स को रखने के नियम भी जान चुके हैं अब इसके बाद के स्टेप पर आते हैं कैसे आप अपनी पूरी कंपनी में विनिंग माइंडसेट पैदा कर सकते हैं 

पहले स्टेप है नेटवर्किंग नेटवर्किंग सिर्फ एक बिजनेस स्टैटिक नहीं है यह रिश्ते बनाने की कला है सही नेटवर्किंग आपके लिए कंपटीशन कम कर सकती है आपके एम्पलाइज में एक सेंस ऑफ़ बिलॉन्गिंग पैदा कर सकती है और आपका डिसीजन मेकर्स का भरोसा भी जीत सकती है इसका सबसे बड़ा एग्जांपल है चाणक्य की कूटनीति जब उन्होंने चंद्रगुप्त मौर्य की शादी सिकंदर के सेनापति की बेटी हेलेना से करवाई थी इस व्यक्ति की मदद से चाणक्य ने ग्रीक साम्राज्य के साथ नेटवर्क बिल्ड किया और आने वाले किसी भी युद्ध के खतरे को जड़ से खत्म कर दिया हमारी नॉर्मल लाइफ में भी देखा जाए तो ज्यादा नेटवर्किंग का मतलब है ज्यादा रिच ज्यादा क्लाइंट्स और ज्यादा रेवेन्यू इसके साथ ही नेटवर्क बनाने से आप अपने एम्पलाइज से इमोशनल लेवल पर जुड़ सकते हैं और उन्हें हंड्रेड परसेंट देने के लिए मोटिवेट कर सकते हैं 


दूसरा स्टेप है टीम वर्क जब employees मानते है कि मेहनत करने से क्या फायदा सारा प्रॉफिट तो आपका ही हो रहा है जबकि उन्हें तो उनकी सैलरी बर मिनिमम काम करके भी मिल रही है तब आप क्या करेंगे ak बॉस यह सोचेगा कि खराब काम करने पर सैलरी काटी जाए जबकि एक लीडर यह सोचेगा कि अच्छे काम को इनसेंटेंस दिए जाएं इंर्पोटेंट स्टेप है जहां विनिंग माइंडसेट को अपने एम्पलाइज में कल्टीवेट कर सकते हैं उनमें जीत की भूख होनी चाहिए और इसके लिए आपको उन्हें जीत का क्रेडिट भी देना होगा और 
एकाकिना तपो द्वाभ्यां पठनं गायनं त्रिभिः । 
चतुर्भिगमन क्षेत्रं पञ्चभिर्बहुभि रणम् ।।

4, 12 इस श्लोक का अर्थ है कि व्यक्ति को तप हमेशा एकांत और अकेले करना चाहिए, पढ़ाई के समय दो साथी होने चाहिए. गाने में 3 लोगों का होना जरूरी है, कहीं जाते समय चार लोगों होने चाहिए. खेत में 5 लोगों होने जरूरी है और युद्ध के दौरान अनेक सैनिकों की आवश्यकता होती है.





तीसरा स्टेप है ट्रेनिंग कोई भी टीम बिना सीखे अपना बेस्ट आउटपुट नहीं दे सकती अपने नोटिस किया हो तो शुरू से ही हम लर्निंग पर फोकस कर रहे हैं ऐसा इसलिए है क्योंकि कई बार नॉलेज की कमी से हमारी मेहनत बर्बाद हो जाती है हार्ड वर्क का कोई फायदा नहीं अगर वह सही डायरेक्शन में नहीं किया जा रहा इसके लिए जॉइनिंग के समय ट्रेनिंग दे देना काफी नहीं है लर्निंग और नॉलेज शेयरिंग हमेशा चलता रहना चाहिए एम्पलाइज ने अपनी एक्सपीरियंस से क्या-क्या सीखा है उसे भी सबके साथ शेयर करने का मौका दिया जाना चाहिए बेसिकली सीखना कभी रुकना नहीं चाहिए




मन में नेगेटिव थॉट आने से इंसान काम करने से पहले ही हार मान लेता है और आगे नहीं बढ़ पाता इससे बचे और विश्वास करें कि आप भी सक्सेसफुल बन सकते हैं अब आप जीत के लिए पूरी तरह से तैयार है अपने अपने हर के दर को खत्म कर दिया है आपके आसपास भरोसेमंद लोग हैं आप अपनी नॉलेज को भी बढ़ते रहते हैं और अपने अपने विनर की एक टीम भी बना ली है लेकिन अब भी आपकी और जीत के बीच का फैसला काम नहीं हो रहा ऐसा क्यों चाणक्य कहते हैं अक्सर सारी कोशिश के बाद भी हम जीत नहीं पाए क्योंकि हम जीत को अपनी लाइफ में वेलकम नहीं कर पाते हम जाने अनजाने ही उसे ब्लॉक करते रहते हैं हमारा खराब बिहेवियर जैसे गुस्सा करना नेगेटिव बातें करना दूसरों से जलना इंपेशेंट होना यह कुछ ऐसी चीज हैं जिससे हम लाइफ में कोई भी पॉजिटिव चीज को अट्रैक्ट नहीं कर पाते इसीलिए जीत को अपने पास आने दे यह ज्ञान प्राचीन समय सेहमारे पूर्वजों के पास रहा है कि यह ब्रह्मांड हमसे नहीं है हम ब्रह्मांड से है कॉस्मिक एनर्जी की ताकत में हमारे पूर्वजों को सदियों पहले से विश्वास था हम जिसे आज मेनिफेस्टेशन कहते हैं वह ध्यान भारत के ऋषि मुनि सदियों से करते आ रहे हैं उस कॉस्मिक एनर्जी पर उसे पावर पर विश्वास कीजिए खुद ही सोचिए हर चीज नेचर में एक परफेक्ट ढंग से चल रही है प्लैनेट्स परफेक्टली अपनी स्पीड से अपनी एक्सेस पर घूमते हैं हर मौसम परफेक्टली आता है जाता है यूनिवर्स में घट रही इन घटनाओं को हमारे दखल की जरूरत ही नहीं होती यूनिवर्स हमारे लिए सही अपॉर्चुनिटी भेजेगा उसे एक्सेप्ट करने के लिए खुद को तैयार रखिए और खुली बाहों से उसे अपॉर्चुनिटी का स्वागत कीजिए अपनी जीत को मेनिफेस्टो कीजिए और फिर देखिए आपको जितने से कोई नहीं रोक सकता।

यह बातें आज के टाइम में भी हमें राह दिखाती है इन छोटी-छोटी लर्निंग को अपनी लाइफ में फॉलो करके आप अपना डिजायर गोल अचीव कर सकते हैं बस जरूरत है तो सच्चे प्रयास की अपने दिमाग के रास्ते में आने वाली प्रॉब्लम्स का डर निकाल दीजिए और सिर्फ मंजिल पर फोकस कीजिए इस फॉक्स को टूटने नहीं देना है खुद को समय-समय पर ट्रेन करते रहे लर्निंग माइंडसेट से आगे बढ़े और हमेशा अपनी इंडस्ट्री में चल रहे ट्रेन से अपडेटेड रहे अपने नेटवर्क को बढ़ते रहें और भरोसेमंद लोगों से खुद को घेरे रहे।

धन्यवाद






1, 11 जानीयात प्रेषणे भृत्यान बान्धवान व्यसनागमे । मित्रं चाआपत्तिकालेषु भार्यां च वीभवक्षये।। 

 काम लेने पर नौकर- चाकरों की, दुख आने पर बन्धु-बान्धवों की, कष्ट आने पर मित्र की तथा धन नाश होने पर अपने पत्नी की वास्तविकता का ज्ञान होता हैं।

2,6 न विश्वसेत्कुमित्रे च मित्रे चापि न विश्वसेत्। कदाचित्कुपितं मित्रं सर्वं गुह्यं प्रकाशयेत् ॥ भावार्थ :👇 

 कुमित्र पर विश्वास नहीं करना चाहिए और मित्र पर भी विश्वास नहीं करना चाहिए । कभी कुपित होने पर मित्र भी आपकी गुप्त बातें सबको बता सकता हैं ।


नमस्कार साथियों,  पिछली वीडियो में हमने चर्चा की थी कि चाणक्य नीति की सहायता से हम कैसे अपना प्लान बना सकते है और फिर हमने सीखा कि अगर प्लान के एक्सीक्यूशन में  कोई समस्या आती है तो उस समस्या का  निराकरण कैसे करते है। आज हम चर्चा करेंगे कि प्लान को एक्जिक्यूशन के लिए टीम और  टीम लीडर का क्या योगदान होता है। तो आइए आज की वीडियो पर चर्चा प्रारंभ करते है 

साथियों आप अकेले चाहे जितना भी काम कर ले लेकिन आपको उतनी सफलता उस काम में नहीं मिलेगी जितना आप अपनी टीम के साथ काम कर के सफलता प्राप्त कर सकते हैं। अकेले आप कुछ दूर तक तो दौड़ सकते हो लेकिन ज्यादा दूर जाने के लिए आपको एक टीम की जरूरत होती है। टीम सिर्फ खेल में ही नहीं होती है बल्कि जीवन के  हर काम में टीम बनाकर सफलता को प्राप्त किया जा सकता है। टीम बनाने का मतलब है अपने time को multiply करना।  हर एक इन्सान के पास एक दिन में काम करने के limited घंटे  होते है। यदि आपका अपना बिजनेस है  और आपकी कंपनी में 10 लोग है अगर एक इन्सान एक दिन 8 घंटे काम करता है। तो आपके लिए एक दिन में 80 घंटे का काम हो जायेगा। जबकि अकेले काम करके आप अधिकतम 24 घंटे ही काम कर पाते। और इतना काम करके आप बीमार पड़ जाते। इसीलिए टीम के साथ काम करके अपने गोल को आसानी से पा सकते है  जैसा कि आचार्य चाणक्य ने बताया है 

बहूनां चैव सत्त्वानां समवायो रिपुञ्जयः। वर्षाधाराधरो मेघस्तृणैरपि निवार्यते ।। 

अर्थात निश्चित रूप से बहुत से लोग मिलकर बड़े से बड़े शत्रु को जीत सकते हैं। मनुष्य का समुदाय अर्थात उनका सगंठन शत्रु को  जीतने में उसी प्रकार सफल रहता है, जिस प्रकार इकट्ठे किए गए तिनके जल की धारा को रोक देते है अर्थात घास-फूस का छप्पर वर्षा के पानी से रक्षा करता है। 

अर्थात एक टीम अपने बड़े से बड़े गोल में आसानी से सफलता प्राप्त कर सकती है।  जरूरी नहीं कि आपकी टीम में हाई क्वालिफाइड प्रोफेशनल हो या बहुत बड़ा ऑफिस हो और ऑफिस में काम करने वाले एम्प्लॉय आपकी टीम हो । घर के सदस्य भी आपकी टीम का हिस्सा हो सकते है या कहे कि होते ही है। एक  टीम में टीम लीडर उस टीम का सबसे महत्व पूर्ण व्यक्ति होता है । अच्छा टीम लीडर अपनी टीम को मोटिवेट करके अपने गोल को पा सकता है। क्योंकि जैसा टीम लीडर होता है वैसी ही टीम होती है जैसा की आचार्य चाणक्य बताया है

राज्ञि धर्मिणि धर्मिष्ठाः पापे पापाः समे समाः । राजानमनुवर्तन्ते यथा राजा तथा प्रजाः ॥

यदि राजा पुण्यात्मा है तो प्रजा भी वैसी ही पुण्यात्मा होती है. यदि राजा पापी है तो प्रजा भी पापी होती है और  यदि राजा सामान्य है तो प्रजा सामान्य होती है।  प्रजा के सामने राजा का उद्हारण होता है. और प्रजा राजा का अनुसरण करती है.

जिस समय चाणक्य ने अपनी पुस्तक लिखी थी उस समय राजा या सेनापति ही अपनी  टीम का  लीडर होता था इस प्रकार जैसा राजा या  टीम लीडर होता है वैसी ही उसकी टीम होती है अगर टीम लीडर पुण्यात्मा होता है तो टीम भी पुण्यात्मा होती है और यदि टीम लीडर पापी होता है तो टीम भी उसका अनुसरण करते हुए पापी हो जाती है। और जिससे टीम के साथ साथ अन्य लोगो को भी दुख का सामना करना पड़ता है। जैसा कि आचार्य चाणक्य ने लिखा है

कुराजराज्येन कुतः प्रजासुखं कुमित्रमित्रेण कुतोऽभिनिवृत्तिः।

कुवारवारैश्च कुतो गृहे रतिः कृशिष्यमध्यापयतः कुतो यशः।।

आचार्य चाणक्य दुष्ट टीम लीडर के प्रभाव को प्रतिपादित करते हुए कहते हैं कि दुष्ट राजा के राज्य में प्रजा सुखी कैसे रह सकती है। दृष्ट मित्र से आनन्द कैसे मिल सकता है। दुष्ट पत्नी से घर में सुख कैसे हो सकता है ? तथा दुष्ट-मूर्ख शिष्य को पढ़ाने से यश कैसे मिल सकता है।

अर्थात दुष्ट-निकम्मे राजा के राज्य में प्रजा सदा दुःखी रहती है। इसलिए सुखी रहने के लिए अच्छे राजा के राज्य में रहना चाहिए। यह श्लोक टीम लीडर और टीम लीडर के महत्व बताता है इसीलिए अच्छी टीम के लिए अच्छे टीम लीडर का होना बहुत आवश्यक है क्योंकि अगर टीम का लीडर न रहे तो वह टीम नष्ट हो जाती है जो कि एक अन्य श्लोक में बताया है।

आलस्योपहता विद्या परहस्तं गतं धनम्।
अल्पबीजहतं क्षेत्रं हतं सैन्यमनायकम्॥

आलस्य से विद्या नष्ट हो जाती है । दूसरे के हाथ में धन जाने से धन नष्ट हो जाता है । कम बीज से खेत तथा बिना सेनापति वाली सेना नष्ट हो जाती है ।

अर्थात जिस तरह बिना सेना पति के सेना नष्ट हो जाती है। वैसे ही बिना टीम लीडर  के  टीम भी नष्ट हो जाती है।  इसीलिए एक अच्छी टीम को सही से चलाने के लिए एक अच्छा टीम लीडर होना चाहिए। जिससे टीम अपने गोल को आसानी से पा सके। 


 साथियों आज की वीडियो में हमने टीम और टीम लीडर के महत्व को जाना आगे आने वाली विडियोज में हम टीम के सदस्यों का चयन और टीम और टीम लीडर के कार्यों पर चर्चा करेंगे। इसीलिए अगर आप मेरी वीडियो में पहली बार देख रहे है तो सब्सक्राइब वाली बेल को ऑन कर दीजिए। आप कॉमेंट के माध्यम से आज की चर्चा में सामिल हो सकते है हमारी टीम हर कमेंट को रीड एंड रिप्लाई करती है। आज की चर्चा में सामिल होने के लिए आप सभी का धन्यवाद



टीम का चयन

अच्छी टीम ही टीम लीडर की शक्ति है

जैसा कि आचार्य  चाणक्य ने चाणक्य नीति के अध्याय 3 के श्लोक 16 में कहा है 
बलं विद्या च विप्राणां राज्ञः सैन्यं बलं तथा। बलं वित्तं च वैश्यानां शूद्राणां च कनिष्ठता।। 

कि विद्या ही ब्राह्मणों का बल है। राजा का बल सेना है। वैश्यों का बल धन है तथा सेवा करना शूद्रों का बल है। - चाणक्य


टीम की आवश्यकता

इसीलिए आचार्य चाणक्य ने राजा अर्थात टीम लीडर को हमेशा अच्छे लोगो की टीम बनाने को कहा है।

3, 5 एतदर्थ कुलीनानां नृपाः कुर्वन्ति संग्रहम्। आदिमध्यावसानेषु न त्यजन्ति च ते नृपम् ॥

 भावार्थ :

चाणक्य नीति के अध्याय 3 श्लोक 5 क्वानुसार कुलीन लोग आरम्भ से अन्त तक साथ नहीं छोड़ते । वे वास्तव में संगति का धर्म निभाते हैं । इसलिए राजा लोग कुलीन का संग्रह करते हैं ताकि समय-समय पर सत्परामर्श मिल सके।


टीम का चयन

टीम बनाने के लिए टीम लीडर को बहुत ही कड़े मापदंडों का पालन करना चाहिए जैसा कि आचार्य चाणक्य ने चाणक्य नीति के अध्याय 5 के श्लोक 2 में बताया है 

यथा चतुर्भिः कनकं परीक्ष्यते निर्घषणच्छेदन तापताडनैः। तथा चतुर्भिः पुरुषः परीक्ष्यते त्यागेन शीलेन गुणेन कर्मणा॥

भावार्थ :

घिसने, काटने, तापने और पीटने, इन चार प्रकारों से जैसे सोने का परीक्षण होता है, इसी प्रकार त्याग, शील, गुण, एवं कर्मों से पुरुष की परीक्षा होती है । 


  इसीलिए अपनी टीम को बनाने के लिए बहुत कठिन मापदंडों का पालन करना चाहिए। जिससे सुयोग्य लोगो की टीम बन सके। 


3,2 आचारः कुलमाख्याति देशमाख्याति भाषणम्। सम्भ्रमः स्नेहमाख्याति वपुराख्याति भोजनम् ॥ 
 भावार्थ -: आचरण से व्यक्ति के कुल का परिचय मिलता है। बोली से देश का पता लगता है। आदर-सत्कार से प्रेम का तथा शरीर को देखकर व्यक्ति के भोजन का पता चलता है।#सुप्रभात


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Team leader ke kary
  

 इसीलिए टीम लीडर को हमेशा अच्छे लोगो की टीम बनानी चाहिए। 

 टीम का एक फायदा यह भी है कि हर इंसान अलग-अलग तरीके से किसी भी काम को करता है इसलिए उनके काम करने का तरीका भी अलग होगा। जैसे कि हमारा सहकर्मी जो कोई एक जल्दी काम खत्म कर लेगा और कोई होगा जो काम करने में ज्यादा समय लगाता हैं। किसी की प्रेजेंटेशन स्किल बहुत अच्छी होगी तो किसी की कम्युनिकेशन स्किल अच्छी होगी तो हर किसी की विशेषता को साथ में लेकर मिलाजुला कर हम कैसे काम कर सकते है कैसे टीम में एक साथ काम कर पाए वह बहुत जरूरी हैं।  



टीम स्किल में प्रत्येक सहकर्मी की योग्यता और विशेषता को साथ लेकर चलना होता है। टीम वर्क को सक्सेसफुल बनाने के लिए  टीम वर्क के लिए एक दूसरे को समझ पाना बेहद जरूरी है। Team Management में आवश्यक है कि प्रत्येक व्यक्ति दूसरे व्यक्ति के बातों को उनके विचारों को ध्यान से सुने और एक दूसरे के साथ समझदारी से बातचीत करके अच्छे-अच्छे आइडिया निकालें।



एक टीम में काम करते हुए, आप विभिन्न प्रकार के कौशल और प्रतिभा वाले लोगों का सामना कर सकते हैं। अवसर से सर्वश्रेष्ठ बनाते हुए, आप एक साथ काम करते हुए कुछ नया सीख सकते हैं। टीमवर्क हमेशा संसाधन निर्माण की ओर जाता है क्योंकि लोग आगामी चुनौतियों को बेहतर तरीके से संभालना सीखते हैं। इसलिए, एक इकाई के रूप में काम करते हुए, आप सीखने और बढ़ने के कई अवसरों में आएंगे।







 इनमें से कोई एक भी ना हो तो वह राज्य नहीं रह जाता अब आज के समय के हिसाब से देखें तो जैसे मान लीजिए आपका गोल एक स्टार्टअप ओपन कर उसे इंटरनेशनल लेवल तक ले जाना है। अब आपको स्टार्टअप का अंपायर बनाने के लिए भी आपको इन्हीं सात चीजों की जरूरत पड़ेगी राजा यानी आप मंत्री यानी आपकी कंपनी के  डायरेक्टर्स और डिसीजन मेकर्स प्रजा यानी आपके क्लाइंट्स शहर यानी आपके ऑफिस या इंफ्रास्ट्रक्चर कोश यानी रेवेन्यू सेना मतलब आपके एम्पलाइज और दुश्मन यानि आपके राइवल्स या कंपीटीटर्स।

  आपके पास ऐसे लोग जो आपकी जीत में कैटालिस्ट की तरह काम करें अब सिर्फ आपके विनिंग माइंडसेट से आपकी कंपनी आसमान नहीं छू पाएगी आपको अपने मंत्रियों अपनी सेना सभी को तैयार करना होगा ताकि वह कंपनी को जीत की ओर लेकर जाए और यह सिर्फ आपकी जीत नहीं उन सब की जीत भी है एक अच्छे लीडर की खासियत यही होती है कि वह पर्सनल गेम नहीं देखा बल्कि सभी को जीत की तरफ साथ में ले जाता है अब हम इसी कलेक्टिव विनिंग की बात करने जा रहे हैं।




 भरोसेमंद एम्पलाइज ढूंढने का तरीका हम पहले ही डिस्कस कर चुके हैं हम अपने राइवल्स को रखने के नियम भी जान चुके हैं अब इसके बाद के स्टेप पर आते हैं कैसे आप अपनी पूरी कंपनी में विनिंग माइंडसेट पैदा कर सकते हैं 

पहले स्टेप है नेटवर्किंग नेटवर्किंग सिर्फ एक बिजनेस स्टैटिक नहीं है यह रिश्ते बनाने की कला है सही नेटवर्किंग आपके लिए कंपटीशन कम कर सकती है आपके एम्पलाइज में एक सेंस ऑफ़ बिलॉन्गिंग पैदा कर सकती है और आपका डिसीजन मेकर्स का भरोसा भी जीत सकती है इसका सबसे बड़ा एग्जांपल है चाणक्य की कूटनीति जब उन्होंने चंद्रगुप्त मौर्य की शादी सिकंदर के सेनापति की बेटी हेलेना से करवाई थी इस व्यक्ति की मदद से चाणक्य ने ग्रीक साम्राज्य के साथ नेटवर्क बिल्ड किया और आने वाले किसी भी युद्ध के खतरे को जड़ से खत्म कर दिया हमारी नॉर्मल लाइफ में भी देखा जाए तो ज्यादा नेटवर्किंग का मतलब है ज्यादा रिच ज्यादा क्लाइंट्स और ज्यादा रेवेन्यू इसके साथ ही नेटवर्क बनाने से आप अपने एम्पलाइज से इमोशनल लेवल पर जुड़ सकते हैं और उन्हें हंड्रेड परसेंट देने के लिए मोटिवेट कर सकते हैं 


दूसरा स्टेप है टीम वर्क जब employees मानते है कि मेहनत करने से क्या फायदा सारा प्रॉफिट तो आपका ही हो रहा है जबकि उन्हें तो उनकी सैलरी बर मिनिमम काम करके भी मिल रही है तब आप क्या करेंगे ak बॉस यह सोचेगा कि खराब काम करने पर सैलरी काटी जाए जबकि एक लीडर यह सोचेगा कि अच्छे काम को इनसेंटेंस दिए जाएं इंर्पोटेंट स्टेप है जहां विनिंग माइंडसेट को अपने एम्पलाइज में कल्टीवेट कर सकते हैं उनमें जीत की भूख होनी चाहिए और इसके लिए आपको उन्हें जीत का क्रेडिट भी देना होगा और 

एकाकिना तपो द्वाभ्यां पठनं गायनं त्रिभिः । 
चतुर्भिगमन क्षेत्रं पञ्चभिर्बहुभि रणम् ।।

4, 12 इस श्लोक का अर्थ है कि व्यक्ति को तप हमेशा एकांत और अकेले करना चाहिए, पढ़ाई के समय दो साथी होने चाहिए. गाने में 3 लोगों का होना जरूरी है, कहीं जाते समय चार लोगों होने चाहिए. खेत में 5 लोगों होने जरूरी है और युद्ध के दौरान अनेक सैनिकों की आवश्यकता होती है.





तीसरा स्टेप है ट्रेनिंग कोई भी टीम बिना सीखे अपना बेस्ट आउटपुट नहीं दे सकती अपने नोटिस किया हो तो शुरू से ही हम लर्निंग पर फोकस कर रहे हैं ऐसा इसलिए है क्योंकि कई बार नॉलेज की कमी से हमारी मेहनत बर्बाद हो जाती है हार्ड वर्क का कोई फायदा नहीं अगर वह सही डायरेक्शन में नहीं किया जा रहा इसके लिए जॉइनिंग के समय ट्रेनिंग दे देना काफी नहीं है लर्निंग  और नॉलेज शेयरिंग हमेशा चलता रहना चाहिए एम्पलाइज ने अपनी एक्सपीरियंस से क्या-क्या सीखा है उसे भी सबके साथ शेयर करने का मौका दिया जाना चाहिए बेसिकली  सीखना कभी रुकना नहीं चाहिए




मन में नेगेटिव थॉट आने से इंसान काम करने से पहले ही हार मान लेता है और आगे नहीं बढ़ पाता इससे बचे और विश्वास करें कि आप भी सक्सेसफुल बन सकते हैं अब आप जीत के लिए पूरी तरह से तैयार है अपने अपने हर के दर को खत्म कर दिया है आपके आसपास भरोसेमंद लोग हैं आप अपनी नॉलेज को भी बढ़ते रहते हैं और अपने अपने विनर की एक टीम भी बना ली है लेकिन अब भी आपकी और जीत के बीच का फैसला काम नहीं हो रहा ऐसा क्यों चाणक्य कहते हैं अक्सर सारी कोशिश के बाद भी हम जीत नहीं पाए क्योंकि हम जीत को अपनी लाइफ में वेलकम नहीं कर पाते हम जाने अनजाने ही उसे ब्लॉक करते रहते हैं हमारा खराब बिहेवियर जैसे गुस्सा करना नेगेटिव बातें करना दूसरों से जलना इंपेशेंट होना यह कुछ ऐसी चीज हैं जिससे हम लाइफ में कोई भी पॉजिटिव चीज को अट्रैक्ट नहीं कर पाते इसीलिए जीत को अपने पास आने दे यह ज्ञान प्राचीन समय सेहमारे पूर्वजों के पास रहा है कि यह ब्रह्मांड हमसे नहीं है हम ब्रह्मांड से है कॉस्मिक एनर्जी की ताकत में हमारे पूर्वजों को सदियों पहले से विश्वास था हम जिसे आज मेनिफेस्टेशन कहते हैं वह ध्यान भारत के ऋषि मुनि सदियों से करते आ रहे हैं उस कॉस्मिक एनर्जी पर उसे पावर पर विश्वास कीजिए खुद ही सोचिए हर चीज नेचर में एक परफेक्ट ढंग से चल रही है प्लैनेट्स परफेक्टली अपनी स्पीड से अपनी एक्सेस पर घूमते हैं हर मौसम परफेक्टली आता है जाता है यूनिवर्स में घट रही इन घटनाओं को हमारे दखल की जरूरत ही नहीं होती यूनिवर्स हमारे लिए सही अपॉर्चुनिटी भेजेगा उसे एक्सेप्ट करने के लिए खुद को तैयार रखिए और खुली बाहों से उसे अपॉर्चुनिटी का स्वागत कीजिए अपनी जीत को मेनिफेस्टो कीजिए और फिर देखिए आपको जितने से कोई नहीं रोक सकता।

यह बातें आज के टाइम में भी हमें राह दिखाती है इन छोटी-छोटी लर्निंग को अपनी लाइफ में फॉलो करके आप अपना डिजायर गोल अचीव कर सकते हैं बस जरूरत है तो सच्चे प्रयास की अपने दिमाग के रास्ते में आने वाली प्रॉब्लम्स का डर निकाल दीजिए और सिर्फ मंजिल पर फोकस कीजिए इस फॉक्स को टूटने नहीं देना है खुद को समय-समय पर ट्रेन करते रहे लर्निंग माइंडसेट से आगे बढ़े और हमेशा अपनी इंडस्ट्री में चल रहे ट्रेन से अपडेटेड रहे अपने नेटवर्क को बढ़ते रहें और भरोसेमंद लोगों से खुद को घेरे रहे।

धन्यवाद






1, 11 जानीयात प्रेषणे भृत्यान बान्धवान व्यसनागमे । मित्रं चाआपत्तिकालेषु भार्यां च वीभवक्षये।। 

 काम लेने पर नौकर- चाकरों की, दुख आने पर बन्धु-बान्धवों की, कष्ट आने पर मित्र की तथा धन नाश होने पर अपने पत्नी की वास्तविकता का ज्ञान होता हैं।

2,6 न विश्वसेत्कुमित्रे च मित्रे चापि न विश्वसेत्। कदाचित्कुपितं मित्रं सर्वं गुह्यं प्रकाशयेत् ॥ भावार्थ :👇 

 कुमित्र पर विश्वास नहीं करना चाहिए और मित्र पर भी विश्वास नहीं करना चाहिए । कभी कुपित होने पर मित्र भी आपकी गुप्त बातें सबको बता सकता हैं ।




6, 4भ्रमन् सम्पूज्यते राजा भ्रमन् सम्पूज्यते द्विजः।
भ्रमन सम्पूज्यते योगी स्त्री भ्रमन्ती विनश्यति।। 

भावार्थ- भ्रमणकारी राजा, ब्राह्मण तथा योगी सर्वत्र सम्मानित होते हैं। लेकिन अकारण विचरण करने वाली स्त्री पथभ्रष्ट हो जाती है। 




असन्तुष्टा द्विजा नष्टाः सन्तुष्टाश्च महीभृतः । सलज्जा गणिका नष्टा निर्लज्जाश्च कुलाङ्गना ॥

असंतुष्ट ब्राह्मण, संतुष्ट राजा, लज्जा रखने वाली वेश्या, कठोर आचरण करने वाली गृहिणी ये सभी लोग विनाश को प्राप्त होते है




अच्छे टीम लीडर समाज का सुखी व्यक्ति होना चाहिए ।जैसा कि आचार्य चाणक्य ने अपने श्लोक में बताया है 

दाक्षिण्यं स्वजने दया परजने शाठ्यं सदा दुर्जने प्रीतिः साधुजने स्मयः खलजने विद्वज्जने चार्जवम् । शौर्यं शत्रुजने क्षमा गुरुजने नारीजने धूर्तता इत्थं ये पुरुषा कलासु कुशलास्तेष्वेव लोकस्थितिः ॥


वे लोग जो इस दुनिया में सुखी है. जो अपने संबंधियों के प्रति उदार है. अनजाने लोगो के प्रति सह्रदय है. अच्छे लोगो के प्रति प्रेम भाव रखते है. नीच लोगो से धूर्तता पूर्ण व्यवहार करते है. विद्वानों से कुछ नहीं छुपाते. दुश्मनों के सामने साहस दिखाते है. बड़ो के प्रति विनम्र और पत्नी के प्रति सख्त है.





6, 4भ्रमन् सम्पूज्यते राजा भ्रमन् सम्पूज्यते द्विजः।
भ्रमन सम्पूज्यते योगी स्त्री भ्रमन्ती विनश्यति।। 
भावार्थ- भ्रमणकारी राजा, ब्राह्मण तथा योगी सर्वत्र सम्मानित होते हैं। लेकिन अकारण विचरण करने वाली स्त्री पथभ्रष्ट हो जाती है। 







असन्तुष्टा द्विजा नष्टाः सन्तुष्टाश्च महीभृतः । सलज्जा गणिका नष्टा निर्लज्जाश्च कुलाङ्गना ॥

असंतुष्ट ब्राह्मण, संतुष्ट राजा, लज्जा रखने वाली वेश्या, कठोर आचरण करने वाली गृहिणी ये सभी लोग विनाश को प्राप्त होते है







अच्छे टीम लीडर समाज का सुखी व्यक्ति होना चाहिए ।जैसा कि आचार्य चाणक्य ने अपने श्लोक में बताया है 

दाक्षिण्यं स्वजने दया परजने शाठ्यं सदा दुर्जने प्रीतिः साधुजने स्मयः खलजने विद्वज्जने चार्जवम् । शौर्यं शत्रुजने क्षमा गुरुजने नारीजने धूर्तता इत्थं ये पुरुषा कलासु कुशलास्तेष्वेव लोकस्थितिः ॥



वे लोग जो इस दुनिया में सुखी है. जो अपने संबंधियों के प्रति उदार है. अनजाने लोगो के प्रति सह्रदय है. अच्छे लोगो के प्रति प्रेम भाव रखते है. नीच लोगो से धूर्तता पूर्ण व्यवहार करते है. विद्वानों से कुछ नहीं छुपाते. दुश्मनों के सामने साहस दिखाते है. बड़ो के प्रति विनम्र और पत्नी के प्रति सख्त है.





नमस्कार साथियों, आपका
 स्वागत है life Lessons के मध्यम से अपने जीवन को सफल और सुगम बनाने वाले अपने अभियान में। 

साथियों वार्तालाप की शिष्टता मानव को आदर का पात्र बनाती है मधुर वाणी सुनने वाले व्यक्ति को प्रसन्न कर देती है जिससे समाज में उस व्यक्ति की सफलता के लिए रास्ता आसान हो जाता है। जबकि कटु वाणी सुनने वाले व्यक्ति को रुष्ट कर देती है, जिससे अकारण ही उस व्यक्ति के कई शत्रु जन्म ले लेते है जो व्यक्ति की सफलता का मार्ग अवरूद्ध कर देते है। 

मधुर वाणी सुनने वाले व्यक्ति के मन से क्रोध और घृणा की भावना भी खत्म हो जाती है। छोटे से छोटे व बड़े से बड़े कार्य जो बड़े-बड़े सूरमा भी नहीं कर पाते, वे केवल वाणी के माधुर्य से संपन्न हो जाते हैं। मधुर वाणी के महत्व का सबसे बड़ा उदाहरण कोयल और कौवा हैं। दोनों का रंग काला होते हुए भी मधुर वाणी की वजह से सभी कोयल को स्नेह करते हैं, और उसे शुभ मानते हैं।

इतना महत्वपूर्ण विषय नीति शास्त्र के गुरु आचार्य चाणक्य से कैसे बचा रह सकता है। तो आइए आज की चर्चा प्रारंभ करते है। और जानते है कि आचार्य ने अपनी पुस्तक चाणक्य नीति में मधुर वाणी को लेकर कौन सी नीतियां बताई है। 


आचार्य ने अपनी पुस्तक चाणक्य नीति में बताया है कि सिर्फ मधुर वाणी से पूरे संसार को अपने वश में कर सकते है। आचार्य कहते है कि यह संसार विष से भरा है अर्थात संसार में हर जगह कड़वाहट और नफरत भरी है। मधुर वाणी से संसार में फैली नफरत को बहुत कम कर लोगो को अपनी ओर आकर्षित कर सकते है। 

चाणक्य नीति की अध्याय 16 श्लोक 18 के अनुसार संसार एक कड़वा वृक्ष है, इसके दो फल ही अमृत जैसे मीठे होते है। एक मधुर
वाणी और दूसरी सज्जन जनों की संगति।

चाणक्य के अनुसार अगर आप इस संसार में फैली नफरत को कम करना चाहते है तो इसके 2 ही रास्ते है
1. मधुर वाणी
2. सज्जन लोगो की संगति

मधुर वाणी अमृत के समान होती है आपकी मधुर वाणी से आपका मन तो शीतल होता है साथ ही दूसरे लोगो का मन भी शीतल करता है 

कहा जाता है कि हम उन 5 लोगों का औसत होते है जिनके साथ हम ज्यादा समय बिताते है। अतः हमे समाज के अच्छे लोगो को चुनकर उनके साथ अपना ज्यादा समय बिताइए। सज्जन लोगो की संगति से हम अपनी कई कमियों को दूर कर अपने जीवन को अच्छी आदतों से भर देगी। जिससे हम सफल हो जायेंगे। 

अच्छे लोगो की संगति के बारे में दूसरी वीडियो सीरीज में बात करेंगे नही तो हम अपने विषय से भटक जायेंगे। इस विडियो सीरीज में हम केवल मधुर वाणी और मधुर वाणी के महत्व के बारे में बात करेंगे। 

चाणक्य नीति की अध्याय 14 श्लोक 14 के अनुसार हे मनुष्य यदि तुम किसी एक ही कर्म के द्वारा सारे संसार को अपने वश में करना चाहता है तो निंदा करने वाली अपनी वाणी को वश में कर ले अर्थात निंदा करना छोड़ दे।   

आचार्य के अनुसार अगर तुम पूरी दुनिया को अपने वश में करना चाहते हो तो लोगो की निंदा करना छोड़ दो। बल्कि अपनी मधुर वाणी से लोगो को अपने प्रति आकर्षित करो। मधुर वाणी में वह क्षमता है कि लोग अपने आप ही आपकी तरफ खींचे चले आते है। जिससे आपकी सफलता का मार्ग प्रशस्त हो जाता है।

अर्थात सिर्फ मधुर वाणी से ही पूरी को अपने।वश में किया जा सकता है। इसीलिए मधुर वाणी को अपनी सफलता के।लिए सबसे बड़ा हथियार बनाइए। वास्तव में वही व्यक्ति विद्वान होता है जो परिस्थितियों को भाप कर उसी के अनुकूल बात करे। 

चाणक्य नीति की अध्याय 14 श्लोक 15 के अनुसार जो अवसर के अनुकूल बात करना जानता है, जो अपने यश और गरिमा के अनुकूल मधुर-भाषण कर सकता है और जो अपनी शक्ति के अनुसार क्रोध करता है, उसी को वास्तव में विद्वान कहा जाता है।

व्यक्ति के बात करने के तरीके से उसका आचरण, उसके परिवार की सभ्यता, उसके समाज की सामाजिक स्थति और उसके गुरु के द्वारा दी गई शिक्षा का ज्ञात होता है। व्यक्ति के।द्वारा निकले गलत शब्द व्यक्ति का, उसके।परिवार का, उसके समाज का और उसके गुरु का अपमान करवाते है। अतः व्यक्ति को बहुत ही सोच समझ कर बात करना चाहिए।

आचार्य के अनुसार व्यक्ति को अवसर के अनुकूल अपने यश और गरिमा के अनुसार ऐसी वाणी बोलनी चाहिए जिससे वह दुसरो को अपनी और आकर्षित कर सके। जो व्यक्ति समय और शक्ति के अनुसार मधुर वाणी बोलना जनता है वास्तव में वही विद्वान है। जबकि जो व्यक्ति समय के अनुसार बात नही करता शक्ति से ज्यादा क्रोध करता है और कटु वचन बोलता है वह वास्तव में मूर्ख है। 

क्योंकि व्यक्ति अपनी शक्ति से ज्यादा क्रोध करेगा तो उस व्यक्ति को सामाजिक आर्थिक और शारीरिक रूप से बहुत नुकसान उठाना पड़ सकता है। जैसे आम आदमी किसी राजा के सामने क्रोध करेगा तो उसे दंड भोगना ही पड़ेगा। व्यक्ति की मधुर वाणी से लोग प्रसन्न रहते है।


चाणक्य नीति की अध्याय 16 श्लोक 17 के अनुसार मधुर बोली वाले सभी प्राणी सदैव प्रसन्न रहते है अतः व्यक्ति को सदैव प्रिय वचन ही बोलना चाहिए उसे चाहिए कि वाणी में अमृत रूपी मधुरता घोल कर बोले। व्यक्ति को वाणी से दरिद्र नही होना चाहिए। 

चाणक्य के अनुसार व्याक्ति की मधुर वाणी से सभी प्राणी सदैव प्रसन्न रहते है अतः व्यक्ति को सदैव प्रिय वचन बोलना चाहिए। वैसे भी किसी से दो शब्द मधुर वाणी बोल देने से किसी का कुछ जाता नही नही है इसीलिए व्यक्ति को मधुर वाणी बोलने से नही चूकना चाहिए। 


चाणक्य नीति की अध्याय 7 श्लोक 16 के अनुसार स्वर्ग से इस संसार में आने वाले जीव के शरीर में चार बाते उसके चिन्ह के रूप में रहती है। अर्थात उसके चार प्रमुख गुण होते है। उनमें दान देने की प्रवृत्ति होती है। वह मधुर भाषी होते है। देवतावो की पूजा अर्चना करता है उनका आदर सत्कार करता है। विद्वान ब्राह्मणों को सदैव तृप्त अर्थात संतुष्ट रखता है।  

चाणक्य नीति की अध्याय 7 श्लोक 17 के अनुसार इसी प्रकार नरक में रहने वाले जब देह धारण कर इस संसार में आते है तो वो देवताओं के विपरीत कार्य करते है। वे मधुर भाषी होने के बजाय क्रोधी स्वभाव के होते है। कड़वी बात कहते है वे निर्धन होते है अपने परिवार जनों तथा मित्रो से सदैव द्वेष भाव रखते है उनकी संगति में सदैव नीच लोग रहते है वे नीच कुल वालो की सेवा करते है। 

चाणक्य नीति की अध्याय 7 श्लोक 20 के अनुसार वाणी की पवित्रता मन की शुद्धि इंद्रियों का संयम प्राणी मात्र पर दया धन की पवित्रता मोक्ष प्राप्त करने वाले के लक्षण होते है।  



नीȱत Āंथǂ मƶअÉयाÆम सेसंबंȲधत Ȋोकǂ का आना कुछ पाठकǂ को खटक सकता
है। उÊहƶऐसा लगेगा मानो आचायµ अपनेलÛय सेभटक गए हƹ। लेȱकन ऐसा समझना
आचायµचाण·य के ȅȳǣÆव को न समझ पाना है। अपनी कूटनीȱतक चालǂ सेशčुको मात
देने वालेआचायµ अपनेलÛय को ĒाËत करने मƶइसीȳलए सफल Ɠए ·यǂȱक वेअपने
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छोड़नेकɡ उÊहǂनेȳश³ा ही नहƭ दɟ, उÊहƶअपनेआचरण मƶभी ȱवȳशȌ ×थान Ȱदया। अÉयाÆम
उनके जीवन का आधार था। बंधन तो लीला माč है, असल मƶतो उनके सारेĒयास मुȳǣ के
ȳलए ही थे।
उÊहǂने इन Ȋोकǂ Ǽारा बताया ȱक भगवǶा और Ȱदȅता कहƭ अÊयč नहƭ हƹ।
ĒÆयेक मƶवह रची-बसी है। जƞरत हैउसका अनुभव करनेकɡ। आचायµनेउस अनुभव के
ȳलए शुȲचता (पȱवčता) को सबसेआवÕयक माना है। जो वाणी और मन सेपȱवč होगा और
जो Ơसरǂ को Ɵखी देखकर Ɵखी होता होगा वही ȱववेकवान्हो सकता है। परोपकार कɡ
भावना हो, लेȱकन इंȰďयǂ पर संयम न हो, तो भी अपनेलÛय को पाया नहƭ जा सकता। एक
Ȯ×थȱत ĒाËत करनेके बाद मागµसेभटकनेका भय बना रहता है। संयमी तो वहां ×वयं को
संभाल लेता है, जहां इंȰďय लोलुप उलझ जाता है। ȱबना ȱववेक के सÆय का ´ान नहƭ होता
और उसके ȱबना बंधनमुǣ भी नहƭ Ɠआ जा सकता।




आचार्य चाणक्य के द्वारा लिखित चाणक्य नीति में आचार्य ने संतोष को मानसिक शांति के लिए आवश्यक बताया है। इसके साथ ही आचार्य ने यह भी बताया है कि किन चीजों में हमे संतोष करना चाहिए और किन चीजों में हमे संतोष नहीं करना चाहिए। 

अध्याय 7 श्लोक 3 के अनुसार जो व्यक्ति संतोष रूपी अमृत से तृप्त है मन से शांत है उसे जो सुख प्राप्त होता है वह धन के लिए इधर-उधर दौड़-धूप करने वाले को कभी प्राप्त नहीं होता है।

चाणक्य नीति में आचार्य ने मानव जीवन के नीति के कई श्लोक लिखे है ज्यादातर लोग इन श्लोक को एक एक करके पढ़ते है और उनका अर्थ समझते है। लेकिन मेरा मानना है कि आचार्य की मंशा जानने के लिए श्लोको के अर्थ को अलग अलग नही पढ़ कर बल्कि उस विषय से संबंधित सभी श्लोको का एक साथ पढ़ना और उनका अर्थ समझना चाहिए। नही तो अर्थ का अनर्थ हो जाता है। इसका उदाहरण हम आज देखेंगे।

अब इस श्लोक का यह अर्थ हुवा कि व्यक्ति को संतोष करना चाहिए। अर्थात व्यक्ति आज जिस पद पर है जीवन भर उसी पद रहना चाहिए। ज्ञान और योग्यता हासिल कर उससे आगे बढ़ने के बारे में नही सोचना चाहिए। अब दूसरे श्लोक को देखते है

अध्याय 7 श्लोक 4 के अनुसार अपनी पत्नी, भोजन और धन इन चीजों के प्रति मनुष्य को संतोष रखना चाहिए परंतु विद्या अध्ययन, तप और दान के प्रति कभी संतोष नहीं करना चाहिए।

आपने देखा कि दूसरे श्लोक से यह बात स्पष्ट हों जाता है कि आचार्य ने कुछ ही चीजों में संतोष करने के लिए लिखा लेकिन और कुछ चीजों में संतोष करने से मना किया है। अब केवल पहले श्लोक को पढ़ने से अर्थ का अनर्थ हो जाता।

अब इन दोनो श्लोको को सामूहिक रूप से समझते है। आचार्य चाणक्य ने बताया है कि संतोष को अमृत के समान बताया है और कहा कि जो व्यक्ति संतोष से अपना जीवन बिताते हैं और शांत रहते हैं उन्हें जो सुख प्राप्त होता है वह धन के लालच में इधर उधर दौड़ धूप करने वाले व्यक्ति को प्राप्त नहीं हो सकता है। 

आचार्य के अनुसार व्यक्ति को अपनी पत्नी या अपना पति, अपना भोजन और अपना धन और आय से संतोष करना चाहिए।  

आपकी पत्नी या आपका पति जैसा हो उसमे संतोष करना चाहिए। अगर कोई दूसरे स्त्री और दूसरे पुरुष से अनैतिक संबंध बनाता है तो उसके जीवन से मानसिक शांति खत्म हो जाती है। और घर में पारिवारिक कलह शुरू हो जाता है। 

 इसी प्रकार व्यक्ति जब अपने घर के बने हुए भोजन से संतोष नहीं करता, भोजन का अपमान कर बाहर का खाना खाता है इससे उसका धन और स्वास्थ्य दोनो का नुकसान होता है। 

अगर व्यक्ति अपनी आय और धन से संतोष नहीं करता और दुसरो के धन पर दृष्टि रखता है तो उसका मन गलत कामों की तरफ बढ़ जाता है। हमारा मन दुसरो की आय पर न होकर विद्यार्जन और योग्यता हासिल कर अपनी आय को बढ़ाने पर होना चाहिए।

आचार्य ने विद्या अध्ययन , तप और दान करने में संतोष करने से मना किया है। आचार्य का तात्पर्य है कि आप में जितना सामर्थ्य है उतने सामर्थ्य के साथ इन चीजों को करने का प्रयास करना चाहिए। ये तीनों बहुत ही व्यापक विषय है इन पर हम आने वाले वीडियो पर चर्चा करेंगे।




चाणक्य नीति के अनुसार इन कर्मो।को करने से मोक्ष।की प्राप्ति होती है
अध्याय 7 श्लोक 16 के अनुसार स्वर्ग से इस संसार में आने वाले जीव के शरीर में चार बातें उसके चिन्ह के रूप में रहती हैं तथा उसके चार प्रमुख गुण होते हैं उसमें दान देने की प्रवृत्ति होती है वह मधुर भाषी होता है देवताओं की पूजा अर्चना करता है उनका आदर सत्कार करता है और विद्वान ब्राह्मणों को सदैव तथा संतुष्ट सकता है।
और अध्याय 7 श्लोक 20 के अनुसार वाणी की पवित्रता मन की शुद्धि इंद्रियों का संयम प्राणी मात्र पर दया धन की पवित्रता मोक्ष प्राप्त करने वालों के लक्षण होते हैं।
इन दोनों श्लोक का सम्मिलित विश्लेषण करने से यह पता चलता है कि आचार्य के अनुसार मनुष्य  में अगर ये गुण हो तो वो देवताओं के समान हो सकता है।
दान - चाणक्य के अनुसार आपको दान करना चाहिए। आधुनिक लेखक भी मानते है कि आपको अपनी सामर्थ्य के अनुसार दान करना चाहिए। दान करने से आपको अपने ऊपर बिस्वास पैदा होता है और यही विश्वास आपको सफलता की तरफ ले जाता है। 
वाणी की मधुरता - चाणक्य के अनुसार आपको बोलते समय अपनी वाणी मधुरता रखनी चाहिए। किसी को ऐसे शब्द नही बोलने चाहिए जो उसकी भावनाओं को ठेस पहुंचाए। आपके बोले गए शब्दो से आपके माता पिता के द्वारा दिया गया आचरण, आपके गुरु  द्वारा दी गई शिक्षा और आपके समाज द्वारा सिखाई गई सभ्यता का पता चलता है। आपके द्वारा बोले गए कुछ गलत शब्द इन सभी लोगो को अपमानित करते है। इसीलिए बोले गए शब्दो के चयन में बहुत सावधानी रखे।
मन की पवित्रता - आचार्य के अनुसार आपका मन पवित्र होना चाहिए जिससे आपके इंद्रियों पर आपका बस रहेगा। आप क्रोध में दुख में खुशी में या किसी भीं परिस्थिति में आप स्थिर रहेंगे और अपनी सीमाओं को नही लघेंगे। 
देवताओं और विद्वानों का सम्मान - चाणक्य के अनुसार आपको देवताओं और विद्वान लोगो का सम्मान करना चाहिए। कहा जाता है कि सम्मान देने से सम्मान मिलता है। इसीलिए आपको समाज में प्रतिष्ठित लोगो का सम्मान करना चाहिए। 
इनके अलावा मनुष्य को प्राणी मात्र पर दया।करनी चाहिए। उसका अर्जित धन पवित्र अर्थात ईमानदारी से कमाया हुआ होना चाहिए। 


हम मे से कौन होगा जो लंबा, सुखी और स्वस्थ जीवन जीने की कल्पना नहीं करेगा। एक अच्छा जीवन साथी नहीं चाहता दुख और बीमारी से बचाव नहीं चाहता। हम सब अपना पूरा जीवन सुख और समृद्धि की चाह में बिता देते हैं। अपनी लाइफ स्टाइल ऐसे बनाइए कि आपको 80 साल तक जीना है उसी के अनुसार अपनी स्वास्थ्य की  आदतों मे सुधार करिये। 

आंतरिक खुशी का नियम - आंतरिक खुशी के चार आयाम है -

Mind set - अपने मस्तिष्क को मजबूत करना अपना लक्ष्य निश्चित करना और अपने लक्ष्य को प्राप्त करना। 

Heart set - जो लोग हमारे दिल मे रहते है उनको प्यार देना और प्यार पाना। 

Health set - अंग्रेजी मे कहावत है Health is Wealth. बिना स्वास्थ्य के सभी सफलताएं व्यर्थ है। 

Soul set -  जिससे भी आपको कुछ भी प्राप्त हुआ है उनके आप कृतज्ञ बनिये। जैसे माता पिता, भगवान, गुरु इत्यादि। 

सिर्फ Mind set आपको 25% से ज्यादा खुशी नही दे सकता है। अगर आपको वास्तविक रूप से 100% खुश रहना है तो सभी चारो आयामो पर ध्यान देना होगा है। 

अपनी उम्र से कम दिखने का राज -युवा रहने के लिए सबसे प्रभावी साधन है नींद।  इसके अलावा लंबे समय तक जवान रहने के लिए आपके मन का खुला रहना और शरीर का कार्य करना बहुत जरूरी है। नई-नई विद्या सीखना और बदलाव को स्वीकार करना बहुत जरूरी है। सामाजिक बने अकेले रहने से निराशा आती है। ज्यादा तनाव लेने से बचें। 

जीवन जीने का उद्देश्य - अपने जीवन का उद्देश्य ढूंढ  कर उसे पूरा करने पर लग जाएं। ऐसा कौन सा काम है जिसको करने के लिए आपका पूरा मन लग जाता है आप बाहरी दुनिया को भूल जाते हैं उस काम को करने लग जाते हैं यही है आपका जीवन जीने का उद्देश्य। जीवन बहुमूल्य है और हमें इन पलों को बेकार नहीं गवाना चाहिए। 

खानपान -  खाने मे इंवेस्टर की तरह सोचिये। एक इंवेस्टर हमेशा भविंष्य का सोच कर पैसे निवेश करता है। उसी तरह हम खाने मे भी भविंष्य का सोच कर खाये। मान लीजिये आप किसी पार्टी मे गए है और खाने के समय फ्रुट सलाद और चावमीन है अब अगर आप भविंष्य का सोचते है तो फ्रुट सलाद ही खायेंगे।  पेट भर के खाना न खाये। खाने के बाद मीठा न खाये।  हर दिन विभिन्न रंगो की सब्जी खाये। मीठा और नमक का कम प्रयोग करे। कम कैलोरी वाला भोजन करे। सप्ताह मे दो दिन उपवास करे। बाहर का खाना कम से कम खाइये।

शतायु जीवन के व्यायाम - एक सर्वे के अनुसार लंबा जीवन जीने वाले लोग ज्यादा व्यायाम करने वाले नही बल्कि ज्यादा चलने वाले होते है। इसी तरह स्वस्थ जीवन के लिए सक्रिय रहे, सेवानिवृत्त ना हो, हर काम धीमी गति से करें, अपना पेट पूरी तरह ना भरे, अपने आप को अच्छे दोस्तों के बीच रखें, अपने अगले जन्म दिन तक स्वस्थ रहने का संकल्प ले, खुल के मुस्कुराए, प्रकृति के साथ फिर से जुड़े, कृतज्ञ बने और वर्तमान में जीये।

जीवन जीने की कला - ये सब आदते अपनाने से आपको जीवन में वैसा ही आनंद प्राप्त होता है जैसा किसी चित्रकार को कैनवस में रंग भरते समय होता है। यही जीवन जीने की कला है। इसी में जीवन का आनंद छुपा है आपने देखा होगा बहुत लोग अच्छी कमाई करने के बावजूद भी अपने जीवन में खालीपन महसूस करते हैं और कुछ लोग कम आय के बाद भी खुश रहते है। 

राज्ञि धर्मिणि धर्मिष्ठाः पापे पापाः समे समाः । राजानमनुवर्तन्ते यथा राजा तथा प्रजाः ॥13, 7

rājñi dharmiṇi dharmiṣṭhāḥ pāpe pāpāḥ same samāḥ | rājānamanuvartante yathā rājā tathā prajāḥ ||

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If the king is virtuous, then the subjects are also virtuous. If the king is sinful, then the subjects also become sinful. If he is mediocre, then the subjects are mediocre. The subjects follow the example of the king. In short, as is the king so are the subjects.

English Translation

यदि राजा पुण्यात्मा है तो प्रजा भी वैसी ही होती है. यदि राजा पापी है तो प्रजा भी पापी. यदि वह सामान्य है तो प्रजा सामान्य. प्रजा के सामने राजा का उद्हारण होता है. और वो उसका अनुसरण करती है.


नमस्कार साथियों, पिछली वीडियो में हमने चर्चा की थी कि चाणक्य नीति की सहायता से हम कैसे अपना प्लान बना सकते है और फिर हमने सीखा कि अगर प्लान के एक्सीक्यूशन में कोई समस्या आती है तो उस समस्या का निराकरण कैसे करते है। आज हम चर्चा करेंगे कि प्लान को एक्जिक्यूशन के लिए टीम और टीम लीडर का क्या योगदान होता है। तो आइए आज की वीडियो पर चर्चा प्रारंभ करते है 

साथियों आप अकेले चाहे जितना भी काम कर ले लेकिन आपको उतनी सफलता उस काम में नहीं मिलेगी जितना आप अपनी टीम के साथ काम कर के सफलता प्राप्त कर सकते हैं। अकेले आप कुछ दूर तक तो दौड़ सकते हो लेकिन ज्यादा दूर जाने के लिए आपको एक टीम की जरूरत होती है। टीम सिर्फ खेल में ही नहीं होती है बल्कि जीवन के हर काम में टीम बनाकर सफलता को प्राप्त किया जा सकता है। टीम बनाने का मतलब है अपने time को multiply करना। हर एक इन्सान के पास एक दिन में काम करने के limited घंटे होते है। यदि आपका अपना बिजनेस है और आपकी कंपनी में 10 लोग है अगर एक इन्सान एक दिन 8 घंटे काम करता है। तो आपके लिए एक दिन में 80 घंटे का काम हो जायेगा। जबकि अकेले काम करके आप अधिकतम 24 घंटे ही काम कर पाते। और इतना काम करके आप बीमार पड़ जाते। इसीलिए टीम के साथ काम करके अपने गोल को आसानी से पा सकते है जैसा कि आचार्य चाणक्य ने बताया है 

बहूनां चैव सत्त्वानां समवायो रिपुञ्जयः। वर्षाधाराधरो मेघस्तृणैरपि निवार्यते ।। 

अर्थात निश्चित रूप से बहुत से लोग मिलकर बड़े से बड़े शत्रु को जीत सकते हैं। मनुष्य का समुदाय अर्थात उनका सगंठन शत्रु को जीतने में उसी प्रकार सफल रहता है, जिस प्रकार इकट्ठे किए गए तिनके जल की धारा को रोक देते है अर्थात घास-फूस का छप्पर वर्षा के पानी से रक्षा करता है। 

अर्थात एक टीम अपने बड़े से बड़े गोल में आसानी से सफलता प्राप्त कर सकती है। जरूरी नहीं कि आपकी टीम में हाई क्वालिफाइड प्रोफेशनल हो या बहुत बड़ा ऑफिस हो और ऑफिस में काम करने वाले एम्प्लॉय आपकी टीम हो । घर के सदस्य भी आपकी टीम का हिस्सा हो सकते है या कहे कि होते ही है। एक टीम में टीम लीडर उस टीम का सबसे महत्व पूर्ण व्यक्ति होता है । अच्छा टीम लीडर अपनी टीम को मोटिवेट करके अपने गोल को पा सकता है। क्योंकि जैसा टीम लीडर होता है वैसी ही टीम होती है जैसा की आचार्य चाणक्य बताया है

राज्ञि धर्मिणि धर्मिष्ठाः पापे पापाः समे समाः । राजानमनुवर्तन्ते यथा राजा तथा प्रजाः ॥

यदि राजा पुण्यात्मा है तो प्रजा भी वैसी ही पुण्यात्मा होती है. यदि राजा पापी है तो प्रजा भी पापी होती है और यदि राजा सामान्य है तो प्रजा सामान्य होती है। प्रजा के सामने राजा का उद्हारण होता है. और प्रजा राजा का अनुसरण करती है.
जिस समय चाणक्य ने अपनी पुस्तक लिखी थी उस समय राजा या सेनापति ही अपनी टीम का लीडर होता था इस प्रकार जैसा राजा या टीम लीडर होता है वैसी ही उसकी टीम होती है अगर टीम लीडर पुण्यात्मा होता है तो टीम भी पुण्यात्मा होती है और यदि टीम लीडर पापी होता है तो टीम भी उसका अनुसरण करते हुए पापी हो जाती है। और जिससे टीम के साथ साथ अन्य लोगो को भी दुख का सामना करना पड़ता है। जैसा कि आचार्य चाणक्य ने लिखा है

कुराजराज्येन कुतः प्रजासुखं कुमित्रमित्रेण कुतोऽभिनिवृत्तिः।

कुवारवारैश्च कुतो गृहे रतिः कृशिष्यमध्यापयतः कुतो यशः।।

आचार्य चाणक्य दुष्ट टीम लीडर के प्रभाव को प्रतिपादित करते हुए कहते हैं कि दुष्ट राजा के राज्य में प्रजा सुखी कैसे रह सकती है। दृष्ट मित्र से आनन्द कैसे मिल सकता है। दुष्ट पत्नी से घर में सुख कैसे हो सकता है ? तथा दुष्ट-मूर्ख शिष्य को पढ़ाने से यश कैसे मिल सकता है।

अर्थात दुष्ट-निकम्मे राजा के राज्य में प्रजा सदा दुःखी रहती है। इसलिए सुखी रहने के लिए अच्छे राजा के राज्य में रहना चाहिए। यह श्लोक टीम लीडर और टीम लीडर के महत्व बताता है इसीलिए अच्छी टीम के लिए अच्छे टीम लीडर का होना बहुत आवश्यक है क्योंकि अगर टीम का लीडर न रहे तो वह टीम नष्ट हो जाती है जो कि एक अन्य श्लोक में बताया है।

आलस्योपहता विद्या परहस्तं गतं धनम्।
अल्पबीजहतं क्षेत्रं हतं सैन्यमनायकम्॥

आलस्य से विद्या नष्ट हो जाती है । दूसरे के हाथ में धन जाने से धन नष्ट हो जाता है । कम बीज से खेत तथा बिना सेनापति वाली सेना नष्ट हो जाती है ।

अर्थात जिस तरह बिना सेना पति के सेना नष्ट हो जाती है। वैसे ही बिना टीम लीडर के टीम भी नष्ट हो जाती है। इसीलिए एक अच्छी टीम