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मानसिक समस्याएं


जय श्री कृष्णा, आशा है आप सभी कुशल मंगल से होंगे आज की वीडियो में हम चर्चा करेंगे कि क्या करे जब आपके साथ के लोग छोटी छोटी गलतियां करे और उससे आपको क्या लाभ होगा तो आज कि वीडियो पर चर्चा प्रारंभ करते है। 


एक दिन विद्यालय में गुरु जी अपने प्रधाध्यापक वाले ऑफिस में बैठे हुए थे उन्होंने सुना कि एक क्लास में बहुत शोर हो रहा है तो गुरु जी से रहा नही गया गुरु जी ने क्लास के बाहर जाकर देखा कि कक्षा में अध्यापक मोबाइल पर कुछ कर रहे है और बच्चे शोर मचा रहे है उन्होंने ने अध्यापक से मोबाइल को साइड में रख कर बच्चो को पढ़ाने के लिए कहा। अध्यापक को न जाने क्यों गुरु जी की बात बुरी लग गई वो बच्चो के सामने ही गुरु जी से उलझ पड़े और कहने लगे कि जब मेरा मन होगा तो पढ़ाऊंगा आप कौन होते है मुझे कहने वाले और इतना कह कर वह विद्यालय से चले गए। गुरु जी थोड़े समय तो कुछ समझ नहीं पाए बिलकुल जडत्व हो गए लेकिन अगले ही पल अपने को संभाला और बाकि की क्लास खुद पढ़ाई उस दिन बच्चो और गुरु जी दोनो को बहुत मजा आया।

घर पहुंच कर जब अध्यापक जी का गुस्सा उतरा तब उन्हें अपनी गलती का अहसास हुआ इसके साथ अध्यापक के दोस्तो ने भी बताया कि इस तरह विद्यालय से चले आना बहुत गलत बात है गुरु जी चाहे तो इसके लिए आप पर प्रतिकूल कार्यवाही भी कर सकते है।

अगले दिन अध्यापक राजीव समय से स्कूल पहुंच गए  और प्राथना सभा के बाद समय निकाल कर गुरु जी के आफिस में पहुंचते है। गुरु जी अपना रूटीन का काम कर रहे थे अध्यापक को देखते ही ऐसे रिएक्ट किया जैसे कल कुछ हुआ ही नहीं था। 

राजीव गुरु जी से कल हुई गलती के लिए माफी मांगते है जिस पर गुरु जी ने कहा अरे नही राजीव  लगता है कल मैने ही कुछ गलत तरीके से बोल दिया होगा जिस पर आपका स्वाभाविक रिएक्शन आया था। मुझे अपनी बात को मधुर वाणी में बोलना चाहिए था। आपको  इसके लिए माफी मांगने की कोई जरूरत नहीं है। 

इस पर अध्यापक राजीव पहले से ज्यादा शर्मिंदा हुए और कहने लगे कि गुरु जी आप प्रधानाध्यापक है मैने बच्चो के सामने आपके साथ बहुत ही गलत व्यवहार किया था।  आप चाहते तो बड़ी आसानी से प्रतिकूल कार्यवाही कर सकते थे लेकिन आप तो खुद ही अपनी गलती मान रहे है। सच में आप बहुत महान है। आप कैसे लोगो को क्षमा कर देते है। 

फिर गुरु जी ने कहा कि आप ज्यादा ही रिएक्ट कर रहे है घर में जब 4 बर्तन होंगे तो स्वाभाविक है कि उनमें शोर होगा। इस पर इतना रिएक्शन की जरूरत नहीं है। आप अपनी  गलती मान रहे है यही आपकी महानता है।  अब तो भगवद गीता की बात मानते हुए आपको क्षमा करना ही पड़ेगा। गुरु जी ने हंसते हुए कहा। 

राजीव ने पूछा गुरु जी भगवद गीता में क्या लिखा है , गुरु जी ने कहा कि भगवद गीता में भगवान श्री कृष्ण ने अपने बारे में बताते हुए  कहा है 


मृत्युः सर्वहरश्चाहमुद्भवश्च भविष्यताम् ।
कीर्तिः श्रीर्वाक्च नारीणां स्मृतिर्मेधा धृतिः क्षमा ॥34॥

मृत्युः-मृत्यु; सर्व-हर:-सर्वभक्षी; च–भी; अहम्–मैं हूँ; उद्धवः-मूल; च-भी; भविष्यताम्-भावी अस्तित्वों में; कीर्तिः-यश; श्री:-समृद्वि या सुन्दरता; वाक्-वाणी; च-और; नारीणाम्-स्त्रियों जैसे गुण; स्मृतिः-स्मृति, स्मरणशक्ति; मेधा-बुद्धि; धृतिः-साहस; क्षमा क्षमा।


अर्थात भगवान कहते है कि मैं सर्वभक्षी मृत्यु हूँ और आगे भविष्य में होने वालों अस्तित्वों को उत्पन्न करने वाला मूल मैं ही हूँ। स्त्रियों के गुणों में मैं कीर्ति, समृद्धि, मधुर वाणी, स्मृति, बुद्धि, साहस और क्षमा हूँ। 

इस श्लोक के अनुसार व्यक्ति में अच्छी स्मरण शक्ति, बुद्धि होनी चाहिए उसकी वाणी मधुर होनी चाहिए, उसमे बुराई का विरोध करने का साहस और गलती को क्षमा करने की शक्ति होनी चाहिए। जिससे व्यक्ति कि कीर्ति फैले और हर जगह उसका सम्मान हो।


कुछ विद्वान ऐसा मानते है कि श्लोक को पढ़ने से ऐसा लग रहा होगा कि कीर्ति, समृद्धि, मधुर वाणी, स्मृति, बुद्धि, साहस और क्षमा यह सब स्त्रियों के गुण है जबकि ऐसा नहीं है। क्योंकि भगवान स्वम पुरुष होकर ये गुण होने की बात कह रहे है तो इसका अभिप्राय सभी व्यक्ति के लिए इन गुणों का होना आवश्यक है। 

गुरु जी कहते है राजीव इस जीवन यात्रा में कई लोग आपसे मिलेंगे उनमें से कुछ बहुत अच्छे और कुछ बहुत बुरे होंगे। उनके साथ जीवन यात्रा करते समय कई लोग ऐसे मिलेंगे जो आपको दुखी और परेशान करेंगे। अगर हम उनके छोटे छोटे अपराधो की पोटली को अपने सर पर रखेंगे तो हमारी यात्रा बहुत कठिन हो जायेगी। 

इसीलिए बेहतर है कि अगर कोई अपने अपराध के लिए क्षमा मांगे तो हम छोटी छोटी गलतियों को क्षमा करते चले। जिससे हमारी जीवन यात्रा आसानी से पार हो सके। इतना कहते ही गुरु जी अपने काम में लग गए। 

ओह इसीकरण लोग आपका इतना सम्मान करते है राजीव ने अपने मन में सोचा और मन ही मन गुरु जी और भगवद गीता को प्रणाम करते हुए अपनी क्लास लेने चले गए। 

साथियों इसी के साथ आज की चर्चा यही समाप्त होती है। अगर आपको लगता है कि आपके पास इस समस्या को कोई और इससे बेहतर उपाय है तो कमेंट के माध्यम से अवश्य बताएं। आपका कॉमेंट किसी का जीवन बदल सकता है। वीडियो अच्छी लगी हो तो वीडियो लाईक करे। वीडियो को शेयर करे ताकि यह वीडियो किसी जरूरत मंद के काम आ सके। अगर आपके पास ऐसी ही कोई समस्या है जिससे आप मुक्ति पाना चाहते है तो कमेंट करे, आप चाहे मेल भी कर सकते है, ईमेल एड्रेस एंड स्क्रीन में और डिस्क्रिप्शन बॉक्स में मिल जायेगा। आगे भी आपको इसी तरह की वीडियो मिलेगी इसीलिए अगर आप हमारे चैनल पर पहली बार आए है तो हमारे चैनल को subscribe करके हमारे साथ जुड़ जाइए। आज की चर्चा में सामिल होने के लिए आप सभी का धन्यवाद, राधे राधे 



मन की शक्ति

जय श्री कृष्णा, साथियों, आशा है आप सभी कुशल मंगल से होंगे हम अपनी वीडियो में काल्पनिक कहानियों के माध्यम से रियल टाइम प्रॉब्लम पर चर्चा करते है। आज की कहानी में हम चर्चा करेंगे कि पॉजिटिव माइंड सेट का हमारी सफलता में कितना बड़ा योगदान है। और भगवद गीता इस विषय पर क्या कहती है। तो आइए आज की वीडियो पर चर्चा प्रारंभ करते है। 

आज हम बात करेंगे रवि की, बात पिछले साल की है, गुरु जी रोज सुबह करीब 5 बजे मॉर्निंग वॉक के लिए जाते है। मॉर्निंग वॉक वाले पार्क पर जाने के लिए कुछ दूर हाईवे पर भी चलना पड़ता है। गुरु जी हाईवे पर चलते समय बहुत सावधानी बरतते है क्योंकि हाईवे पर ट्रक और बस बड़ी तेजी से चलते है। 

आज भी गुरु जी बहुत सावधानी से हाईवे पर चल रही थे , तभी गुरुजी ने देखा कि एक 25 साल का युवक हाईवे के किनारे एक चबूतरे पर बैठा हुआ है और उसका बैग वही पर पड़ा है, गुरु जी की पारखी नजरो ने जान लिया कि वह लड़का किसी बहुत बड़ी उलझन में है। गुरु जी उसकी ओर ही चल रहे थे। गुरु जी कुछ दूर और चले होंगे कि उन्होंने उन्होंने देखा कि लड़का अचानक उठ खड़ा हुआ और सामने से एक ट्रक भी बड़ी तेजी से आ रहा था। गुरु जी को किसी बड़े अनिष्ट की आशंका हुई वो तेजी से लड़के की तरफ लपके और तेज से आवाज लगाई। उन्होंने देखा कि लड़का ट्रक के आगे कूद गया भला हो ट्रक वाले का उसने गुरु जी आवाज सुनकर इमरजेंसी ब्रेक लगा कर ट्रक रोक ली और लड़के की जान बच गई। 

ट्रक वाला बड़ी गुस्से से नीचे उतरा और लड़के से लड़ने लगा कि मेरा ही ट्रक मिला था मरने के लिए अगर पुलिस केस हो जाता तो तुम्हारे कारण मैं जेल चला जाता। गुरु जी ने ट्रक वाले को समझाया और तो ट्रक वाले का गुस्सा शांत हुआ और वह वहा से चला गया।

गुरु जी लड़के को अपने साथ पार्क में ले गए पूरे रास्ते में लड़का बिलकुल गुमसुम रहा पार्क में गुरु जी एक बेंच पर बैठ गए और लड़के से भी बैठने के लिए कहा। फिर लड़के से पूछा तुम कौन और तुम्हारा घर कहा है। लड़का पहले तो कुछ नहीं बोला लेकिन गुरु जी के ज्यादा जोर देने पर बोला कि उसका नाम रवि है और उसका घर पास में ही है। फिर गुरु जी उसकी उलझन और आत्महत्या का कारण पूछा पहले तो रवि ने संकोच किया लेकिन जब वह जाना कि जिससे वह बात कर रहा है वह गुरु जी है तब रवि ने बोलना शुरू किया कि मेरे माता पिता बहुत गरीब है किसी तरह उन्होंने ने मुझे पढ़ाया लिखाया , पढ़ाई में बहुत होशियार था इसीलिए कारण मेरे पिता ने जैसे तैसे करके मुझे सिविल की तैयारी करने के लिए दिल्ली भेजा। मैं दिल्ली में मुखर्जी नगर में रह कर तैयारी कर रहा था रहने और तैयारी का पैसा पिता जी जैसे तैसे करके भेज रहे थे मैं पिछले 4 साल से दिल्ली में हूं कई बार सिविल का एग्जाम दिया हर बार मेरा सलेक्शन कुछ नंबरों से रुक जाता था और इस बार इंटरव्यू भी दिया लेकिन कुछ पहले मेरा रिजल्ट आया तो इस बार भी मेरा नही हुआ। अब पिता जी से पैसे मांगने के हिम्मत नही थी इसीलिए कल मैं दिल्ली से घर वापस आ गया कि अब यही रह कर कोई छोटी मोटी नौकरी करूंगा। लेकिन जब घर पहुंचा तो पिता जी ने धक्के मारकर घर से निकाल दिया। पिता जी की उम्मीदों को पूरा नहीं कर पाया इसीलिए अब जिंदगी से ऊब गया हूं। सोचा कि आत्महत्या कर लू जिससे पिता जी को इंश्योरेंस के पैसे मिल सके। जिंदा रहते अपने माता पिता के कुछ काम नही आ पाया मर कर ही उनके काम आ जाऊ।

गुरु जी ने रवि लगभग डांटते हुए कहा कि तुम कितनी बड़ी मूर्खता कर रहे थे तुम्हे इसका अहसास नही है जिस पिता जी की उम्मीदों को पूरा न कर पाने के कारण तुम आत्म हत्या कर रहे थे सोचो अगर उन्हें पता चलता कि तुमने आत्महत्या कर ली है तब उनके ऊपर क्या बीतेगी वह कैसे अपना जीवन काटते हो सकता है तुम्हारी आत्महत्या की खबर सुनने के बाद वो लग भी आत्महत्या कर ले। जीवन में सिविल सर्विसेज के अलावा भी करने को बहुत कुछ है अगर सिविल सर्विसेज में नही हो रहा तो किसी और की तैयारी करो यूं हिम्मत हारना और हार कर वापस घर चला आना कहा की समझदारी है।

गुरुजी ने आगे कहा कि तुम समझ नही सके कि तुम्हारे पिता जी ने तुम्हे घर से क्यों निकाला और वापस दिल्ली जाने को क्यों कहा क्योंकि वो चाहते है कि तुम दिल्ली वापस जाओ और पूरे मन से फिर तैयारी करो। हमारी सफलता में हमारा मन बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। भगवद गीता में भगवान श्री कृष्ण ने कहा है 


उद्धरेदात्मनात्मानं नात्मानमवसादयेत् ।
आत्मैव ह्यात्मनो बन्धुरात्मैव रिपुरात्मनः ॥5॥

उद्धरेत्-उत्थान; आत्मना-मन द्वारा; आत्मानम्-जीव; न-नहीं; आत्मानम्-जीव; अवसादयेत्-पतन होना; आत्मा-मन; एव–निश्चय ही; हि-वास्तव में; आत्मनः-जीव का; बन्धुः-मित्र; आत्मा-मन; एव-निश्चय ही; रिपुः-शत्रु; आत्मनः-जीव का।

Translation
BG 6.5: मन की शक्ति द्वारा अपना आत्म उत्थान करो और स्वयं का पतन न होने दो। मन जीवात्मा का मित्र और शत्रु भी हो सकता है।

श्लोक के अनुसार मनुष्य को अपने मन को हमेशा मजबूत रखना चाहिए अर्थात अपनी सोच को हमेशा पॉजिटिव रखनी चाहिए जिससे आप जो भी काम करे पूरे मन से करे। जिससे आप जीवन में हर जगह सफलता पाएंगे लेकिन अगर अपने मन को कमजोर किया अर्थात अपनी सोच को नेगेटिव रखी तब आप पूरे मन से काम नहीं करेंगे जिससे आपका पतन कोई रोक नहीं सकता। वास्तव में मन ही मनुष्य का सबसे बड़ा मित्र भी है और सबसे बड़ा शत्रु भी।

तुमने बताया कि तुम्हारा हर अटेम्प्ट कुछ नंबरों से रुक रहा है और इस बार लेकिन तुम्हारा सलेक्शन इंटरव्यू में नही हुआ अर्थात तुमने पूरी परीक्षा पास कर ली थी सिर्फ कही न कही बहुत छोटी से कमी है जिसे तुम्हे दूर करना हैं। दिल्ली जाओ पूरे मन से तैयारी करो और अपने पिता के सपनो को पूरा करो। 

इन बातों से रवि का मन बहुत हल्का हुआ उसने गुरु जी को कभी भी आत्महत्या न करने की कसम खाई। और दिल्ली वापस जा कर फिर से पूरे मन से तैयारी करने की बात कही। इस पर गुरु जी रवि को घर लेकर आए गुरु जी की पत्नी ने रवि को खाना खिलाया और कुछ खाना रास्ते के लिए भी पैक कर दिया। गुरु जी ने पूछा दिल्ली जाने का किराया है इस पर रवि कुछ नही बोला गुरु जी समझ गए और रवि को कुछ रुपए दिए। फिर शाम को ट्रेन पकड़ कर रवि दिल्ली चला गया। 

आज इस घटना को करीब साल भर हो गए, कुछ दिन पहले रवि का फोन आया था कि इस बार उसने सिविल की परीक्षा पास कर ली है और वह IAS बन गया है। फोन पर बात करते करते रवि ने कहा आप मेरे दूसरे पिता है एक पिता ने जीवन दिया है और आपने मेरा जीवन बचाया है इतना कहते हुए रवि को रोना आ गया और गुरु जी की आंखो में भी आंसू आ गए। आज रवि घर आने वाला है इसी लिए गुरु जी को घटना याद आ रही। दरवाजे पर गाड़ी की हॉर्न बजने से गुरुजी का ध्यान टूटा और सोचा कि सायद रवि आ गया और दरवाजा खोलने के लिए दरवाजे की तरफ चलने लगे।

साथियों इसी के साथ आज की कहानी यही समाप्त होती है। आज की चर्चा में सामिल होने के लिए आप सभी का धन्यवाद, अगर आपको लगता है कि आपके पास इस समस्या को कोई और इससे भी बेहतर उपाय है तो कमेंट के माध्यम से अवश्य बताएं। वीडियो को लाइक और शेयर करे ताकि यह वीडियो इसके जरूरत मंद तक पहुंच सके। आगे भी आपको इसी तरह की वीडियो मिलेगी इसीलिए अगर आप हमारे चैनल पर पहली बार आए है तो हमारे चैनल को subscribe करके हमारे साथ जुड़ जाइए। जल्द ही हम किसी अन्य विषय पर चर्चा करेंगे तब तक के लिए राधे राधे 


जय श्री कृष्णा, आशा है आप सभी कुशल मंगल से होंगे आज की वीडियो में हम चर्चा करेंगे कि सामाजिक भेद भाव पर भगवद गीता में भगवान श्री कृष्ण ने क्या कहा है । और साथ जो लोग सामाजिक रूप से किसी व्यक्ति से भेदभाव करते है उन्हे भागवद गीता में क्या कहा गया है। तो आइए आज कि वीडियो पर चर्चा प्रारंभ करते है।

साथियों मैने कही देखा था शायद किसी शॉर्ट वीडियो में देखा था कि महाभारत यह सिखाती है कि छात्रों में भेदभाव करना चाहिए। और सामाजिक रूप से व्यक्ति व्यक्ति में कैसे भेद भाव होता है। लेकिन आज मैं बताऊंगा कि।महाभारत के अंतर्गत लिखित भगवद गीता इस विषय पर क्या कहती है। अर्थात भगवद गीता महाभारत का अंश है। 

आज की कहानी है हरिनारायण की। आज गुरु जी को किसी कार्य से दूसरे विद्यालय में गए। वहा सबसे शिष्टाचार वाले अभिवादन के बाद गुरु जी अपने काम में लग गए। काम समाप्त कर गुरु जी जब अपने विद्यालय वापस आने लगे तभी गुरु जी को हरिनारायण जी ने अपने पास बुला लिया। 

हरिनारायण जी उस विद्यालय के अध्यापक थे। गुरु जी ने जब बुलाने के कारण पूछा तब हरिनारायण जी ने कहा कि हमारे स्कूल के प्रधानाध्यापक राज बहादुर सिंह आपके बहुत अच्छे मित्र है उन्हे समझाइए कि मुझसे ठीक से व्यवहार किया करे। मैने कहा गुरु जी ठीक से बताइए कि वास्तव में क्या हुआ। ठाकुर साहब तो बहुत नेक दिल इंसान है हमेशा लोगो की मदद भी करते है समाज में उनका बहुत मान सम्मान है आपके साथ उन्होंने ऐसा क्या कर दिया। राज बहादुर सिंह जी को सभी लोग ठाकुर साहब के नाम से जानते है।

हरिनारायण गुरु जी ने कहा कि आप सही कह रहे है ठाकुर साहब बहुत नेक दिल इंसान है हमेशा लोगो की मदद भी करते है मुझे भी मेरी लड़की की शादी में 1 लाख 11 हजार रुपए दिए थे। लेकिन गुरु जी समस्या यह है कि वह मेरे साथ भेदभाव करते है। 

वह मेरे साथ बैठते नही है ऐसा नहीं है कि मैं कही बैठा रहूंगा तो मुझे उठा देंगे, बस जहा मैं बैठा रहूंगा वहा वह खड़े रहेंगे लेकिन मेरे साथ नहीं बैठेंगे। 

जब मैं घर से कुछ बनवा के लाऊंगा तो भी वह नहीं खाते। वैसे उन्होंने कभी भी अपने मुंह से मेरे लिए कोई गलत शब्द नही बोला और न ही कभी यह स्वीकार किया कि वह सामाजिक रूप से मेरा बहिस्कार करते है। बस मुझे ऐसा लगता है। 

मेरी पत्नी ठाकुर साहब को बहुत मानती है उनके बहुत अहसान है। आज उसने बड़े मन से ठाकुर साहब के लिए खीर भेजी थी। ठाकुर साहब ने खीर सभी स्टाफ में बटवा दी लेकिन खुद नहीं ली। इस घटना ने मुझे बहुत दुखी कर दिया है। यह कह कर हरिनारायण गुरु जी ने अपना सिर झुका लिया। 

गुरु जी ने कहा मुझे लग रहा कि कही कोई गलत फहमी है ठाकुर साहब बड़े सज्जन व्यक्ति है । ठीक है मैं ठाकुर साहब से बात करता हू कि उनके मन में क्या है। फिर आपसे बात करता हू। यह कहकर गुरुजी प्रधानाध्यापक कक्ष में चले गए। वहा पर ठाकुर साहब कुछ काम कर रहे थे। 

जब ठाकुर साहब काम से खाली हुए तब उन्होंने गुरु जी ने हाल चाल लिया गुरु जी ने हरिनारायण जी से जुड़ी हुई सारी बात बताई। 

तब ठाकुर साहब ने स्वीकार करते हुए गुरु जी आप सही कह रहे है न जाने क्यों मेरा मन हरिनारायण जी से व्यवहार रखने का नही होता है। वैसे तो हमारे पूर्वज तो इनके हाथ का छुआ हुआ कोई सामान नहीं लेते थे ये लोग जिस रास्ते से गुजर जाए हम लोग उस रास्ते से गुजरते नही थे। लेकिन आज के जमाने में कहा इतना हो पता है। हमारी धार्मिक पुस्तकें भी इनसे दूरी बनाने को कहती है। 

मैने पूछा आप किस धार्मिक पुस्तक की बात कर रहे है। क्या आपने कही पढ़ा है। 

 ठाकुर साहब ने कहा मैंने कही पढ़ा तो नही है लेकिन सोशल मीडिया में देखा है।

ओह तो आप व्हाट्सएप यूनिवर्सिटी की बात कर रहे है, गुरु जी ने हंसते हुए कहा। अच्छा ठाकुर साहब आप श्री मद भगवद गीता को मानते है। 

ठाकुर साहब ने कहा क्या कह रहे है गुरु जी श्री मद भगवद गीता स्वं भगवान की वाणी है वह सभी वेदों का सार है। हमारे घर में रामायण और भगवद गीता की रोज पूजा होती है। 

तो ठाकुर साहब आप मेरी नही तो भगवद गीता की बात मानिए भगवद गीता में लिखा है

विद्याविनयसंपन्ने ब्राह्मणे गवि हस्तिनि।
शुनि चैव श्वपाके च पण्डिताः समदर्शिनः।।5.18।।


अर्थात ज्ञानी महापुरुष विद्या-विनययुक्त ब्राह्मण में और चाण्डालमें तथा गाय, हाथी एवं कुत्तेमें भी समरूप परमात्माको देखनेवाले होते हैं।

इस श्लोक के अनुसार समाज के सभ्य लोग ब्राह्मण अर्थात जाति व्यवस्था में सबसे उच्च जाति, चांडाल अर्थात जाति व्यवस्था में सबसे नीची जाति , गाय हिंदुओं का पूज्य जानवर, कुत्ता मनुष्य द्वारा पाला गया सबसे पहले जानवर और हाथी जंगल का सबसे शक्ति शाली जानवर , इस सब में भगवान के देखते है। इनके साथ समान व्यवहार करते है अकारण इन्हे परेशान नही करते। जबकि असमाज के अज्ञानी और असभ्य लोग इनमे भेदभाव करते है इन्हे अपने से नीचा दिखाते है। 

अब आप बताइए ठाकुर साहब आप ज्ञानी है कि अज्ञानी। हमारे पूर्वजों ने गलत किया और उसका दुष्परिणाम आरक्षण के रूप में आज हम भुगत रहे है और हमारे कर्मों का परिणाम कल हमारे निर्दोष बच्चे भुगतेंगे। इस कुप्रथा को यही समाप्त करना चाहिए जैसे हमने सती प्रथा और बाल विवाह जैसी कई कुप्रथाओं को समाप्त किया है। 

गुरु जी बातों से ठाकुर साहब को विश्वास नही हुआ उन्होंने गूगल में जाकर सर्च किया फिर घर में रखी भगवद गीता से इस बात की पुष्टि की फिर कुछ सोचने लगे इसी बीच गुरुजी ने भी उन्हें डिस्टर्ब नहीं किया क्योंकि वह भी जानते थे इतना पुराना मेल इतनी आसानी से नहीं जाएगा। 

अंत में बहुत सोच विचार कर ठाकुर साहब ने गुरु जी का नाम लेकर कहा तुमने मेरी आंखे खोल दी तुम उमर में मेरे से छोटे हो लेकिन आज मुझे तुम्हे अपना गुरु बनाने का मन कर रहा है। मैं अपने आप को बड़ा धार्मिक पुस्तकों का बड़ा जानकर मानता था और उन पुस्तको में लिखे कर्मकांड को मानता था। इसिकरण यह सब सिर्फ धर्म मानने के कारण करता था। जबकि मेरी पूज्य भगवद गीता में तो मेरी सोच का उल्टा लिखा है। मैने हजारों बार इस श्लोक को पढ़ा होगा लेकिन आज मैं इस श्लोक के सही अर्थ को जान पाया हू। आज से मैं वही करूंगा जो भगवद गीता में लिखा है। 

फिर ठाकुर साहब ने हरिनारायण जी को आवाज लगाई और उनसे पूछा कि आपकी खीर बची हो तो कृपया लेकर आइए आज बहुत जरूरी ज्ञान की बात सीखने को मिली है इसीलिए मीठा खाने का बहुत मन हो रहा है । फिर ठाकुर साहब, हरिनारायण जी और गुरु जी ने हरिनारायण जी की पत्नी के हाथो से बनी खीर खाई और सबने खीर खाते समय एक साथ सेल्फी भी ली। 

साथियों इसी के साथ आज की चर्चा यही समाप्त होती है। आज की चर्चा में सामिल होने के लिए आप सभी का धन्यवाद। अगर आपको लगता है कि आपके पास इस समस्या को कोई और इससे बेहतर विकल्प है तो कमेंट के माध्यम से अवश्य बताएं। वीडियो अच्छी लगी हो तो वीडियो को लाईक करे और शेयर करे। अगर आप हमारे चैनल पर पहली बार आए है तो हमारे चैनल को subscribe करके हमारे साथ जुड़ जाइए। जल्द ही मिलते है इसी तरह की दूसरी वीडियो पर, तब तक के लिए राधे राधे 



जय श्री कृष्णा, आशा है आप सभी कुशल मंगल से होंगे आज की वीडियो में हम चर्चा करेंगे कि अन्याय करने वालो को भगवान कैसे सजा देते है l तो आइए आज कि वीडियो पर चर्चा प्रारंभ करते है।

आज गुरु जी जब पार्क में टहल रहे थे तभी उनकी मुलाकात शर्मा जी से होती है शर्मा जी नगर निगम में काम करते है। स्वाभाविक अभिवादन के बाद शर्मा जी और गुरु जी एक बेंच पर बैठ कर बात करने लगे। बातों बातों में शर्मा जी ने कहा कि गुरु जी आपको होटल ब्लू स्टार गैलेक्सी याद है। कल होटल में बहुत दुखद घटना हुई है होटल में एक कार्यक्रम के समय गैस सिलेंडर में विस्फोट हो गया और होटल के मालिक की मौत हो गई है। 

होटल ब्लू स्टार गैलेक्सी यह नाम सुनकर गुरु जी के आंखो के सामने साल भर पहले की एक दर्दनाक घटना गुजरने लगी। उस समय शहर के बीचों बीच में एक आलीशान 5 स्टार होटल बन रहा था उसी का नाम था होटल ब्लू स्टार गैलेक्सी। उस होटल के सामने रोड के किनारे किनारे कुछ लोग झोपड़ी बना कर अस्थाई रूप से अपना गुजर बसर कर रहे थे। होटल के अमीर मालिक को ये झोपड़िया बहुत अखरती थी। उसे लगता था कि जैसे इन झोपड़ियों से उसके होटल की शोभा कम हो रही है। होटल के मालिक ने उन झोपड़ियों को खाली करवाने के कई बार कोशिश की लेकिन सफल नहीं हुआ। 

फिर होटल के मालिक ने अपने साले से बात की और नेताओं से सांठ गांठ कर उन झोपड़ियों को अतिक्रमण घोषित करवा दिया। और अगले ही दिन बिलकुल सुबह सुबह बुलडोजर से सभी झोपड़ियों को तोड़ दिया गया उन गरीबो को संभालने का मौका भी नही दिया गया। झोपड़ियों को तोड़ते समय उसने झोपड़ियों में आग लगवा दी जिससे गरीब लोग दुबारा उस जगह फिर से न बस सके। जो लोग बड़े थे वह बाहर निकल आए लेकिन एक झोपडी में सो रही 2 महीने की मासूम बच्ची जल कर मर गई। उसकी मां का रो रो कर होटल के मालिक को कोस रही थी। पुलिस भी आई सब कुछ हुआ लेकिन पैसे और शासन के जोर के आगे होटल के मालिक का कुछ भी नहीं हुआ। आखिर गरीबों की कौन सुनता है। लेकिन एक है जो सबकी सुनता है सब कुछ देखता है और समय आने पर सजा भी देता है। भगवद गीता में लिखा है।  


परित्राणाय साधूनां विनाशाय च दुष्कृताम्।

धर्मसंस्थापनार्थाय संभवामि युगे युगे।।4.8।।
 

अर्थात साधुओं की रक्षा करनेके के लिये पाप कर्म करनेवाले दुष्टों का नाश करनेके लिये और धर्म की स्थापना करने के लिये मैं युग युग में अर्थात् प्रत्येक युगमें प्रकट हुआ करता हूँ।

इस श्लोक के अनुसार जब भी कभी पर किसी के साथ अन्याय होगा तब तब उसका बदला लेने के लिए भगवान किसी न किसी रूप में अवश्य प्रकट होते है।

जैसे इस कहानी में भगवान ak सिलेंडर के रूप में प्रकट हुए है। भगवान सभी के कर्मों का हिसाब रखते है और पाप करने वालो को उसके कर्मो के अनुसार दंड देते है। 

इस घटना को याद करके गुरु जी की आंखे भर आई वो ॐ शांति कह कर अपने घर जाने के लिए उठ खड़े हुए। उनकी अब कुछ भी बात करने का मन नहीं कर रहा था।

साथियों इसी के साथ आज की चर्चा यही समाप्त होती है। आज की चर्चा में सामिल होने के लिए आप सभी का धन्यवाद। अगर आपको लगता है कि आपके पास इस समस्या को कोई और इससे बेहतर विकल्प है तो कमेंट के माध्यम से अवश्य बताएं। वीडियो अच्छी लगी हो तो वीडियो को लाईक करे और शेयर करे। अगर आप हमारे चैनल पर पहली बार आए है तो हमारे चैनल को subscribe करके हमारे साथ जुड़ जाइए। जल्द ही मिलते है इसी तरह की दूसरी वीडियो पर, तब तक के लिए राधे राधे 

तस्मात्त्वमुत्तिष्ठ यशो लभस्व जित्वा शत्रून् भुङ्क्ष्व राज्यं समृद्धम्।

मयैवैते निहताः पूर्वमेव निमित्तमात्रं भव सव्यसाचिन्।।11.33।।

Meaning:- Therefore you rise up, (and) gain fame; and defeating the enemies, enjoy a prosperous kingdom. These have been killed verily by Me even earlier; be you merely an instrument, O Savyasacin (Arjuna).


अर्थ:- इसलिये तुम युद्धके लिये खड़े हो जाओ और यशको प्राप्त करो तथा शत्रुओंको जीतकर धन-धान्यसे सम्पन्न राज्यको भोगो। ये सभी मेरे द्वारा पहलेसे ही मारे हुए हैं। हे सव्यसाचिन् ! तुम निमित्तमात्र बन जाओ।


Important word:- ‘fame, kingdom’

सहजं कर्म कौन्तेय सदोषमपि न त्यजेत्।
सर्वारम्भा हि दोषेण धूमेनाग्निरिवावृताः।।18.48।।

Meaning:- O son of Kunti, one should not give up the duty to which one is born, even though it be faulty. For all undertakings are surrounded with evil, as fire is with smoke.


अर्थ:-हे कौन्तेय ! दोषयुक्त होने पर भी सहज कर्म को नहीं त्यागना चाहिए; क्योंकि सभी कर्म दोष से आवृत होते है, जैसे धुयें से अग्नि।।


Important word:- ‘shouldn’t give up on your duty, fire with smoke’

यत्र योगेश्वरः कृष्णो यत्र पार्थो धनुर्धरः।
तत्र श्रीर्विजयो भूतिर्ध्रुवा नीतिर्मतिर्मम।।18.78।

Meaning:- Wherever is Krishna, the Lord of Yoga; wherever is Arjuna, the wielder of the bow; there are prosperity, victory, happiness and firm policy; such is my conviction.


अर्थ:- जहाँ योगेश्वर श्रीकृष्ण हैं और जहाँ धनुर्धारी अर्जुन है वहीं पर श्री, विजय, विभूति और ध्रुव नीति है, ऐसा मेरा मत है।।