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 चाणक्य ने कहा हैं कि दुसरो के अनुभव से सीखो, स्वयं से संपूर्ण का अनुभव लेने का प्रयास करोगे तो ये जीवन कम पड़ जायेगा. 

अब प्रश्न उठता है कि दुसरो के अनुभव से कैसे सीखे, कई महापुरुष इस धरती को छोड़ कर जा चुके है और जो है उनसे आसानी से मिल पाना मुश्किल है.

 इसका उत्तर है उन महापुरुषो के द्वारा लिखी हुई पुस्तके, जिसमे उन महापुरुषो अपना अनुभव लिखा है. अच्छी पुस्तके बहुत बड़ी और उनकी भाषा बेहद कठिन होती है जिन्हें पढ़ने और समझने मे बहुत समय लगता है. 

दूसरा विकल्प है कि इन किताबो की ऑडियो बुक. ऑडियो बुक अच्छी तो होती है लेकिन ऑडियो बुक के साथ बड़ी समस्या यह है कि इन ऑडियो बुक को सुनते समय नींद आ जाती है और कुछ समझ मे भी नही आता. 

इन समस्या का हल निकालने के लिए हमारी टीम इस ब्लॉग का निर्माण कर रही है, जिसमे पूरी बुक के नोटस को बहुत ही संक्षेप और अपनी मातृ भाषा मे लिखा जायेगा. जिससे पढ़ने और समझने मे बहुत आसानी होगी।