Recents in Beach

भगवद गीता करेंट






सुख दुख में समान रहता है

मूल श्लोकः
यं हि न व्यथयन्त्येते पुरुषं पुरुषर्षभ।

समदुःखसुखं धीरं सोऽमृतत्वाय कल्पते।।2.15।।
 

Hindi Translation Of Sri Shankaracharya's Sanskrit Commentary By Sri Harikrishnadas Goenka
।।2.15।।शीतउष्णादि सहन करनेवालेको क्या ( लाभ ) होता है सो सुन

सुखदुःखको समान समझनेवाले अर्थात् जिसकी दृष्टिमें सुखदुःख समान हैं सुखदुःखकी प्राप्तिमें जो हर्षविषादसे रहित रहता है ऐसे जिस धीर बुद्धिमान् पुरुषको ये उपर्युक्त शीतोष्णादि व्यथा नहीं पहँचा सकते अर्थात् नित्य आत्मदर्शनसे विचलित नहीं कर सकते।
वह नित्य आत्मदर्शननिष्ठ और शीतोष्णादि द्वन्द्वोंको सहन करनेवाला पुरुष मृत्युसे अतीत हो जानेके लिये यानी मोक्षके लिये समर्थ होता है।

Sanskrit Commentary By Sri Shankaracharya
।।2.15।।

 यं हि पुरुषं समे दुःखसुखे यस्य तं समदुःखसुखं सुखदुःखप्राप्तौ हर्षविषादरहितं धीरं धीमन्तं न व्यथयन्ति न चालयन्ति नित्यात्मदर्शनाद् एते यथोक्ताः शीतोष्णादयः स नित्यात्मस्वरूपदर्शननिष्ठो द्वन्द्वसहिष्णुः अमृतत्वाय अमृतभावाय मोक्षायेत्यर्थः कल्पते समर्थो भवति।।
इतश्च शोकमोहौ अकृत्वा शीतोष्णादिसहनं युक्तं यस्मात्
 

Hindi Translation By Swami Ramsukhdas
।।2.15।। कारण कि हे पुरुषोंमें श्रेष्ठ अर्जुन! सुख-दुःखमें सम रहनेवाले जिस धीर मनुष्यको ये मात्रास्पर्श (पदार्थ) व्यथित (सुखी-दुःखी) नहीं कर पाते, वह अमर होनेमें समर्थ हो जाता है अर्थात् वह अमर हो जाता है।
 

Hindi Translation By Swami Tejomayananda
।।2.15।। हे पुरुषश्रेष्ठ ! दुख और सुख में समान भाव से रहने वाले जिस धीर पुरुष को ये व्यथित नहीं कर सकते हैं वह अमृतत्व (मोक्ष) का अधिकारी होता है।।



नशा
मूल श्लोकः
ये हि संस्पर्शजा भोगा दुःखयोनय एव ते।

आद्यन्तवन्तः कौन्तेय न तेषु रमते बुधः।।5.22।।
 

Hindi Translation By Swami Ramsukhdas
।।5.22।। क्योंकि हे कुन्तीनन्दन ! जो इन्द्रियों और विषयोंके संयोगसे पैदा होनेवाले भोग (सुख) हैं, वे आदि-अन्त वाले और दुःखके ही कारण हैं। अतः विवेकशील मनुष्य उनमें रमण नहीं करता।

इर्ष्या

ईर्ष्यी घृणी न संतुष्टः क्रोधनो नित्यशङ्कितः। परभाग्योपजीवी च षडेते नित्यदुःखिताः॥

ईर्ष्यालु, घृणा करने वाला, असंतोषी, क्रोधी, सदा संदेह करने वाला तथा दूसरों के भाग्य पर जीवन बिताने वाला-ये छह तरह के लोग संसार में सदा दुःखी रहते हैं ।