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चाणक्य नीति से अपना बिजनेस करे



चाणक्य नीति के अध्याय 2 श्लोक 7 के अनुसार मन से सोचे हुए कार्य को वाणी के द्वारा प्रकट नहीं करना चाहिए, परंतु मनन पूर्वक भली प्रकार सोचते हुए उसकी रक्षा करनी चाहिए। और चुप रहते हुए उस सोची हुई बात को कार्य रूप में बदलना चाहिए। 

अर्थात आचार्य कहते है कि हमे अपने प्लान को किसी के सामने प्रकट नहीं करना चाहिए लेकिन उसे बार बार ध्यान करके उसे पूरा करना चाहिए। इसके लिए आप डायरी का प्रयोग कर सकते है। डायरी में अपने गोल को लिखिए रिसर्च में साबित हुआ है कि अपने हाथो से लिखा हुआ सीधे हमारे दिमाग पर प्रिंट हो जाता है। इसीलिए अपने गोल कों डायरी पर लिखिए। साथ ही साथ उसकी नियमित ट्रैक करके उसे भी डायरी पर लिखते रहिए। जैसे अगर कोई गोल मंथ में पूरा होने वाला है तो उसे डेली ट्रैक कीजिए। अगर कोई गोल साल में पूरा होने वाला है तो उसे विकली ट्रैक कीजिए। लेकिन अगर कोई गोल बहुत बड़ा है और कई वर्षो में पूरा होने वाला है तो उसकी प्रोग्रेस कम से कम मंथली चेक करना चाहिए ऐसे गोल्स को मंथली ट्रैक कीजिए। जिससे आपको पता चलता रहे कि आपने गोल को कितना अचीव कर लिया है। जिससे आपका गोल समय से पूरा हो सके। 

गोल बनाना और उसे अचीव करना अपने आप में बहुत बड़ा विषय है अगर इस विषय पर बात करेंगे तो वीडियो बहुत बड़ी हो जाएगी। गोल बनाने और उसे पूरा करने के विषय में दूसरे वीडियो में चर्चा करेंगे। अगर आपको यह सीखना है कि वास्तविक गोल कैसे बनाते हैं तो कमेंट कीजिएगा। अगर कमेंट्स ज्यादा होंगे तो उसकी वीडियो जल्दी आयेगी।


दूसरा स्टेप है खुद पर विश्वास करना। 

आपका सेल्फ कॉन्फिडेंस अर्थात आत्म विश्वास आपको बार बार प्रयास करने के लिए इनकरेज करता है जो किसी भी इंसान को सक्सेसफुल बनाने के लिए बहुत जरूरी है। मान लीजिए कि आपको मैराथन दौड़ना है तो सबसे पहली बात मन में आएगी यह तो नहीं हो पाएगा हम बीच में ही थक जाएंगे और हार जाएंगे। क्या हम अभी थके हुए हैं नहीं फिर भी हमें डर है कि हम गोल तक पहुंचने से पहले तक जाएंगे और हार जाएंगे। अपना गोल अपनी जरूरतों और उम्मीदों के हिसाब से सेट कीजिए ना कि आने वाली मुश्किलों के हिसाब से। क्या पता आप खुद को अंडरस्टीमेट कर रहे हो। 

चाणक्य नीति के अध्याय 3 श्लोक 13 के अनुसार समर्थ अथवा शक्तिशाली लोगो के लिए कोई भी कार्य कठिन नहीं व्यापारियों के लिए कोई भी स्थान दूर नहीं पढ़े लिखे व्यक्ति के लिए कोई भी स्थान विदेश नही, इसी प्रकार जो मधुर भाषी है उनके लिए कोई भी पराया नही।  

चाणक्य कहते हैं समर्थ लोगो के लिए कोई भी कार्य कठिन नहीं है। क्या पता आप उस गोल के लिए सबसे समर्थ व्यक्ति हो। इसीलिए कभी भी अपने गोल के रास्ते में आने वाली मुश्किलों के डर से गोल को नहीं छोड़ना चाहिए कई बार आपके और जीत के बीच का फैसला सिर्फ एक प्रयास का होता है। इसीलिए अपने गोल को पाने के लिए लगे रहिए। फिल्म ॐ शांति ॐ में फिल्म के हीरो शाहरुख खान एक बहुत ही फेमस डायलॉग कहते है कि अगर किसी चीज को दिल से चाहो तो सारी कायनात उससे तुम्हे मिलाने में लग जाती है। तो आप मेरी नही कम से कम शाहरुख खान जी कि बात मानिए और अपने गोल को दिल से चाहिए फिर आप खुद महसूस करेंगे कि सारी कायनात उस गोल को अचीव करने में लग जाती है। 

तीसरा और सबसे इंर्पोटेंट स्टेप है लर्निंग माइंडसेट

 आपको अपनी मंजिल पता है खुद पर पूरा विश्वास भी है लेकिन आप में गोल को अचीव करने की स्किल नहीं है तो क्या आप सक्सेसफुल हो पाएंगे कभी नहीं। मान लीजिए आपको क्रिकेट में विराट कोहली बनना है लेकिन आपको बैट पकड़ने की स्किल भी नहीं है तो क्या आप विराट कोहली जैसे बैट्समैन बन पाएंगे कभी नही। 

 इसीलिए जरूरी है कि आप अपने गोल के लिए खुद को तैयार भी कर ले एक्सपीरियंस और सक्सेसफुल लोगों से बात करें उनकी बुक पढ़े उनके इंटरव्यू सुने इंटरव्यू सुन कर उनकी लाइफ की लर्निंग को समझे वो उस रास्ते से गुजर चुके हैं जिस पर आप बढ़ने वाले हैं । इसलिए उनके एक्सपीरियंस से सीख कर पूरी तैयारी के साथ ही आगे बढ़े। इसके बाद अपने स्किल को प्राप्त करे क्योंकि आपका ज्ञान ही आपकी सफलता की कुंजी है। जैसा की आचार्य कहते है

चाणक्य नीति के अध्याय 4 श्लोक 5 के अनुसार विद्या में कामधेनु के गुण होते है। उससे असमय में ही फलों की प्राप्ति होती है।
विदेश में विद्या ही माता के समान रक्षा और कल्याण करती है। इसीलिए विद्या को गुप्त धन कहा गया है।

विनिंग माइंड सेट के लिए लर्निंग माइंड सेट होना बहुत जरूरी है अपना प्लान बनाते वक्त सभी तरह की सिचुएशंस के बारे में अच्छे से इनफॉरमेशन इकट्ठा कीजिए और सीखिए की किस-किस तरह की चुनौतियां आपके सामने आ सकती है । अपने अंदर उन चुनौतियों को दूर करने की स्किल पैदा कीजिए। 

साथियों इन स्टेप्स को फोलो करके अपने माइंड को विनिंग माइंड सेट में बदल कर जीवन के हर क्षेत्र में सफलता प्राप्त कर सकते है। आगे की सीरीज में इस तरह की बहुत ही बेहतरीन वीडियो आने वाली है इसीलिए चैनल को सबस्क्राइब करके नोटिफिकेशन वाली बेल को all पर सेट कर दीजिए। वीडियो को लाइक और शेयर कर हमारी टीम प्रोत्साहित कीजिए। मिलते है नेक्स्ट वीडियो में। धन्यवाद





चाणक्य नीति की लास्ट वीडियो में हमने चर्चा की थी कि कैसे आप विनिंग माइंड सेट बनाकर अपने गोल का प्लान करते है। इसी सीरीज में आज की वीडियो में हम चर्चा करेंगे कि विनिंग माइंड सेट से बनाए गए गोल के प्लान को एक्जीक्यूट करते समय कोई समस्या आ जाती है तब हमे क्या करना चाहिए। तो आइए आज की वीडियो पर चर्चा प्रारंभ करते है। 

गोल बनाने के बाद आपको गोल को अचीव करने के लिए प्लान बनाना है और फिर अगला स्टेप है गोल के प्लान को एग्जीक्यूट करना। एग्जीक्यूशन के स्टेज में सबसे पहले आपका सामना होगा समस्याओं से। अब तक तो आपने सिर्फ अपना माइंड मेकअप किया था और अपना प्लान बनाया था लेकिन जब आप अपने गोल्स की ओर चलना शुरू करते हैं। रास्ते में आने वाली समस्या का सामना करना पड़ता हैं। समस्याओं का सामना सभी को करना पड़ता है। जैसा कि आचार्य चाणक्य ने अपने इस श्लोक में बताया है

कस्य दोषः कुले नास्ति व्याधिना को न पीडितः। व्यसनं केन न प्राप्तं कस्य सौख्यं निरन्तरम् ॥

चाणक्य नीति के अध्याय 3 श्लोक 1 के अनुसार संसार में ऐसा कौन-सा कुल अथवा वंश है, जिसमे कोई-न-कोई दोष अथवा अवगुण
न हो, प्रत्येक व्यक्ति को किसी न किसी रोग का सामना करना ही पड़ता है, ऐसा मनुष्य
कौन-सा है, जो व्यसन में न पड़ा हो और कौन ऐसा है जो सदा ही सुखी रहता हो, क्योंकि प्रत्येक के जीवन में संकट तो आते ही है। अर्थात कुछ न कुछ समस्या तो सब जगह है और यह एक कड़वी सच्चाई है । इसीलिए समस्या से कभी डर कर भागना नहीं चाहिए बल्कि उसका सामना करना चाहिए।

 समस्या का सामना करने और उस समस्या का समाधान कर ने के लिए 3 स्टेप्स है 

पहला स्टेप है समस्या को लिखे समस्या कुछ भी हो उसे जीतने के लिए सबसे जरूरी है कि समस्या को समझ कर उसे कही लिखें । लिखना आपको ज्यादा क्लेरिटी देगा लिखते वक्त हम समस्या के बारे में अच्छी तरह मंथन कर पाते है। जब तक आपका सामना समस्या से नही होता है तब तक आप समस्या से बचने बारे में विचार करे । लेकिन जब समस्या आपके सामने आकर खड़ी हो जाए तो पूरी ताकत से उसका सामना करे जैसा कि आचार्य ने अपने श्लोक में बताया है।

तावद् भयेषु भेतव्यं यावद्भयमनागतम्। 
आगतं तु भयं दृष्टवा प्रहर्तव्यमशङ्कया॥"

 चाणक्य नीति के अध्याय 5 श्लोक 3 के अनुसार संकट प्रत्येक मनुष्य पर आते है, परंतु बुद्धिमान व्यक्तियो को संकटों और आपत्तियों
से तभी तक डरना चाहिए जब तक वे सिर पर न आ जाएं। संकट और दुख आने पर तो
व्यक्ति को अपनी पूरी शक्ति से उन्हें दूर करने का प्रयत्न करना चाहिए। इसीलिए अपनी समस्या और उसके समाधान का मंथन कीजिए और उन्हे किसी डायरी में नोट कीजिए । डायरी में आपको यह बात नोट करनी है -
1 समस्या क्या है?
2 समस्या का कारण क्या है?
3 समस्या का सबसे बुरा परिणाम क्या हो सकता है?
4 समस्या को कैसे हल किया जा सकता है?

आपने अपनी समस्या को इस तरह से विस्तार से डायरी में लिख लिया तो विश्वास कीजिए आपने आधी समस्या का समाधान कर दिया।

दूसरा स्टेप है समस्या का समाधान सोचिए। अपनी समस्या का समाधान करते समय समस्या के समाधान के बारे में अच्छे से इनफॉरमेशन इकट्ठा कीजिए और सीखिए की किस-किस तरह की समस्या का सामना करना पड़ सकता है और समस्या से क्या क्या नुकसान हो सकता है। यह भी सोचिए कि समस्या का समाधान क्या हो सकता है। आचार्य चाणक्य ने समस्या का समाधान के लिए शेर प्रेरणा लेने को कहा है 
प्रभूतं कार्यमल्पं वा यन्नरः कर्तुमिच्छति ।
सर्वारम्भेण तत्कार्यं सिंहादेकं प्रचक्षते ॥

चाणक्य नीति के अध्याय 6 श्लोक 15 के अनुसार जिस प्रकार कोई शेर अपने शिकार पर पूरी शक्ति से झपटता है और शिकार को भागने का मौका नहीं देता, अपने इसी गुण के कारण शेर कभी भी असफल नहीं होता है। हमें भी शेर की तरह अपने लक्ष्य पर झपटना चाहिए क्योंकि कार्य में किसी प्रकार का ढीलापन हुआ तो कामयाबी दूर हो जाएगी। समस्या छोटी हो या बड़ी पूरी शक्ति से उसका समाधान करना चाहिए। लेकिन जब अपने प्रयास से समाधान न निकले तो एक्सपर्ट से सलाह लेने में संकोच नहीं करना चाहिए। 


तीसरा स्टेप है एक्सपर्ट से सलाह लीजिए वास्तव में सही कहा गया है कि खुद का अनुभव सबसे बड़ा टीचर होता है लेकिन जीवन में हर बात अनुभव करके सीखना जरूरी नहीं होता कुछ बातें दूसरों के एक्सपीरियंस से भी सीख लेनी चाहिए। जब आपको लगे कि यह समस्या आपके सोच से भी बड़ी है तो उसके समाधान के लिए किसी एक्सपर्ट की सहायता लेने में संकोच नहीं करना चाहिए। हर व्यक्ति में कुछ न कुछ गुण है और उनसे कुछ न कुछ सीखा जा सकता है जैसा कि आचार्य चाणक्य कहते है

विनयं राजपुत्रेभ्यः पण्डितेभ्यः सुभाषितम् |
अनृतं द्यूतकारेभ्यः स्त्रीभ्यः शिक्षेत कैतवं ||
                                  
चाणक्य नीति के अध्याय 12 श्लोक 16 के अनुसार व्यक्ति सभी से कुछ न कुछ सीख सकता है। जैसे राजपुत्रो से विनम्रता और
सुशीलता, विद्वान लोगो से प्रिय वचन बोलना, जुआरियों से मिथ्या-भाषण और दुराचारी स्त्रियों से छल करना सीखना चाहिए। कहने का तात्पर्य है कि हर व्यक्ति में कुछ न कुछ गुण है बस हमे अपनी समस्या के लिए उपयुक्त व्यक्ति को ढूंढ कर उससे सही सलाह लेना चाहिए। सही सलाह लेने के लिए एक्सपर्ट को अपनी समस्या को बिल्कुल स्पष्ट रूप से बताना चाहिए। आपने सुना होगा बड़े एक्टर मूवी में अपने कैरेक्टर को लेकर अपराधियों से भी बात करने के लिए संकोच नहीं करते। जैसे उन्हें किसी डाकू का रोल मिला है तो डाकू कैसे जीवन यापन करते है यह जानने के लिए वह डाकू से भी बात करते है। इसीलिए सलाह लेने के लिए कभी भी संकोच न करे। 

आपको मोटिवेट करने के लिए मैं जावेद अख्तर साहब की भी चंद लाइंस आपके सामने पेश कर रहा हूं।

ज़िन्दगी है तो ख्वाब हैं , 
ख्वाब हैं तो मंज़िलें हैं |
मंज़िलें हैं तो फासले हैं, 
फासले हैं तो रास्ते हैं |
रास्ते हैं तो मुश्किलें हैं, 
मुश्किलें हैं तो हौसला है |
हौसला है तो विश्वास है 
क्यूंकि 'फाइटर' हमेशा जीतता है। 

 इन लाइंस को मैंने बचपन में किसी पेन के एडवरटाइजमेंट में सुना था। तब से यह मेरे साथ है। इसे गजल कहते है या कविता कहते है मुझे नहीं पता लेकिन इन चंद लाइंस ने मुझे बहुत मोटिवेट किया। मेरे मुस्किल समय में यह चंद लाइंस मेरे साथ खड़ी थी।पिछली वीडियो में मैने फिल्म ओम शांति ओम से लाइफ लेसन लिया था और इस वीडियो में एक पैन के एडवरटाइजमेंट से लाइफ लेसन ले रहा हू, इसीलिए ज्ञान कही से मिले लेने में संकोच नहीं करना चाहिए।

अगर तीनों स्टेप्स को फोलो करने के बाद आपको लगता है कि आपने गलत प्लान बना लिया है तो हमें प्लान चेंज करने से डरना नहीं चाहिए। सिर्फ इसलिए कि आपने प्लान बनाया है तो जरूरी नहीं, कि आप उस प्लान से चिपके रहे। प्लान के हिसाब से कुछ दूर चलने के बाद अगर आपको रिलाइज होता है कि इस काम को अलग तरह से करके आप इस काम को और आसान बना सकते हैं तो ऐसा करने में झिझकिये मत। आपको अपना इनिशियल प्लान फॉलो करने के लिए कोई ईनाम नहीं दिया जाएगा इसीलिए यह सोचना छोड़ दीजिए कि प्लान चेंज करने पर कौन क्या कहेगा। और बिना किसी संकोच के अपना प्लान चेंज कर दीजिए।


इसी के साथ अपनी चर्चा को यही विराम देते है इसी तरह की चर्चा में भाग लेने के लिए चैंनल को सब्सक्राइब करे।

नमस्कार साथियों, पिछली कुछ विडियोज से हम अपने बिजनेस को सफल बनाने के विभिन्न पहलुवो पर चर्चा कर रहे है। इसी सीरीज आज हम चर्चा करेंगे कि  चाणक्य नीति के सहायता से टीम के सदस्यों का चयन करते  समय किन किन बातों का ध्यान रखना चाहिए और यह भी जानेंगे कि एक टीम कैसे कार्य करती है। जिससे हमारी टीम अपने गोल को अचीव करने में सफल हो सके। तो आइए आज की वीडियो पर चर्चा प्रारंभ करते है 


 सिर्फ आपके विनिंग माइंडसेट से आपकी कंपनी सफल नहीं हो पाएगी।  इसके लिए आपको अपने मंत्रियों अपनी सेना अपनी टीम सभी को तैयार करना होगा ताकि वे सब टीम को जीत की ओर लेकर जाए और यह सिर्फ आपकी जीत ही नहीं उन सब की भी जीत होगी एक अच्छे लीडर की खासियत यही होती है कि वह पर्सनल गेम के लिए नहीं खेलता बल्कि सभी को जीत की तरफ साथ में लेकर चलता है। अपने गोल को अचीव करने के लिए आपके पास योग्य लोगो की मजबूत टीम होनी चाहिए  इसके लिए आचार्य चाणक्य ने राजा अर्थात टीम लीडर को हमेशा अच्छे और कुलीन लोगो की टीम बनाने को कहा है।


एतदर्थ कुलीनानां नृपाः कुर्वन्ति संग्रहम्। आदिमध्यावसानेषु न त्यजन्ति च ते नृपम् ॥

चाणक्य नीति के अनुसार कुलीन लोग आरम्भ से अन्त तक साथ नहीं छोड़ते । वे वास्तव में संगति का धर्म निभाते हैं । इसलिए राजा लोग कुलीन लोगो का संग्रह करते हैं ताकि समय-समय पर सत्परामर्श मिल सके। 

इसीलिए टीम लीडर को टीम का चयन करते समय यह ध्यान रखना चाहिए कि उसकी टीम में ज्यादा से ज्यादा लोग ऐसे हो जो लंबे समय तक उसके साथ रहे और टीम का साथ छोड़ कर न जाए इसके अलावा उसे यह भी देखना चाहिए कि विभिन्न लोगो में विभिन्न गुण होते है जिससे समय पड़ने पर अपनी गुण के आधार पर टीम की आवश्यकता नुसार टीम परामर्श दे सके। इसीलिए टीम लीडर को अपनी आवश्यकता के अनुसार ही टीम में योग्य सदस्यों का चयन करना चाहिए जैसा की आचार्य ने कहा है

बलं विद्या च विप्राणां राज्ञः सैन्यं बलं तथा। बलं वित्तं च वैश्यानां शूद्राणां च कनिष्ठता।। 

अर्थात विद्या ही ब्राह्मणों का बल है। राजा का बल सेना है। वैश्यों का बल धन है तथा सेवा करना शूद्रों का बल है। 

इसीलिए टीम लीडर को अपनी टीम के आवश्यकता के अनुसार ही टीम के सदस्यों का का चयन करना चाहिए। मान लीजिए टीम लीडर को अपने टीम ऐसे लोगो की जरूरत है जो ज्यादा शारीरिक परिश्रम कर सके तो टीम लीडर को ऐसे लोगो का चयन करना चाहिए जिनमे शारीरिक बल ज्यादा हो। जो तंदुरुस्त  हो।

 टीम का एक फायदा यह भी है कि हर इंसान अलग-अलग तरीके से किसी भी काम को करता है इसलिए उनके काम करने का तरीका भी अलग अलग होगा। जैसे कि हमारा सहकर्मी जो कोई काम को जल्दी खत्म कर लेगा और कोई होगा जो काम करने में ज्यादा समय लगाता हैं। किसी की प्रेजेंटेशन स्किल बहुत अच्छी होगी तो किसी की कम्युनिकेशन स्किल अच्छी होगी तो हर किसी की विशेषता को साथ में लेकर मिल जुल कर कैसे काम कर सकते है यह बहुत जरूरी हैं।  


टीम लीडर को चाहिए कि जो भी व्यक्ति चयन के लिए आया है उसके व्यवहार से उसकी योग्यता का पता लगाए। जैसा कि आचार्य ने कहा है

आचारः कुलमाख्याति देशमाख्याति भाषणम्। सम्भ्रमः स्नेहमाख्याति वपुराख्याति भोजनम् ॥ 


 अर्थात आचरण से व्यक्ति के कुल का परिचय मिलता है। बोली से देश का पता लगता है। आदर-सत्कार से प्रेम का तथा शरीर को देखकर व्यक्ति के भोजन का पता चलता है

टीम लीडर को लोगो का चयन करते समय उनकी क्वालिफिकेशन और एक्सपीरियंस को चेक करने के अलावा उनके आचरण, बोली के साथ साथ अन्य लोगो के साथ उनका व्यवहार को भी चेक करना चाहिए। ताकि टीम आपस में सामांजस बैठा सके। 

टीम बनाने के लिए टीम लीडर को बहुत ही कड़े मापदंडों का पालन करना चाहिए जैसा कि आचार्य चाणक्य ने बताया है 

यथा चतुर्भिः कनकं परीक्ष्यते निर्घषणच्छेदन तापताडनैः। तथा चतुर्भिः पुरुषः परीक्ष्यते त्यागेन शीलेन गुणेन कर्मणा॥

अर्थात घिसने, काटने, तापने और पीटने, इन चार प्रकारों से जैसे सोने का परीक्षण होता है, इसी प्रकार त्याग, शील, गुण, एवं कर्मों से पुरुष की परीक्षा होती है । 

इसीलिए अपनी टीम को बनाने के लिए बहुत कठिन मापदंडों का पालन करना चाहिए।  जिससे सुयोग्य लोगो की टीम बन सके। जो अपनी टीम को अपने गोल को अचीव करने में सहायक होगी।


 टीम को प्रत्येक सहकर्मी की योग्यता और विशेषता को साथ लेकर चलना होता है। टीम वर्क को सक्सेसफुल बनाने के लिए  टीम वर्क के लिए एक दूसरे को समझ पाना बेहद जरूरी है। Team Management में आवश्यक है कि प्रत्येक व्यक्ति दूसरे व्यक्ति के बातों को उनके विचारों को ध्यान से सुने और एक दूसरे के साथ समझदारी से बातचीत करके अच्छे-अच्छे आइडिया निकालें।

एक टीम में काम करते हुए, आप विभिन्न प्रकार के कौशल और प्रतिभा वाले लोगों का सामना कर सकते हैं। अवसर से सर्वश्रेष्ठ बनाते हुए, आप एक साथ काम करते हुए कुछ नया सीख सकते हैं। टीमवर्क हमेशा संसाधन निर्माण की ओर जाता है क्योंकि लोग आगामी चुनौतियों को बेहतर तरीके से संभालना सीखते हैं। 

 इन छोटी-छोटी लर्निंग को अपनी लाइफ में फॉलो करके आप अपना डिजायर गोल अचीव कर सकते हैं बस जरूरत है तो सच्चे प्रयास की अपने दिमाग के रास्ते में आने वाली प्रॉब्लम्स का डर निकाल दीजिए और सिर्फ मंजिल पर फोकस कीजिए टीम को समय-समय पर ट्रेनिंग देते रहे।  लर्निंग माइंडसेट से आगे बढ़े और हमेशा अपनी इंडस्ट्री में चल रहे ट्रेंड से अपडेटेड रहे अपने नेटवर्क को बढ़ते रहें और भरोसेमंद लोगों से खुद को घेरे रहे।

साथियों चाणक्य नीति की बिजनेस सीरीज यही समाप्त होती है यह सीरीज आपको कैसी लगी कॉमेंट के माध्यम से जरूर बताइएगा। जल्द ही मिलेंगे चाणक्य नीति के किसी अन्य सीरीज पर। आज की चर्चा में भाग लेने के लिए आप सभी का धन्यवाद।  राधे राधे 





 इनमें से कोई एक भी ना हो तो वह राज्य नहीं रह जाता अब आज के समय के हिसाब से देखें तो जैसे मान लीजिए आपका गोल एक स्टार्टअप ओपन कर उसे इंटरनेशनल लेवल तक ले जाना है। अब आपको स्टार्टअप का अंपायर बनाने के लिए भी आपको इन्हीं सात चीजों की जरूरत पड़ेगी राजा यानी आप मंत्री यानी आपकी कंपनी के  डायरेक्टर्स और डिसीजन मेकर्स प्रजा यानी आपके क्लाइंट्स शहर यानी आपके ऑफिस या इंफ्रास्ट्रक्चर कोश यानी रेवेन्यू सेना मतलब आपके एम्पलाइज और दुश्मन यानि आपके राइवल्स या कंपीटीटर्स।

  




 भरोसेमंद एम्पलाइज ढूंढने का तरीका हम पहले ही डिस्कस कर चुके हैं हम अपने राइवल्स को रखने के नियम भी जान चुके हैं अब इसके बाद के स्टेप पर आते हैं कैसे आप अपनी पूरी कंपनी में विनिंग माइंडसेट पैदा कर सकते हैं 

पहले स्टेप है नेटवर्किंग नेटवर्किंग सिर्फ एक बिजनेस स्टैटिक नहीं है यह रिश्ते बनाने की कला है सही नेटवर्किंग आपके लिए कंपटीशन कम कर सकती है आपके एम्पलाइज में एक सेंस ऑफ़ बिलॉन्गिंग पैदा कर सकती है और आपका डिसीजन मेकर्स का भरोसा भी जीत सकती है इसका सबसे बड़ा एग्जांपल है चाणक्य की कूटनीति जब उन्होंने चंद्रगुप्त मौर्य की शादी सिकंदर के सेनापति की बेटी हेलेना से करवाई थी इस व्यक्ति की मदद से चाणक्य ने ग्रीक साम्राज्य के साथ नेटवर्क बिल्ड किया और आने वाले किसी भी युद्ध के खतरे को जड़ से खत्म कर दिया हमारी नॉर्मल लाइफ में भी देखा जाए तो ज्यादा नेटवर्किंग का मतलब है ज्यादा रिच ज्यादा क्लाइंट्स और ज्यादा रेवेन्यू इसके साथ ही नेटवर्क बनाने से आप अपने एम्पलाइज से इमोशनल लेवल पर जुड़ सकते हैं और उन्हें हंड्रेड परसेंट देने के लिए मोटिवेट कर सकते हैं 


दूसरा स्टेप है टीम वर्क जब employees मानते है कि मेहनत करने से क्या फायदा सारा प्रॉफिट तो आपका ही हो रहा है जबकि उन्हें तो उनकी सैलरी बर मिनिमम काम करके भी मिल रही है तब आप क्या करेंगे ak बॉस यह सोचेगा कि खराब काम करने पर सैलरी काटी जाए जबकि एक लीडर यह सोचेगा कि अच्छे काम को इनसेंटेंस दिए जाएं इंर्पोटेंट स्टेप है जहां विनिंग माइंडसेट को अपने एम्पलाइज में कल्टीवेट कर सकते हैं उनमें जीत की भूख होनी चाहिए और इसके लिए आपको उन्हें जीत का क्रेडिट भी देना होगा और 

एकाकिना तपो द्वाभ्यां पठनं गायनं त्रिभिः । 
चतुर्भिगमन क्षेत्रं पञ्चभिर्बहुभि रणम् ।।

4, 12 इस श्लोक का अर्थ है कि व्यक्ति को तप हमेशा एकांत और अकेले करना चाहिए, पढ़ाई के समय दो साथी होने चाहिए. गाने में 3 लोगों का होना जरूरी है, कहीं जाते समय चार लोगों होने चाहिए. खेत में 5 लोगों होने जरूरी है और युद्ध के दौरान अनेक सैनिकों की आवश्यकता होती है.





तीसरा स्टेप है ट्रेनिंग कोई भी टीम बिना सीखे अपना बेस्ट आउटपुट नहीं दे सकती अपने नोटिस किया हो तो शुरू से ही हम लर्निंग पर फोकस कर रहे हैं ऐसा इसलिए है क्योंकि कई बार नॉलेज की कमी से हमारी मेहनत बर्बाद हो जाती है हार्ड वर्क का कोई फायदा नहीं अगर वह सही डायरेक्शन में नहीं किया जा रहा इसके लिए जॉइनिंग के समय ट्रेनिंग दे देना काफी नहीं है लर्निंग  और नॉलेज शेयरिंग हमेशा चलता रहना चाहिए एम्पलाइज ने अपनी एक्सपीरियंस से क्या-क्या सीखा है उसे भी सबके साथ शेयर करने का मौका दिया जाना चाहिए बेसिकली  सीखना कभी रुकना नहीं चाहिए




मन में नेगेटिव थॉट आने से इंसान काम करने से पहले ही हार मान लेता है और आगे नहीं बढ़ पाता इससे बचे और विश्वास करें कि आप भी सक्सेसफुल बन सकते हैं अब आप जीत के लिए पूरी तरह से तैयार है अपने अपने हर के दर को खत्म कर दिया है आपके आसपास भरोसेमंद लोग हैं आप अपनी नॉलेज को भी बढ़ते रहते हैं और अपने अपने विनर की एक टीम भी बना ली है लेकिन अब भी आपकी और जीत के बीच का फैसला काम नहीं हो रहा ऐसा क्यों चाणक्य कहते हैं अक्सर सारी कोशिश के बाद भी हम जीत नहीं पाए क्योंकि हम जीत को अपनी लाइफ में वेलकम नहीं कर पाते हम जाने अनजाने ही उसे ब्लॉक करते रहते हैं हमारा खराब बिहेवियर जैसे गुस्सा करना नेगेटिव बातें करना दूसरों से जलना इंपेशेंट होना यह कुछ ऐसी चीज हैं जिससे हम लाइफ में कोई भी पॉजिटिव चीज को अट्रैक्ट नहीं कर पाते इसीलिए जीत को अपने पास आने दे यह ज्ञान प्राचीन समय सेहमारे पूर्वजों के पास रहा है कि यह ब्रह्मांड हमसे नहीं है हम ब्रह्मांड से है कॉस्मिक एनर्जी की ताकत में हमारे पूर्वजों को सदियों पहले से विश्वास था हम जिसे आज मेनिफेस्टेशन कहते हैं वह ध्यान भारत के ऋषि मुनि सदियों से करते आ रहे हैं उस कॉस्मिक एनर्जी पर उसे पावर पर विश्वास कीजिए खुद ही सोचिए हर चीज नेचर में एक परफेक्ट ढंग से चल रही है प्लैनेट्स परफेक्टली अपनी स्पीड से अपनी एक्सेस पर घूमते हैं हर मौसम परफेक्टली आता है जाता है यूनिवर्स में घट रही इन घटनाओं को हमारे दखल की जरूरत ही नहीं होती यूनिवर्स हमारे लिए सही अपॉर्चुनिटी भेजेगा उसे एक्सेप्ट करने के लिए खुद को तैयार रखिए और खुली बाहों से उसे अपॉर्चुनिटी का स्वागत कीजिए अपनी जीत को मेनिफेस्टो कीजिए और फिर देखिए आपको जितने से कोई नहीं रोक सकता।








1, 11 जानीयात प्रेषणे भृत्यान बान्धवान व्यसनागमे । मित्रं चाआपत्तिकालेषु भार्यां च वीभवक्षये।। 

 काम लेने पर नौकर- चाकरों की, दुख आने पर बन्धु-बान्धवों की, कष्ट आने पर मित्र की तथा धन नाश होने पर अपने पत्नी की वास्तविकता का ज्ञान होता हैं।

2,6 न विश्वसेत्कुमित्रे च मित्रे चापि न विश्वसेत्। कदाचित्कुपितं मित्रं सर्वं गुह्यं प्रकाशयेत् ॥ भावार्थ :👇 

 कुमित्र पर विश्वास नहीं करना चाहिए और मित्र पर भी विश्वास नहीं करना चाहिए । कभी कुपित होने पर मित्र भी आपकी गुप्त बातें सबको बता सकता हैं ।




6, 4भ्रमन् सम्पूज्यते राजा भ्रमन् सम्पूज्यते द्विजः।
भ्रमन सम्पूज्यते योगी स्त्री भ्रमन्ती विनश्यति।। 

भावार्थ- भ्रमणकारी राजा, ब्राह्मण तथा योगी सर्वत्र सम्मानित होते हैं। लेकिन अकारण विचरण करने वाली स्त्री पथभ्रष्ट हो जाती है। 




असन्तुष्टा द्विजा नष्टाः सन्तुष्टाश्च महीभृतः । सलज्जा गणिका नष्टा निर्लज्जाश्च कुलाङ्गना ॥

असंतुष्ट ब्राह्मण, संतुष्ट राजा, लज्जा रखने वाली वेश्या, कठोर आचरण करने वाली गृहिणी ये सभी लोग विनाश को प्राप्त होते है




अच्छे टीम लीडर समाज का सुखी व्यक्ति होना चाहिए ।जैसा कि आचार्य चाणक्य ने अपने श्लोक में बताया है 

दाक्षिण्यं स्वजने दया परजने शाठ्यं सदा दुर्जने प्रीतिः साधुजने स्मयः खलजने विद्वज्जने चार्जवम् । शौर्यं शत्रुजने क्षमा गुरुजने नारीजने धूर्तता इत्थं ये पुरुषा कलासु कुशलास्तेष्वेव लोकस्थितिः ॥


वे लोग जो इस दुनिया में सुखी है. जो अपने संबंधियों के प्रति उदार है. अनजाने लोगो के प्रति सह्रदय है. अच्छे लोगो के प्रति प्रेम भाव रखते है. नीच लोगो से धूर्तता पूर्ण व्यवहार करते है. विद्वानों से कुछ नहीं छुपाते. दुश्मनों के सामने साहस दिखाते है. बड़ो के प्रति विनम्र और पत्नी के प्रति सख्त है.