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भगवद गीता कहानी 11 20

11 कैसे समय काटेंगे उसे वक्त की कल्पना मात्र से उन्हें सीरन हो जाती थी लेकिन समय का चक्र ऐसा घुमा की अब उनके पास जरा भी फुर्सत नहीं होती और उनका सारा समय एकदम सही बातों में बीत रहा है गीता ज्ञान ने उन्हें जीवन को सही तरीके से जीना सिखा दिया है समाज के जटिल संबंधों तक को देखने का संभालने का नया नजरिया दिया है लोगों का विश्वास और सम्मान भी इन्हें गीता ज्ञान की बदौलत मिला है और आपकी गीता ज्ञान सुन रहे हैं जहां उन्हें छोटे-छोटे बच्चों को गीता ज्ञान देने का अनुरोध किया गया यह सम्मान भी उन्हें उनके ही पुराने शिष्य ने दिया है जिसे पंडित जी ने लगातार कई साल ट्यूशन पढ़ाया था उन दिनों की बात है जब पंडित जी कॉलेज की पढ़ाई करने के साथ-साथ अपना जब खर्च निकालने के लिए छोटे बच्चों को ट्यूशन पढ़ाया करते थे उन्हें बच्चों में सुनील भी एक बहुत छोटी कक्षा से ही पंडित जी के पास ट्यूशन पढ़ने आने लगा था और हाई स्कूल तक लगातार उनसे ही पड़ता रहा पंडित जी को सारे बच्चों में सुनील सबसे ज्यादा प्यार था क्योंकि वह बहुत शांत और सोने बचा था पढ़ाई के प्रति हमेशा से गंभीर और संवेदनशील भी था उसके लिए गुना के कारणपूरी होने के बाद भी वह पंडित जी के संपर्क में रहा और जीवन के हर छोटे-बड़े अवसर पर उसने पंडित जी से सलाह ली और उन्हें शामिल किया जब उसे पंडित जी की गीता ज्ञान ब्लॉक के बारे में पता चला तो उसने न सिर्फ खुद यह ब्लॉक पढ़ना शुरू किया बल्कि अपने साथ ही अध्यापकों को भी इसे पढ़ने के लिए प्रेरित किया और आज वह पंडित जी के घर आया था उन्हें आमंत्रण देने के लिए कृपया अपने गीता ज्ञान से उसकी स्कूल के बच्चों को भी कुछ सीखने ताकि जीवन की नींद डालने वाले इंसानों में उन्हें कुछ ऐसा सीखने को मिले जिससे उनके सफल जीवन की इमारत तैयार हो सके लेकिन अब जब मेरा एक प्यार का नाम भी है जैसे आप सबका होगा कोई रिंकी कोई पिंकी कोई चुनमुन तो कोई रुनझुन ऐसे ही प्यार से सब लोग मुझे पंडित जी बुलाया बुलाते हैं जवाब दिया आज मैं आपके साथ कुछ बातें शेयर करने आया हूं बातें जो भगवान श्री कृष्ण ने हमें बताएं आप लोग जानते हैं कि भगवान श्री कृष्ण कौन है भगवान श्री कृष्णा जो बंसी बजाते हैं माखन खाते हैं इसके अलावा और क्या करते हैं भगवान श्री कृष्णा राक्षसों को मारते हैं जो गलत काम करते हैं उन्हें पनिशमेंट देते हैं एक और प्यारा सा बच्चा बोला बिल्कुलठीक पंडित जी खुश होकर बोले तो प्यारे बच्चों आज उनकी भगवान श्री कृष्ण की कहानी कुछ बातें बताऊंगा आप ध्यान से सुना ओके सारे बच्चों के साथ बोले श्लोक सुनाऊंगा जैसे हिंदी में कविता होती है ना इंग्लिश में जैसे ओम कहते हैं वैसे ही संस्कृत भाषा में श्लोक होता है तो मैं आपको एक श्लोक सुनाऊंगा 

ध्यायतो विषयान्पुंसः सङ्गस्तेषूपजायते।

सङ्गात् संजायते कामः कामात्क्रोधोऽभिजायते।।2.62।।
 

।।2.62 -- 2.63।। विषयोंका चिन्तन करनेवाले मनुष्यकी उन विषयोंमें आसक्ति पैदा हो जाती है। आसक्तिसे कामना पैदा होती है। कामनासे क्रोध पैदा होता है। क्रोध होनेपर सम्मोह (मूढ़भाव) हो जाता है। सम्मोहसे स्मृति भ्रष्ट हो जाती है। स्मृति भ्रष्ट होनेपर बुद्धिका नाश हो जाता है। बुद्धिका नाश होनेपर मनुष्यका पतन हो जाता है।
 
और उसका मतलब भी बतलाऊंगा तो पहले श्लोक कामत क्रोध अभी जयते इसका मतलब यह है की वस्तुओं के प्रति अधिक लगाव होना भी व्यक्ति की असफलता का कारण बनता है इसीलिए व्यक्ति को चाहिए कि वह खुद को हर तरह के लगाव से दूर रखें क्योंकि वस्तुओं के लगाव से हर पल एक इच्छा जन्म लेती है जिसकी पूर्ति न होने पर व्यक्ति क्रोध और दुख का भाग्य बन जाता है जिसके चलते सफलता के मार्ग में बढ़ाएं उत्पन्न होने लगती है समझे बच्चों एक भी बच्चे का हमें जवाब नहीं आया और इस बात से पंडित जी को बड़ी खुशी हुई क्योंकि यही बात तो बच्चों में सबसे खास होती है कि वह मां के सच्चे होते हैं किसी का मन रखने के लिए भी झूठ नहीं बोलतेबहुत बढ़िया बच्चों यह तो मुझे भी समझ नहीं आया कि सुनकर सारे बच्चे जोर से हंस पड़े अब हम दूसरे तरीके से श्लोक का मतलब समझेंगे इसमें भगवान श्री कृष्णा बताते हैं कि हमको किसी भी चीज से बहुत ज्यादा प्यार नहीं करना चाहिए ऐसा नहीं होना चाहिए कि हम इस चीज के बिना नहीं रह सकते अगर हम ऐसा करते हैं तब हमको वह चीज ना मिलने पर बहुत दुख होता है और गुस्सा भी आता है अब मैं आपको एक एग्जांपल यानी उदाहरण देकर बताता हूं आप सबके घर में मोबाइल है जी पंडित जी सब बच्चे बोले और आप सब घर पर मोबाइल का उसे बहुत ज्यादा करते हो आप उसमें वीडियो देखते हो अपना होमवर्क उसकी मदद से करते हो गेम खेलते हो और जब आपको आपके मम्मी पापा मोबाइल छोड़ने के लिए कहते हैं तब आप सबको बहुत गुस्सा आता है नहीं कोई तो रोने भी लग जाता होगा खाना भी नहीं खाता होगा यही करने के लिए इस लोक में भगवान जी मना कर रहे हैंवह कह रहे हैं कि हमको चीज उसे तो करनी है लेकिन उनकी आदत नहीं डालनी है ऐसा नहीं करना कि आपसे वह चीज छूट जाए तो आप परेशान ही हो जाओ हमें अपने मन को इतना स्ट्रांग रखना है कि हम किसी चीज के न मिलने पर उसके बिना एडजस्ट करना सीखें क्योंकि जब हम स्ट्रांग नहीं होते तब वह चीज ना मिलने पर हमें दुख होता है हम रोते हैं और कई बार हमें उसका भी आता है हम लड़ाई भी कर लेते हैं क्योंकि बहुत बुरी बात है हमें खुद पर डिपेंड होना सीखना है चीजों पर नहीं अब समझे एस पंडित जी सब बच्चे खुशी से बोले तो अब हम एक औरश्लोक सुनेंगे 

यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत । अभ्युत्थानमधर्मस्य तदात्मानं सृजाम्यहम्‌ ॥

 भावार्थ : हे भारत! जब-जब धर्म की हानि और अधर्म की वृद्धि होती है, तब-तब ही मैं अपने रूप को रचता हूँ अर्थात साकार रूप से लोगों के सम्मुख प्रकट होता हूँ॥

जब भी धर्म का नाश होता है और इस धरती पर धर्म का विकास होता है तो मैं धर्म की रक्षा और धर्म को नष्ट करने के लिए अवतार लेता हूं बच्चों अब इसे अच्छे से समझो अपने वह सीरियल कृष्णा आता था उसकी कहानी में देखा होगा ना कि जब बुरे लोग बहुत ज्यादा बुरे काम करने लगते हैं अच्छे लोगों को तंग करने लगते हैं तब कृष्णा आ जाते हैं और उनको पनिश करते हैं हम सब सोचते हैं कि जब हम कुछ भी गलत काम करते हैं तो कोई हमें नहीं देख रहा होता लेकिन ऐसा नहीं है भगवान हमें हर समय देख रहे होते हैं तब भी जब हमें लगता है कि वहां कोई नहीं किसी भी कुछ गलत नहीं करना है कोहाट नहीं करना है बुरे लोग इस बात को नहीं समझते और बुरे काम करते हैं यह भगवान को आना पड़ता है बच्चों हम सबको कोशिश करनी चाहिए कि हम सब अच्छे-अच्छे काम करें आप लोगों को चाहिए कि आप अच्छी बातें सीखें अच्छा पढ़े सबसे प्यार से बोले और किसी को दुख ना दे यह आपके लिए धर्म है जो धर्म के हिसाब से काम करते हैं भगवान उनसे बहुत खुश होते हैं समझे यह पंडितजी बच्चे ईश्वर में फिर से इस तरह बच्चों के साथ पंडित जी ने बहुत सारी गीता ज्ञान की बातें की और उन्हें इसमें बहुत मजा आए बच्चे भी बहुत खुश दिख रहे थे दोबारा फिर आने के वायदे के साथ पंडित जी ने वहां से विद्यालय उन्होंने भगवान श्री कृष्ण से प्रार्थना की दुनिया के सभी बच्चों पर अपनी कृपा रखें इनकी वजह से संसार में जो थोड़ी मासूमियत बची है हमेशा बच्ची है तो यह था गीता ज्ञान का एक और एपिसोड जो आपने सुना 
अनाश्रितः कर्मफलं कार्यं कर्म करोति यः।

स संन्यासी च योगी च न निरग्निर्न चाक्रियः।।6.1।।
 श्रीभगवान् बोले -- कर्मफलका आश्रय न लेकर जो कर्तव्यकर्म करता है, वही संन्यासी तथा योगी है; और केवल अग्निका त्याग करनेवाला संन्यासी नहीं होता तथा केवल क्रियाओंका त्याग करनेवाला योगी नहीं होता।

1212 परेशान करता यहां तक के ऑफिस में होने वाली धनिया भी हो अपनी किस्मत को खोजने लगते थे भगवान को ताना देने लगते थे लेकिन गीता की शरण में गए हैं उन्हें जीवन का कर समझ आ गया है जानते हैं कि जो भी उनके साथ घट रहा है वह पिछले कर्मों का फल है वह अकाउंट सेटिंग नहीं होगा इसीलिए सर झुकाकर सब सहना होगा आखिर अपनी कोई फसल है जैसी भी होगी शिकायत नहीं कर सकते दोस्तों आप सुन रहे हैं तो वापस आते हैं पंडित जी पर दुख पंडित जी हर सिचुएशन को दशक के भाग से देखते हैं उसमें शामिल होकर भी शामिल नहीं होते जैसे कोई व्यक्ति बारिश में तो खड़ा हो लेकिन कल गीता ही सिखा सकती है कि गीता पढ़ने से पहले भी यह आर्ट अगर वह सीखना चाहते तो सीख सकते थे एक लाइव एग्जांपल उनके सामने था लगातार कई साल वह नहीं देखता रहा उनसे मिलने और बात करता रहा लेकिन तब उम्र इतनी छोटी और बुद्धि इतनी कम थी कि यह बात समझ ही नहीं है तो आप जाकर गीता पढ़ते हुए रह रहकर उनका ख्याल मन में आ जाता है तो आंखें नम हो जाती है और सर इज्जत से झुक जाता है यह कर्मयोगी थे उनके दुबे सरगर्मी होगी मतलब जो अपने काम में पूरे मन से लगा रहता है बिना रिजल्ट की चिंता के दुबे जी ऑफिस में पहले बॉस के रूप में मिले और अब दिल में बड़ी गहरिज्जत के साथ एक खास जगह बना कर रहते हैं वह कैसा ही था की पढ़ाई पूरी होते ही लोगों को गवर्नमेंट जॉब मिल जाया करती थी और एप्लीकेशन भी कभी हुआ करते थे दुबे सर उनके पहले बॉस के बाहर पहले टीचर जिन्होंने सही मायने में एक डीसेंट इंसान होना क्या होता है लेकिन घमंड जैसे उन्हें छूकर भी नहीं गुजरा था उससे ज्यादा ही साबित करने की कोशिश कर रहा है ऐसे में दुबे सर के बारे में कोई भी तभी जान सकता था जब उनसे बात हो वरना उनका रहन-सहन देखकर कोई अंदाजा नहीं लग सकता था कि उन्हें कितनी नॉलेज और एक्सपीरियंस है लेकिन गीता को उन्होंने अपनी लाइफ में अप्लाई नहीं किया था और उम्र भी कच्ची थी इसीलिए बहुत सारी बातें उन्हें समझ नहीं आती थी यह तब की बात है यह समझ आता था कि इतनी बड़ी पोस्ट पर होते हुए भी दुबे सर इतने डाउनलोड कैसे हो सकते हैं उनके अंदर काम करने वाले लोग उनका कितना मजाक बनाते हैं उनका फायदा उठाते हैं लेकिन उन्हें जैसे कोई फर्क ही नहीं पड़ता है तब बजे अकेले उसका क्रेडिट लेने के सारी टीम का नाम आगे कर देते हैं लोग हर एक बार एक ही झूठ बोलकर उसे लीव सेंड करवा लेते हैं लेकिन वह जानकर भी अंजान बने रहते हैंसमझने लगते हैं कि इस काम को ऐसे नहीं करना है कि उनकी गलतियों पर उन्हें फटकारने के बजाय दुबे सर ने उन्हें बिठाकर काम करने का सही तरीका बताया था दुबे सर हर किसी से बड़े अपनेपन से मिलते थे सबके सुख दुख पूछते थे कई बार उन कामों में भी हेल्प कर देते थे जो उनके थे ही नहीं पंडित जी को यह बातें बड़ी है कि ऑफिस के कुछ कामचोर लोग दुबे सर के साथ एक वर्कशॉप पर दूसरे शहर जाने का मौका मिला रास्ते भर दोनों में खूब बातचीत हुई दोनों की इंटरेस्ट बहुत मिलते थे इस सफर में पंडित जी को दुबे सर के बारे में बहुत कुछ जानने को मिला उनकी लाइफ उनकी स्ट्रगल पंडित जी बहुत हेसिटेशन के साथ दुबे सर से पूछी बैठे कि वे आखिर इतनी सिंपल क्यों है अपनी सेल्फ रिस्पेक्ट क्यों नहीं है क्योंकि मैं जानता हूं कि मैं कौन हूं अब इस बात से तो पंडित जी और हैरान हो गए तो सभी जानते हैं वह कौन है यह तो असली बात है कि हम नहीं जानते कि हम कौन हैं जिस दिन हमें यह रिलीज हो जाता है की आत्मा और शरीर का रिश्ता क्या है और क्यों हमें किसी बात का किसी काम का घमंड नहीं करना है कि मैं इतनी सिंपल लाइफ क्यों जीत मुझे हैरानी है कि जिस बात पर मुझे कंप्लीमेंट मिलना चाहिए था उसे बात पर मुझे क्वेश्चन किए जाते हैं और आप पहले नहीं है मेरी फैमिली के लोग तब मुझे शिकायत करते हैं उन्हें लगता है कि मुझे अपने स्टेटस का शो ऑफ करते रहना चाहिए अपने अंदर काम करने वाले एम्पलाइज से थोड़ा रूप से पेश आना चाहिए इन सब लोग ऐसा करते हैं क्योंकि उन्हें गीता का ज्ञान नहीं है दिखती है कि करने वाला कोई और है हम बस एक मीडिया मैं माध्यम है इसलिए हमें इस बात पर कोई घमंड नहीं होना चाहिए कि हम यह हैं वह है कि मैं जैसा हूं वैसा क्यों तो उसके लिए आप गीता का श्लोक सुनाइए उसके लिए आपगीता का कार्यक्रम कम करो दिया सा सन्यासी जय योगी नाथ चक्रीय भगवान कृष्ण कहते हैं कि है अर्जुन जो मनुष्य अपने कर्मों के फल की इच्छा की बिना कर्म करता है और अपनी जिम्मेदारी को समझते हुए अच्छे कर्म करता है वह योगी है जो अच्छे कर्म नहीं करता वह संत कहलन के काबिल नहीं है मैं ऑफिस में काम करता हूं तब वह काम इसलिए नहीं होना चाहिए कि इसके बदले लोग मुझे रिस्पेक्ट दें या कोई सर्टिफिकेट है क्योंकि यह मेरी रिस्पांसिबिलिटी है आज अपनी फैमिली और समिति के लिए किए कम पर भी अप्लाई होती है कि मैं अगर वह कर सकता हूं तो उसे हेल्प करो और भूल जाओ इतना हो सके अच्छे कर्म करो संत बन जाएंगे गीत हमें यही सिखाती है गीता की तरफ मोड़ने का मोटिवेशन मिला दुबे सर नेकितने साथ इतने दीप मैसेज को समझा दिया था अगर एक श्लोक इतना कुछ सीख सकता है तो सोचिए पुरी गीत तो जाने क्या-क्या सिखा देगी और हमें यह क्या से क्या बना देगी पंडित जी को यह भी तभी समझ आ गया था कि इस टाइम की जरूरत गीता को एकदम सिंपल और प्रैक्टिकल लैंग्वेज में लोगों तक पहुंचना है ताकि लोग इसे समझें और लाइफ में अप्लाई भी करें बन चुकी थी उनके टीचर थे 
प्रकृतिं स्वामवष्टभ्य विसृजामि पुनः पुनः।

भूतग्राममिमं कृत्स्नमवशं प्रकृतेर्वशात्।।9.8।।
 
प्रकृतिके वशमें होनेसे परतन्त्र हुए इस सम्पूर्ण प्राणिसमुदायको मैं (कल्पोंके आदिमें) अपनी प्रकृतिको वशमें करके बार-बार रचता हूँ।

13 और सॉल्यूशन ढूंढने की चाबी है लेकिन साथ में एक ऐसा सवाल भी जो कभी न कभी हर किसी के दिमाग में आता ही है यह सवाल इंसान कभी खुद से तो कभी अपने क्लोज लोगों से पूछता है और मुस्लिम जी भी भगवान को मानता है उनसे भी पूछता है सवाल क्या था यह जाने के लिए आपको उसके मेल को सुना होगा और उससे पहले यह जान लीजिए कि आप सुन रहे हैं तो आप जानते हैं और मुझे लगा कि जब आप के अकॉर्डिंग गीता में हर सवाल का जवाब है तो मुझे भी मेरा जवाब मिल ही जाएगा मेरा नाम राजेश है मैं लगभग 55 साल का शादीशुदा हूं एक बेटा है मेरा पूरा बचपन टेंशन में पिता मेरा बड़ा भाई पढ़ाई में अच्छा था उसके टैलेंट का दसवां हिस्सा भी नहीं और डांस ड्रामा के नाम पर मुझे घबराहट होने लगती थी मेरे पेरेंट्स को खुद भी इस बात की बहुत टेंशन रहती थी कि उनका दूसरा बेटा उनके बड़े बेटे जितना इंटेलिजेंट नहीं है और वह इस टेंशन को हर दिन मुझ पर भी ठोकते रहते थे हर वक्त के कंपैरिजन ने मुझे इतना डिस्टर्ब कर दिया था कि मैं अपने भाई से ही नफरत करने लगा था मेरे पेरेंट्स को कभी यह समझ नहीं आया कि मैं एक इंडिविजुअल लिमिट से मैं अपने भाई जैसा नहीं हो सकता और मेरी भी कुछ अलग क्वालिटीज हो सकती हैइस सबसे में इतना फ्रस्ट्रेटेड हो गया था कि एक बार तो मैं घर से भाग जाने की वह तो बस स्टेशन पर पड़ोस के काम करने मुझे देख लिया और अपने साथ खा लिया है लेकिन उसके बाद मेरे घर वालों का टॉर्चर और भी बढ़ गया फिर उन्हें मैं आवारा लड़का भी लगने लगा था इस तरह मेरे बच्चे की तरह स्कूल की पढ़ाई पूरी की और मैं फार्मेसी का कोर्स करना चाहा तो मम्मी पापा को इसमें भी दिक्कत होगी कहा तो उनका बड़ा बेटा मेडिकल की पढ़ाई कर रहा था और कहां छोटा बेटा दवाइयां की दुकान खोलकर एक दुकानदार बनने जा रहा था मैं पहले छोटी-मोटी जॉब करूंगा और फिर कोर्स करूंगा पैरंट्स ने पैसे नहीं देने थे इसीलिए मैं मार्केट की केमिस्ट शॉप में अपने लिए काम ढूंढ लिया नॉलेज और एक्सपीरियंस सुधारने इसीलिए दवाइयां पैक करने का काम मिला यह दुकान पड़ोस के भैया और मैं उनसे कहा था कि मेरी सैलरी अपने पास ही जमा करके रखें जिस दिन मेरी फीस के पैसे जमा हो जाएंगे मैं उनसे ही खराब मेरा मन नहीं करता था और अब जब की वजह से बस सोने के लिए घर जाता था मुझे हर तरह की कोई फर्क नहीं पड़ता था कि मैं कहां हूं 2 साल बीत गए और मेरे कोर्स की फीस जमा होने में बस 2 महीने की किस्मत में धोखा दे दिया दुकान के मालिक जो मेरे पड़ोस वाले भैया थे उनकी एक एक्सीडेंट में और उनके बाद उनके बच्चों ने मेरी बात का यकीन ही नहीं किया कि मेरी 2 साल की सैलरी उनके पास का कोई प्रूफ मेरे पास नहीं था अब मैं खाली हाथ था मेरा दिल टूट चुका था और मैं यह टाकली अब मैं खाली हाथ था मेरा दिल टूट चुका था और मैं यह तकलीफ ऐसा सोचता था कि मेरी लाइफ में इतनी प्रॉब्लम क्यों है फ्यूचर के लिए होने देता था जब में 2 साल काम करने के बाद मुझे इस काम की डिटेल्स तो पता चली चुकी थी बस मेरे पास वह डिग्री नहीं थी जो इसे चलाने के लिए जरूरी होती है एक बार बातों बातों में मेरे दोस्त ने बताया कि अब 2 साल की डिप्लोमा वाले भी केमिस्ट शॉप खोल सकते हैं और डिप्लोमा की फीस भी काम है इस बात से मुझे एक नई हिम्मत मिली और मैं आखिरी बार अपने पेरेंट्स से बात करने की कोशिश की लेकिन उनका जवाब वही था जो 2 साल पहले था उन्हें अपने बेटे को दुकानदार बनते देखने में कोई इंटरेस्ट नहीं था अब मेरे पास कोई चारा नहीं था तो मैंने अपना कोर्स करने के लिए अपने ही घर में चोरी की और इसका गिल्ट सारी जिंदगी मेरे मन में रहेगा मेरे पास फूटी कौड़ी भी नहीं थी कि मैं अपना काम फिर से एक फार्मा कंपनी में काम करना शुरू कर दिया था किसी तरह पैसों का रेंज में हो जाए और मैं खुद का काम शुरू करूं लेकिन इसमें बहुत टाइम लगने वाला था मेरा बड़ा भाई अब तक डॉक्टर बन चुका था बहुत सपोर्ट कियाऔर अब उसका खुद का क्लीनिक यह देखकर मैं भी अपने हिस्से के पैसे मांगे और एक बार फिर अपनी इंसल्ट ठीक करें अब मैं अपनी नौकरी में रख गया वही मुझे एक लड़का मिला जो बिल्कुल मेरी तरह सोचता था हमारी गहरी दोस्ती हो गई और हमने लोन लेकर अपनी केमिस्ट शॉप खोलने का सोच के पास कुछ प्रॉपर्टी थी पास हो गया था और आखिर हमारा सपना पूरा होगा काम सही से चल रहा था कि मेरे फादर की तबीयत खराब रहने लगी मेरा भाई पैसे तो बहुत कम रहा था लेकिन पेरेंट्स के लिए उसके पास टाइम नहीं था मां ने मुझे ही कविता ने देकर तो कभी इमोशनल ब्लैकमेल करके उनकी सेवा में लगा दिया फादर की हालत देखकर मुझे बहुत दया आती थी मैं पिछली सारी बातों को भूलकर उनकी सेवा में लग गया था उनकी मेडिसिन से लेकर उनको वॉक कारण से करवाना यह सब काम में खूब करता था साल बाद फादर की डेथ हो गई और जाते हुए वह अपनी बची हुई सारी प्रॉपर्टी और सेविंग्स मेरे भाई के नाम करके मुझे अपने फादर से प्यार के दो शब्द तक नहीं मिले एक बार फिर मैं अपने आप से सवाल किया कि आखिर मेरी क्या गलती थी जो मेरी लाइफ में यह सब होता है और हमने अपनी लाइफ थोड़ा ट्रैक पर आई तो मैं अपनी दोस्त से शादी भी कर ली जब सब सही होना शुरू हुआ था कि तभी सब खराब होना भी शुरू पर एक लड़की की लापरवाही से मेरी शॉप में एक्सपी यर में प्रॉब्लम में था कोई सॉल्यूशन समझा दिया उसकी ज्वेलरी भेजिए मेरा बेटा बहुत समझदार है कभी उसे पर कोई प्रेशर नहीं डाला उसके हिसाब से पढ़ने और जीने दिया है तो कल ही मेरी वाइफ को कैंसिल डायग्नोज हुआ है ऐसा लग रहा है कि जैसे मेरे सब्र का बांध टूट जाएगा आखिर मेरी क्या गलती थी जो मेरी लाइफ में इतनी प्रॉब्लम्स ई और कभी सुकून से मैं रही नहीं पाया मैं तो कभी किसी का बुरा नहीं किया फिर मेरे साथ ही ऐसा क्यों पंडित जी आप ही सवाल का जवाब दीजिए पंडित जी ने सारी कहानी पढ़ी समझी और जवाब में गीता का यह श्लोक लिख कर दिया इस लोक में भगवान श्री कृष्ण कहते हैं कि मैं विश्व जाने में पुनः पुनः और जवाब में गीता का यह श्लोक लिखकर दिया शोक में भगवान श्री कृष्ण कहते हैं कि मैं सारी प्रकृति को वश में करके बार-बार बनाता हूं और यहां सभी प्राणियों को उनके कर्मों के अनुसार जन्म देता हम सब यह बार-बार भूल जाते हैं की आत्मा एक शरीर से दूसरे शरीर में जाती है हर बार किताब हमें चुकाना ही पड़ता है अकाउंट तो सेटिंग करना ही पड़ेगा की कई बार किसी लगाव महसूस होता है हम उन्हें पहले से जानते हो बिना बात के कहीं ना कहीं यह हमारे पिछले जन्मों के ही एक दूसरे के प्रति किए कम है भगवान हमारे साथ हुई दुश्मनी नहीं रखते क्या उसे मत में तो हमारे खुद के कम है जो हमारा भाग्य प्रताप ने बहुत संघर्षकिया यह सोचकर खुद को मजबूत कीजिए कि यह सब पिछले जन्मों के कम थे अब आगे सब सही होगा ईश्वर आपको शक्ति दे यह कहकर पंडित जी ने और इस तरह से गीता ज्ञान का यह एपिसोड भी कुकू एफएम पर खत्म होता 

नियतं कुरु कर्म त्वं कर्म ज्यायो ह्यकर्मणः।

शरीरयात्रापि च ते न प्रसिद्ध्येदकर्मणः।।3.8।।
 
तू शास्त्रविधिसे नियत किये हुए कर्तव्य-कर्म कर; क्योंकि कर्म न करनेकी अपेक्षा कर्म करना श्रेष्ठ है तथा कर्म न करनेसे तेरा शरीर-निर्वाह भी सिद्ध नहीं होगा।


14 गीता को जानने और समझना कि जब हमारे पास गीता जैसा नॉलेज का सच है जो हमें लाइफ की हर सिचुएशन में गाइड कर सकता है तब हम हर जनरेशन के साथ इससे दूर क्यों होते जा रहे हैं और उससे भी हैरानी की बात यह है कि फॉरेनर्स के बीच गीता को जानने और समझने की क्यूरियोसिटी बढ़ती जा रही है वह लोग अपनी नौकरियों से ब्रेक लेकर यहां आते हैं और गीता ज्ञान को समझते हैं लाइफ में कितना अप्लाई कर पाते हैं इन कम से कम इसके लिए एफर्ट तो करते हैं हम लोग अपनी ही चरणों अपनी रूट को बोलते जा रहे हैं यह सोचकर पंडित जी गहरी सांस लेकर ब्लॉक लिखना शुरू करते हैं जो मेरी रिस्पांसिबिलिटी है भाई उसे तो मैं पूरा करूंगा ही लोगों को गीता ज्ञान के पास लेकर आने का जो भी लेकर चल रहा है उसे तो पूरा करना ही है और दोस्तों आप इसी गीता ज्ञान को सुन रहे हैं तो एक साथ एक ही आईडी से तीन मेल से एक ही मैटर था शायद भेजने वाले ने सोचा होगा किस तरह पंडित जी का ध्यान उसकी इमेज की तरफ खींचेगा पंडित जी के चेहरे पर मुस्कान आ गई मन ही मन बोले मुझे कौन सा दिन में हजार मिल जाती है जो कोई छूट जाएगीमैं कहीं अपने नाम का जिक्र इस मेल में किया है क्योंकि यह कॉन्फिडेंशियल रखना जरूरी है मैं कैसी पुस्तक हूं जहां यह करना जरूरी हो जाता है उम्मीद है अब मन नहीं करेंगे आप रोज एक श्लोक का मतलब बताते हैं फिर रियल लाइफ सिचुएशंस में कुछ लोग से हमें कैसे मदद मिल सकती है यह बताते हैं जिंदगी जीने का नया नजरिया प्रॉब्लम्स को देखने का नया तरीका भी मिलता है आज अपनी लाइफ की प्रॉब्लम का कहीं सॉल्यूशन न पाकर मैं आपको ईमेल कर रही हूं इस उम्मीद में कि आप ही मुझे गीता ज्ञान के जरिए कोई ऐसा रास्ता दिखाएं नाम तो बात नहीं सकती लेकिन बाकी सारी बातें डिटेल में बता रही हूं आपको मेरी प्रॉब्लम का सही से अंदाजा लगा सके बड़ी एडमिनिस्ट्रेटिव पोस्ट पर मेरे हस्बैंड भी ऐसी ही पोस्ट पर है और जो प्रॉब्लम में फस कर रही हूं वह मेरे हस्बैंड से ही जुड़ी हुई है प्रॉब्लम शेयर करने से पहले मैं आपको अपनी लाइफ स्टोरी सुनती हूं ताकि आपको मेरी सिचुएशन समझने में मदद मिले मैं एक मिडिल क्लास फैमिली से हूं मेरे फादर एक टीचर थे मदर हाउसवाइफ दोनों ही अपने मां-बाप की इकलौती औलाद वाले इंसान थे उन्हें नमक रोटी में गुजारा करना पसंद था लेकिन गलत तरीके से पैसे कमाना नहीं यहां तक के बच्चों को घर पर ट्यूशन पढ़ना भी उन्हें गलत लगता था उनका कहना था कि अगर टीचर क्लास में सही से पढ़ाई तो बच्चों को अलग से पढ़ने की जरूरत ही नहीं है मेरी मां भी बहुत सिंपल सी लेडी थी मेरे पिता का सपना था कि मैं एक आईएएस अफसर हूं और यही नहीं बहुत कम इनकम और रिसोर्सेज के बावजूद मेरे पैरंट्स ने मुझे बहुत अच्छी एजुकेशन अपना टाइम बता रही थी दिन रात की मेहनत और मेरे पापा की गाइडेंस की वजह से मैं अपनी स्टडीज में बहुत अच्छा कर रही थी मेरी सिविल सर्विसेज की प्रिपरेशन के लिए मेरी मां ने अपनी कुछ आज से मैं और भी डिटरमाइंड हो गई कि मुझे हर हाल में यह एग्जाम क्लियर करना है बैलेंस की ब्लेसिंग और मेरी मेहनत रंग लाई और मैं आईएएस अफसर बन गई इस बात से मेरे पिताजी से साथ में आसमान पर थे और मेरी खुशी का कोई ठिकाना नहीं था निकलने से पहले पापा ने बार-बार मुझे याद दिलाया कि मुझे अपना काम बहुत ईमानदारी से करना है मैं भी उन्हें बार-बार यकीन दिला रही थी कि मैं कभी भी उन्हें डिसएप्वाइंट नहीं करूंगी ट्रेनिंग पूरी हुई और मुझे दूर दराज के इलाके में पोस्टिंग मिल गई ट्रेनिंग के दौरान मेरी दोस्ती एक ऑफिसर से हुई सर्विस के दौरान यह दोस्ती धीरे-धीरे प्यार में बदल गए हम दोनों में बहुत सारी बातें लगती है वह बहुत रिच फैमिली से था उसके फादर बहुत बड़े बिजनेसमैन थे हमारे वैल्यूज में भी बहुत फर्क था प्लान किया तो मैं अपने पेरेंट्स को बताया मेरे फादर को वैसे तो कोई एतराज नहीं था बस उनका यह कहना था कि हम जिस माहौल में जिन वैल्यूज के साथ बड़े होते हैं उनका असर हमारी लाइफ के हर हिस्से में पड़ता है कहीं ऐसा ना हो कि तुम दोनों के डिफरेंस तुम्हारी शादी को भी इफेक्ट करें पिताजी को कन्वेंस किया कि ऐसा नहीं होगा हम दोनों बहुत समझदार है इसे मैनेज कर लेंगे तो मेरे फादर मान गए और हमारी शादी हो गई कुछ टाइम तक सब ठीक चलता रहा ए होनी शुरू होगी पूरा फायदा उठा रहे थे रिश्वत लेना उनकी नजरों में कोई क्रीम नहीं था बल्कि रिश्वत लेना तो उनका हक था बहुत कोशिश की लेकिन उन्होंने हमेशा मेरा मजाक उड़ाया अब तो तब हो गई जब उन्होंने मुझे दकियानूसी सोच की बता दिया और मेरे पिताजी को भी इस बात से मैं बहुत हर्ट हुई और मैं इस बारे में अपने ससुर यानी फादर इन लॉ से बात की उन्हें सब बताया कि उनका बेटा किस तरह गलत रास्ते से पैसे कमा रहा है और कल कोई बात कितनी बड़ी मुसीबत बन सकती है कि मैं ओवर रिएक्ट कर रही हूं अब मैं बहुत खटास हो चुकी थी मेरे हस्बैंड के करप्शन के किस ऑफिसर्स के बीच फैलने लगे थे लेकिन उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ रहा था आए दिन इस बात पर लड़ाई होती है वह अपने आप को सुधारने के लिए तैयार नहीं है और मैं अपने पिता की सिखाई हुई वैल्यूज पर कंप्रोमाइज नहीं कर सकती क्योंकि अब यह मेरी भी वैल्यूज है अभी मुझे बताइए कि अब क्या करना चाहिएकहानी को पढ़कर पंडित जी को बहुत दुख हुआ किस तरह से लोग जीवन की सिचुएशन में फंस जाते हैं और इन सिचुएशन से बाहर निकलने में जिंदगी वह नहीं रहती जो पहले थी बताना ही होगा सही होते हुए भी आप सफर कर रही है इस बात का मुझे अफसोस है लेकिन हमें कुछ ना कुछ डिसीजन तो लेना ही होगा इस समझ के आधार पर आपको गीता का यह श्लोक भेज रहा हूं आप इसे समझो और अगर इससे कोई मदद मिले तो अपने जीवन में आगे बढ़ो श्लोक नियम गुरु कर्म कर्म जइयो यह कर माना यात्रा पिक्चर देना प्रसिद्ध गीत शास्त्रों में बताए गए अपने धर्म के अनुसार कर्मकार पिता कर्म कथा कम ना करने निर्वाह भी नहीं सिद्धहोगा कर्म न करने की अपेक्षा कम करना श्रेष्ठ है तथा कर्म न करने से निर्वाह भी नहीं सिद्ध होगा इस सिंपल वर्ड्स में समझाएं तो इसका मतलब कुछ यूं है भगवान श्री कृष्ण अर्जुन को समझते हैं कि हर मनुष्य को अपने-अपने धर्म के अनुसार काम करना चाहिए जैसे स्टूडेंट का काम है पढ़ाई करना सोल्जर का काम है देश की रक्षा करना जो लोग अपना काम ठीक से नहीं करते उनसे अच्छे वह लोग होते हैं जो अपने धर्म के अनुसार काम करते हैं क्योंकि बिना काम किया तो शरीर का पालन पोषण करना भी संभव नहीं है उसे वह पूरी करनी आप जानती है कि आपका काम क्या है आपका काम है जो आपके अकॉर्डिंग सही है उसे रास्ते पर चलना जो गलत है उसे रोकना समझना और सही रास्ते पर लाने की कोशिश करना को अपनों की नाराजगी तब भी अपने रास्ते से नहीं है क्योंकि सही और गलत इंसान देखकर डिसाइड नहीं होता यह अपना काम कीजिए हो सकता है इसका रिजल्ट अच्छा ना हो लेकिन आपको इस बात का सेटिस्फेक्शन हमेशा रहेगा कि अपने काम ठीक बहुत कोशिश के बाद भी गुनाह चाहे तो फिर उसे उसके हाल पर छोड़कर आगे बढ़ाने में ही समझदारी है भगवान श्री कृष्णा आपको सही राह पर चलने की शक्ति दें यह लिखकर ईमेल सेंड कर दे एपिसोड 
उद्धरेदात्मनात्मानं नात्मानमवसादयेत् ।
आत्मैव ह्यात्मनो बन्धुरात्मैव रिपुरात्मनः ॥5॥

मन की शक्ति द्वारा अपना आत्म उत्थान करो और स्वयं का पतन न होने दो। मन जीवात्मा का मित्र और शत्रु भी हो सकता है।


15 आज पंडित जी सुबह से बहुत खुश है बार-बार घड़ी देख रहे हैं कि कब 11:00 बजेंगे बार-बार अपनी पत्नी सरला से पूछते हैं कि उन्हें खाना बनाने की तैयारी में क्या मदद चाहिए घर का गेस्ट रूम उन्होंने खुद ही रेडी कर दिया था एक्चुअली आज पंडित जी के बचपन के दोस्त आ रहे हैं उनसे मिलने साथ में उनका बड़ा बेटा सौरभ भैया रहा है आखरी बार 10 साल पहले सौरभ की ही शादी में अपने दोस्त सुधाकर से मिले थे पंडित जी तब से आप जाकर मिलना हो पा रहा है वह भी इसलिए की सुधाकर को अपनी कुछ आप सुन रहे हैं कल फोन करके जब यह बताया तो पंडित जी बहुत खुश हुए सुधाकर उनके बचपन का दोस्त और दोस्त भी ऐसा वैसा नहीं पक्का दोस्त उसके साथ उनके बचपन की स्कूल की बहुत सारी यादें जुड़ी हुई है बचपन में दोनों बराबर के पार्टनर्स होते थे या उन्हें क्राईम पार्टनर हो या क्लासमेट के टिफिन से लूं इसमें दोनों की बराबर ताज स्कूल जाना साथ खेलना हर काम दोनों का साथ ही होता था टीनएज तकिया सिलसिला चलता रहा और फिर सुधाकर के फादर का ट्रांसफर दूसरे शहर में हो गया तब दोनों दोस्त बहुत उदास हुएजाना तो थाई लेकिन फिर लेटेस्ट और बाद में फोन के जरिए एक दूसरे से दोनों जुड़े रहे साल में एक दो बार मुलाकात भी हो जाती थी लेकिन पिछले 10 साल से मिलने का यह सिलसिला था क्योंकि अब दोनों की उम्र भी हो गई थी और ऐसा कोई बहाना भी नहीं मिला की मुलाकात पंडित जी यह सब सो ही रहे थे कि सुधाकर और सौराबाद दोनों दोस्त ऐसे गले मिले जैसे जन्मों के बाद मिल रहे हो दोनों दोस्तों की जो बातें शुरू हुई तो जैसे खत्म होने का नाम ही नहीं ले रही थी इस सब में कब दिन ढल गया पता ही नहीं चलते में बैठे कुछ सोच रहे थे उनके ध्यान में सौरभ का मुरझाया हुआ चेहरा आ रहा था कि सब कुछ ठीक नहीं है वरना सौरभ के चेहरे पर तो हमेशा स्माइल रहती थी उन्होंने सोचा कि सुबह जरूर सौरभ से बात करेंगे तो सौरभ भी उनके साथ कुछ फॉर्मल बातों के बाद आखिर पंडित जी ने सौरभ से पूछ लिया कि क्या वह किसी परेशानी में है सौरभ पहले तो इसकी छाया लेकिन फिर वह पंडित जी के आगे खुल गया उसने बताया कि उसकी लाइफ में पिछले कुछ सालों से बहुत टेंशन चल रही है जिसकी वजह उसकी वाइफ और मदर का रिलेशन मैं समझा नहीं पंडित जी ने सौरभ से कहासौरभ बोला मैं आपको डिटेल में बताता हूं मेरी शादी में तो आप आई ही थे मेरी पत्नी निधि बहुत अच्छी नेचर की समझदार और पढ़ी-लिखी लड़की मेरी मां भी अच्छे नहीं चाहिए यह तो आप जानते हैं शादी के कुछ वक्त बाद तक सब सही से चला रहा लेकिन फिर धीरे-धीरे निधि और मां के बीच टेंशन पढ़नी शुरू हो गई बहुत छोटी-छोटी बातों से मिसअंडरस्टैंडिंग पैदा होनी शुरू होने लगी दोनों को लगता था कि गलती हमेशा सामने वाले की है पहले तो उन दोनों ने आपस में बात करके इश्यूज को सुलझाया लेकिन धीरे-धीरे उनके बीच बातचीत कम होने लगी और वह दोनों ही एक दूसरे की शिकायतें मुझे करने लगी मुझे समझ ही नहीं आता कि मैं क्या करूं मन को सही कहूं तो वाइफ नाराज होजाएगी और वाइफ को सही कहता हूं तो मन नाराज हो जाएगी यह रोज-रोज की लड़ाइयां इतनी बढ़ चुकी है कि मेरा ऑफिस से घर जाने का मन ही नहीं करता पंडित जी को सौरभ की परेशानी अच्छे से समझ आ गई लेकिन इसमें उनके दोस्त सुधाकर का रोल समझ नहीं आ रहा था तुम्हारे पापा इस मामले में कुछ इंटरफेयर नहीं करते क्या दोनों को समझने की कोशिश नहीं करते मेरे पापा का नेचर तो आप जानते ही हो किसी भी तरह के लड़ाई झगड़े से वह दूर रहना पसंद करते हैं फिर आगे के साथ उनका ब्लड प्रेशर भी बड़ा हुआ रहता है इसीलिए हम भी नहीं चाहते कि उन्हें अननेसेसरी किसी टेंशन वाली सिचुएशन एक ही घर में रहते हैं इसीलिए पता तो उनको सब कुछ ही लेकिन वह सास बहू की लड़ाई में नहीं पढ़ते दोनों में से ना तो किसी को अच्छा कहते हैं ना पूरा लेकिन ऐसा कब तक चलेगा किसी न किसी को उन दोनों को साथ बिठाकर बात तो करनी ही पड़ेगी क्या पता करें कि तो उनकी मिसअंडर्स दूर हो जाए मैं कोशिश की थी अंकल लेकिन कोई फायदा नहीं चाहती और मैं इस उम्र में अपने पेरेंट्स को छोड़ना नहीं चाहता वाइफ को भी परेशान नहीं देख सकता अब आप ही बताइए इस श्लोक और उसके अर्थ को सुनने के बारे में समझ आ जाएगा कि तुम्हारे परिवार में हो रही इस गले का कारण क्या है लोग को ध्यान से त्रिपुराकुरुक्षेत्र के मैदान में भगवान कृष्ण अर्जुन से कहते हैं की आत्मा ही आत्मा की सबसे प्रिय मित्र है इसलिए आत्मा का धर कर निराश नहीं जिस व्यक्ति ने आत्मज्ञान से आत्मा को जाना है उसके लिए आत्मा मित्र है और जो आत्मज्ञान से दूर है उसके लिए आत्मा ही शत्रु है अब इसका सिंपल वर्ड्स मतलब हम यह सोचते हैं कि फैलाना इंसान हमारा दोस्त है हम भूल जाते हैं कि शरीर दो आत्मा चल रही है दो आत्माओं के पिछले जन्मों के कर्मों के चरणों के रिश्ते होंगे किताब होंगे जन्म में भी उनके साथ है इसी वजह से दोनों के बहुत समझदार होने के बावजूद ऐसी सिचुएशन बांटी जाती है कि उनके बीच सब खराब हो जाता है अगर तुम और बाकी परिवार के लोग इस बात को समझ लो तो आधी परेशानी नहीं खत्म हो जाएगी और उसके फल को आत्मा अगले जन्म तक लेकर जाए यह चक्र में जो भी अच्छे बुरे कर्म है और समझना चाहिए हमें आत्मा के रोल को देखना करते हुए घमंड नहीं करना है चलने वाली आत्मा का काम है इसी तरह से सोचेंगे तो अगले व्यक्ति के नफरत नहीं तुम्हारी पत्नी और मां के रिलेशन में जो भी हो रहा है वह इसलिए समझ सको तो शायद उन्हें अब समझ भी आ जाए सौरभ ने पंडित जी की बातें बड़े समझने की कोशिश लेकिन यह सब उसके लिए बिल्कुल दोनों के बहुत समझदार होने के बावजूद ऐसी सिचुएशन बांटी जाती हैं कि उनके बीच सब खराब हो जाता है अगर तुम और बाकी परिवार के लोग इस बात को समझ लो तो आधी परेशानी यहीं खत्म हो जाएगी उसके बाद यह समझना है की जन्म के कर्मों और उसके फल को आत्मा अगले जन्म तक लेकर जाएगी और कभी खत्म नहीं होगा इसीलिए इसी जन्म में जो भी अच्छे बुरे कर्म है उन्हें सेटल कर देना चाहिए इतना हो सके हमें हर किसी में आत्मा देखनी चाहिए और समझना चाहिए कि हर सॉल्यूशन में हमें आत्मा के रोल को देखना है किसी काम को करते हुए घमंड नहीं करना कि जी मैं यह कर रहा हूं साथ ही दूसरों के कामों में भी यही सोचा है कि यह उसे शरीर को चलने वाली आत्मा का काम है इसी तरह से सोचेंगे तो अगले व्यक्ति के प्रति गुस्सा यह नफरत नहीं होगी तुम्हारी पत्नी और मां के रिलेशन में जो भी हो रहा है वह किसी एक ज्ञान के कारण हो रहा है अगर तुम उन्हें गीता ज्ञान को सही तरीके से समझ सको तो शायद उन्हें अब समझ भी आ जाएगा सौरभ ने पंडित जी की बातें बड़े ध्यान से सुनिए और समझने की कोशिश भी की लेकिन यह सब उसके लिए बिल्कुल नया था क्योंकि उसने इससे पहले कभी इतना सीरियसली सुनाया पढ़ा नहींथा पंडित जी यह बातें जानते थे इसीलिए उसे गीता को पढ़ने के लिए कहा और जहां समझ ना आए तुमसे पूछने को कहा सौरभ ने भी हम ही भरी और दोनों घर आ गए और पंडित जी ने भगवान श्री कृष्ण से सबके जीवन में शांति की प्रार्थना की एपिसोड जो आपको एफएम पर सुन रहे हैं यहीं खत्म होता है 
न जायते म्रियते वा कदाचि

न्नायं भूत्वा भविता वा न भूयः।

अजो नित्यः शाश्वतोऽयं पुराणो

न हन्यते हन्यमाने शरीरे।।2.20।।

यह शरीर न कभी जन्मता है और न मरता है तथा यह उत्पन्न होकर फिर होनेवाला नहीं है। यह जन्मरहित, नित्य-निरन्तर रहनेवाला, शाश्वत और पुराण (अनादि) है। शरीरके मारे जानेपर भी यह नहीं मारा जाता।
 

16 आज उसे जगह गए थे जहां जाने से हर इंसान डरता है जा के बारे में कहा जाता है कि वहां हर कोई मोह माया से छूट जाता है शमशान कहलाती है इंसान की जीवनी ऑफ लाइफ की लास्ट डेस्टिनेशन अब सुन रहे हैं पड़ोसी की डेथ हुई थी इसलिए अपना फर्ज निभाना गए थे जिंदगी और भले पूरे परिवार का सुख देखकर गए थे लेकिन मृत्यु कितनी भी बड़ी उम्र में अपनों को कौन जाने देना चाहता है उनकी फैमिली के बच्चे बड़े सब रो रहे थे पंडित जी ने भगवान श्री कृष्ण से उन्हें समझा और शक्ति देने की प्रार्थना की घर लौटते हुए पंडित जी को एक बात याद आ गई बात तब की थी जो पूरे देश को कोरोना की सेकंड वेव ने अपनी चपेट में ले रखा था हर तरफ मौत का तांडव चल रहा था शायरी कोई ऐसी फैमिली बची थी जिसे कोई अपना ना खाया पंडित जी के भी कई रिलेटिव्स नेबर्स और जाने वाले बीमारी के कारण चल बसे थे दिन रात एंबुलेंस इधर से उधर भागती रहती और हर रोज कोई ना कोई बुरी खबर मिल जाती उन दिनों तो पंडित जी का इनबॉक्स जैसे दर्द भरी कहानियों से भर गया था लोग सलाह मांगते की कैसे अपना दुख कम करें कोई पूछता की भयानक टाइम में कैसे खुद को डिप्रेशन में जाने से रोके कोई तो यहां तक पूछ लेता कि यह वक्त कब बाइट गए इतना हो पता पंडित जी उतना लोगों को समझने उनका दुख बांटने की कोशिश करते हैं लेकिनइतने दुख के माहौल में वह खुद भी बेचैन होने लगे थे फीमेल के पीछे कैसा मेल था जिसने पंडित जी की आंखों में भी आंसू भर दिए थे लिखने वाले को समझाने से पहले उन्हें खुद को समझाना पड़ा था खुद गीता पढ़नी पड़ी थी आखिर थे इंसान चाहे कितना भी समझ ले भावनाओं के आगे ज्ञान कभी कबार छोटा पड़ ही जाता है ईमेल एक लड़की का था जिसने कोविद की वजह से अपनी मां को दी थी मां जो उसके लिए सब कुछ नहीं शायद पहले कभी नहीं इस दुख को एक्सप्रेस करने के लिए मेरे पास शब्द है और अगर होते भी तब भी कोई सुनने वाला नहीं है मेरी लाइफ में कैसी इंसान थी जो बिना बोले ही मेरा मूड समझ जाती थी मेरी आवाज में अगर जरा सी उदासी होती तो वह एक बार में ही पकड़ लेती थी वह मेरी मां थी की वजह से ही मेहता अब वह नहीं है तो लगता है मेरा होना भी बेकार है पंडित जी मेरा नाम विपिन है मैं 25 साल का हूं मैं एक होटल में काम करता हूं मेरी फैमिली में बस में और मेरी मां ही थे देखा जाए तो मेरी काफी बड़ी फैमिली है जिसमें मेरे पापा दादी चाचा चाचा और उनके बच्चे भी लेकिन यह फैमिली बस नाम के लिए है क्योंकि इन्हें पिछले कई साल से मुझे और मेरी मां से कोई मतलब नहीं रहाउसके पीछे भी एक लंबी कहानी दरअसल मेरी मां बड़े गरीब घर से थी उनके पिता ने छोटी आगे में ही मेरे फादर से उनकी शादी करवा दी मेरे पापा का डेरी बिज़नेस था और सही मायने में देखा जाए तो उन्हें वहां काम करने के लिए एक दिन रात की नौकर की जरूरत थी बिना कंप्लेंट के काम भी कर लेता मेरी मां की शक्ति में उन्हें वह नौकरानी मिल गई थी मेरे पापा के नीचे बहुत खराब था और खराब नेचर वाले कभी भी बिजनेस में अच्छा नहीं कर सकते बिजनेस भी डूबने लगा था शराब तो पहले से ही पीते थे अब दिन रात शराब में ही डूबे रहते हैं नशे में मेरी मां को बहुत मारते वह बेचारीदिन रात टीचर वाले कभी भी बिजनेस में अच्छा नहीं कर सकते बिजनेस भी डूबने लगा था शराब तो पहले से ही पीते थे अब दिन रात शराब में ही डूबे रहते हैं नशे में मेरी मां को बहुत मार दे वह बेचारी दिन रात काम भी करती और मर भी खाती सब कुछ चुप रहकर सहती क्योंकि उसे मेरी फिक्र रहती मैं तब इतना बड़ा हो गया था कि आसपास क्या हो रहा है यह मुझे समझ आने लगा था मैं अपनी मां के लिए बहुत बुरा फील करता हूं कभी-कभी मेरा मन करता क्यों अपने फादर को पीट दूंकि मेरी मां मुझे हमेशा समझता कि चाहे जैसे भी हैं वह मेरे फादर है मुझे उनकी रिस्पेक्ट करनी चाहिए पर सजी है कि मैं कभी अपने फादर की ना तो रिस्पेक्ट कर पाया ना उनसे प्यार कर पाया पापा की नशे की लत बढ़ाने के साथ ही उनका मन के साथ बिहेवियर भी खराब होता जा रहा था हालात यहां तक खराब हो गए थे की मां को वहां से निकलना पड़ा क्योंकि अब वहां उसकी जान को खतरा हो गया था नाना जी के घर के हालात पहले ही बहुत खराब थे फिर उनकी डेथ के बाद तो मां और मुझे वहां कोई पूछने वाला भी नहीं था अब हम दोनों के आगे रोटी और छत की मां ने अपनी जो कुछ थोड़ी बहुत जरूरी थी वह भेजिए और एक किराए के कपड़े और सिलाई मशीन का इंतजार किया मुझे जितना याद है उसमें बस मेरी स्ट्रगल करती मां है छोटी-छोटी चीजों के लिए दिन रात मेहनत करती मां है किसी तरह मेरी मां ने मुझे पढ़ाया लिखाया किसी भी मेरे फादर यह किसी और फैमिली मेंबर ने हमारी खबर तक नहीं ली मेरी स्कूल की स्टडीज कंप्लीट होने के बाद मैं भी ट्यूशंस लेना शुरू कर दिया थासाथ-साथ मेरी कॉलेज की पढ़ाई भी चल रही थी लगातार सिलाई के काम में मां की आंखों को कमजोर कर दिया था उन्हें धुंधला दिखना शुरू हो गया था मैं कई बार कहता कि डॉक्टर को दिखा देते हैं लेकिन वह कहती कि जब तेरी नौकरी लगेगी तब वह खुद किसी बड़े डॉक्टर के पास चली जाएगी पढ़ाई कंप्लीट हुई और मुझे होटल में मैनेजर की नौकरी मिल गई मन बहुत खुश थी उसके इतने सालों की मेहनत अब जाकर सफल हुई थी मैं भी अपनी मां को जितना शुक्रिया कहूं कभी वह मुझे बहुत बुरे माहौल से निकाल कर ले आई थी उसने अपनी हर खुशी अपने हर सुख को किनारे रखकर हमेशा मेरे लिए सोचा और मुझे इस काबिल बना दिया कि मैं सोसाइटी में सरवाइव कर सकूं अब सब ठीक होने वाला था मेरी मां के आराम करने के दिन आए थे उनकी स्ट्रगल्स का इनाम मुझे मिलने का टाइम आया था पता नहीं कैसे उसे कोविद हो गया और एक हफ्ते के अंदर ही वह कोविद से लड़ाई हार गई की बॉडी पहले से ही इतनी भी थी की झील नहीं सकती मैं अपनी दो-तीन महीने की सैलरी से पैसे बचाकर मां की आंखों की ट्रीटमेंट के लिए सब अरेंजमेंट कर लिया था लेकिन अब मन ही नहीं रही आखिरी बार उसे देख तक नहीं पाया मुझे लगता है की मां के बिना मैं जी नहीं पाऊंगा मुझे यह सब बेकार लगता हैपंडित जी को इस कहानी में दुखी कर दिया हालांकि वह जानते हैं की मौत ही जीवन का सबसे बड़ा सच है लेकिन कुछ सच्चाई है इतनी कड़वी होती है क्यों नहीं देखने का मन ही नहीं करता पंडित जी दिल से चाहते थे कि विपिन के मन को हिम्मत मिले इसीलिए उन्होंने मेल में गीता का यह श्लोकलिखकर भेजो लेकिन सच को भी जितनी जल्दी हो सके एक्सेप्ट कर लेना चाहिए गीता में भगवान श्री कृष्ण अर्जुन से कहते हैं न जाए भूतिया अर्जुन नित्य शाश्वत-एमपुराण लेटे हनुमान ने शरीर इसका अर्थ यह है की आत्मा का जन्म नहीं होता उसकी मृत्यु भी नहीं होती वह पहले ना थी जब के बाद नहीं होगी आत्मा अजंता शाश्वत और पुरातन शरीर का नाश होने पर भी आत्मा का नाश नहीं होता आत्मा को शास्त्र काट नहीं सकते अग्नि जल नहीं सकती अपनी भिगो नहीं सकता और हवा सुख नहीं सकती आत्मा सब जगह मौजूद है और कभी ना खत्म होने वाली है तुम्हारी मां के शरीर को चलने वाली आत्मा अब अपने दूसरे सफर पर चली गई है ऐसा हर आत्मा के साथ होना चाहिए इसीलिए तुम उनका शक मत करो उसे आत्मा को कष्ट उठाने थे सोच ने उठाएंअब हम परमात्मा से प्रार्थना कर सकते हैं कि उनके जन्म के अच्छे कर्मों का फल उन्हें अगले जन्म में दें और उन्हें कष्ट ना हो तुम्हें उसे आत्मा को सम्मान देते हुए उसके लिए प्रार्थना करनी चाहिए अगर तुम अपनी मां की मौत का शोक मनाते हुए अपनी जिंदगी सही से नहीं जियोगे तो तुम अपनी मां के संघर्षों की डिजरिस्पेक्ट करोगे वह सारी जिंदगी तुम्हें खुश रखने के लिए जीती रही और अब तुम दुखी होकर उनके सारे शब्द को बेकार कर रहे हो इसमें भगवान श्री कृष्ण ने जीवन और मृत्यु के बारे में हमें बहुत कुछ समझाया है उसे समझो मैं भगवान श्री कृष्ण से प्रार्थना करूंगा कि तुम्हें शक्ति और शांति मिले और 
परित्राणाय साधूनां विनाशाय च दुष्कृताम्। धर्मसंस्थापनार्थाय संभवामि युगे युगे॥

सत्पुरुषों की रक्षा करने के लिए, दुष्कर्म करने वालों दुष्टों के विनाश के लिए और धर्म की पुनः स्थापना करने के लिए मैं (श्री कृष्ण) प्रत्येक युग में जन्म लेता हूँ।

17 लगातार बारिश हो रही थी ऐसा लग रहा था कि जैसे पूरे मानसून के बदले एक साथ बरस जाएंगे बारिश होती तो फिर भी ठीक होता लेकिन बारिश के साथ जो बिजलियां कड़क रही थी और बीच-बीच में जो तेज हवाएं चल रही थी वह माहौल को बहुत डरावना बनाने की पूरी जिंदगी में 2 दिन के अंदर इतनी बारिश नहीं देखी बिजली नहीं है तो इंटरनेट भी नहीं है इसीलिए ब्लॉक भी नहीं खोल पा रहे हैं कि उधर ही कुछ टाइम काट ले भी इस लगातार हो रही मूसलाधार बारिश से बहुत परेशान है क्योंकि वह घर में कैद होकर रह गई है इंद्रदेव से प्रार्थना कर रही है कि अब बस भी कीजिए बहुत हो गया किसी तरह रात बीती और अगली सुबह बारिशहो गया पंडित जी रस की तरह सुबह वॉक पढ़ने के लिए तो हर तरफ पानी जमा हो रखा था किसी तरह बच्चे बचाते पर रख रहे थे तभी दूर से उन्हें शर्मा जी आते दिखे पंडित जी उन्हें देखकर बात खुश तो कोई तो मेरी तरह अपने नियम का पक्का है जो इस कीचड़ में भी वॉक पर निकल गया है दोस्तों यहां पर यह बताना जरूरी है कि आप सुन रहे हैं गीता ज्ञान को क्वेश्चन नदी पर बड़ा सा होटल बन रहा था ना कल नदी में समा गया ऐसा लगा जैसे दो दिन यह बारिश इस होटल को डूबने के लिए हुई थी होटल की नींद तक पहुंच गई और उसे अपने साथ बहा कर ले गई क्या पंडित जी के मुंह से निकला उन्हें वाकई बहुत हैरानी हुई और दिल में कहीं ना कहीं एक सेटिस्फेक्शन जानते थे आज नहीं तो कल ऐसा कुछ होगा अब जो हुआ उसे पंडित जी का गीत पर यकीन और भी गहरा हो गया अब आप सोच रहे होंगे की गीता पर यकीन और नदी की बाढ़ में इस होटल के डूब जाने का क्या रिलेशन है यह रिलेशन समझने के लिए आपको सालों पहले की घटना सुनाई होगी और पॉल्यूशन लोग काम थे तो फिर भी कम थी सड़के खली खली और आसमान एकदम साफ नीले रंग का हुआ करता था फिर धीरे-धीरे यहां भी डेवलपमेंट के नाम पर पेड़ काटे जाने लगे इंडस्ट्रियल एरिया डेवलप होने लगे जहां खेत हुआ करते थे वहां घर बनने लगे और जहां तालाब हुआ करते थे वहां इस डाउन में जब यह सब हो रहा था तब पंडित जी की जनरेशन स्कूल वाली आगे नदी हुआ करती थी जो पूरा साल तो लगभग सुखी रहती थी लेकिन बरसात में इतना पानी आ जाता कि लगने लगता पूरे शहर को ही बोलेंगे तो दूसरी तरफ गरीबों की बस्तियां थी दिनभर यह गरीब लोग अमीरों वाले हिस्से में काम करते और शाम होते ही अपने हिस्से की तरफ लौट जाते हैं गरीबों की बस्तियां पर रह रहे थे मांग कर रहे थे कि उनके घरों को ऑथराइज्ड कर दिया जाए उन्हें लीगल हग दे दिए जाएं ताकि उनका और उनके बच्चों का फ्यूचर सिक्योर हो सके कि अक्सर शहर में यह लोग रैली निकाल रहे होते हैं कभी धरने दे रहे होते कि उन्हें उनका हक दिया जाए धीरे-धीरे टाउन भी बड़े शहर में तब्दील हो गया था भीड़ भाड़ बहुत बढ़ गई थी शहर को बांटने वाली नदी अब सूखकर नाली बन गई थी और कई सालों से उसमें बरसात में भी पानी नहीं आया था डेवलपमेंट हो रहा था नए मार्केट बना रहे थे कुछ इंडस्ट्रीज भी आ गई थीउनकी जमीनदेखते हैं कि अक्सर शहर में यह लोग रैली निकाल रहे होते कभी धरने दे रहे होते कि उन्हें उनका हक दिया जाए धीरे-धीरे टाउन भी बड़े शहर में तब्दील हो गया था भीड़ भाड़ बहुत बढ़ गई थी शहर को बांटने वाली नदी अब सूखकर नाली बन गई थी और कई सालों से उसमें बरसात में भी पानी नहीं आया था गरीबों वाली साइड में भी काफी डेवलपमेंट हो रहा था वह नए मार्केट बना रहे थे कुछ इंडस्ट्रीज भी आ गई थी उनकी जमीनों वाला मामला अभी भी वही मटका हुआ था फिर भी इस मामले में एक नया मोड़ आया जब गरीबों को अपने लिए एक मसीहा मिल गया एक पढ़ा लिखा लड़का जो गजब का जोशीला था बातें भी जबरदस्त करता था वह इंका नेता बन गया उसने इन सब को फिर से इकट्ठा किया और उनकी लड़ाई में नहीं जान डाल दी यह लड़का बहुत अच्छी बातें करता था पढ़ा लिखा था तो उसमें कॉन्फिडेंस भी था उसने इन लोगों को यकीन दिला दिया कि वह सरकार से इनका हक लेकर रहेगा सबको इसकी बातों पर यकीन भी आ गया थाजाने क्या हुआ कई दिनों बाद सुनने में आया कि उसे लड़के ने सबसे धोखा किया और अब तक के जितने भी लीगल पेपर्स थे ग्रीन गायब करती है सुनने में यह भी आया किसने एक बिल्डर से स्टार्ट गांड कर ली थी बदले में उसकी नदी किनारे वाली कुछ जमीन और लाखों रुपए मिलने की अफवाह भी सुनाई पड़ी थी बेचारे गरीब लोग इतने सालों की लड़ाई एक इंसान के धोखे की वजह से उनके पास ना तो कुछ सबूत बच्चे थे कि वह सालों से उसे जगह रह रहे थे और ना ही उनके पास अब आगे लड़ने की ताकत ही बची थी पंडित जी के ऑफिस में इस बस्ती से एक लड़का था जो वहां पियों का काम करता था क्या आप तो हमेशा गीता ज्ञान सुनते हो इस बारे में आपका क्या कहना है क्या हम सब इतनी पापी हैं जो हमारे साथ ऐसा हुआ अब हमारे बच्चे कहां जाएंगे जिसने बुरा किया वह तो हर तरह से फायदे में और हम सही होकर भी परेशानी में आ गए तब पंडित जी ने यह श्लोक सुनाया परित्राणाय साधु नाम मेरा इसका मतलब यह है कि भगवान श्री कृष्ण अर्जुन से कहते हैं जिन लोगों के भले के लिए और बुरे लोगों के नाश के लिए और धर्म की स्थापना के लिए मैं युगो युगो से प्रत्येक युग में जन्म लेता हैभगवान कहते हैं कि जब तुम्हें लगता है कि कहीं पर अन्याय हुआ है और अन्याय करने वाला तो ठीक है उसके साथ सब सही चल रहा है लेकिन इसके साथ अन्याय हुआ है उसे पूछने वाला कोई नहीं उसके साथ खड़े होने वाला कोई नहीं लेकिन ऐसा नहीं मेरे पास सब की कम रजिस्टर होते हैं और जब पाप का घड़ा भर जाता है तब मैं खुद किसी न किसी रूप में आता हूं और उसे सजा देता हूं लेकिन हर काम का एक समय होता है जिसे प्रकृति तय करती है कर्मों के हिसाब से पनिशमेंट होती है किसी की इच्छा से नहीं कई बार न्याय में देरी होती है और लोगों का भरोसा उठ जाता है लेकिन हमें अपना भरोसा और पेशेंस बनाए रखना चाहिए अपना काम करते रहना चाहिए जुल्म के खिलाफ आवाज उठानी चाहिए और साथ ही यह विश्वास भी रखना चाहिए जब भगवान ने खुद गीता में कहा है कि वह न्याय करने आएंगे तो जरूर आएंगे इस बात को कई साल बीत चुके हैं नदी पार के लोगों को आखिर सरकार ने कहीं और जमीन भी दे दी थी इस तरह उनका स्ट्रगल जीत गया था लेकिन न्याय होना अभी भी बाकी था जिस दिन सब लोगों को धोखा दिया था उसने नदी किनारे बहुत बड़ा प्रोजेक्ट तैयार कर लिया था एक बहुत बड़ा होता है यह होना ही था क्योंकि नदी तो कभीभी लाउनका स्ट्रगल जीत गया था लेकिन न्याय होना अभी भी बाकी था जिसने इन सब लोगों को धोखा दिया था उसने नदी किनारे बहुत बड़ा प्रोजेक्ट तैयार कर लिया था एक बहुत बड़ा है जिसमें तमाम लग्जरीज मौजूद थी अब पता चला कि कल की बारिश उसे होटल को धराशाई कर गई थी यह होना ही था क्योंकि नदी तो कभी भी लौट कर आ सकती है लेकिन जब अक्ल पर पत्थर पड़े हो तो कोई क्या कर सकता है इस बात पर बहुत गहरा यकीन हो चला है कि वह हर युग में यानी समय-समय पर आते रहेंगे उनके आने का मतलब जरूरी नहीं कि भगवान राम या कृष्ण के रूप में ही है वह नेचर के किसी भी फॉर्म में आ सकते हैं किसी इंसान के रूप में आ सकते हैं मतलब किसी भी रूप में आ सकते हैं सर यूनिवर्स उनके कंट्रोल में इस तरह गीता में कहीं एक और बात को सच होते पंडित जी ने अपनी आंखों के सामने देखा उन्होंने मन ही मन भगवान श्री कृष्ण को प्रणाम किया और सब पर कृपा करने की प्रार्थना एपिसोड 

योगस्थः कुरु कर्माणि सङ्गं त्यक्त्वा धनञ्जय। सिद्ध्यसिद्ध्योः समो भूत्वा समत्वं योग उच्यते”

 यह भगवद गीता का एक श्लोक है. इस श्लोक का अर्थ है कि योग में स्थिर होकर, आसक्ति का त्याग करके, सफलता और असफलता में समभाव रखकर कर्म करना चाहिए. समत्व ही योग है. 


नास्ति बुद्धिरयुक्तस्य न चायुक्तस्य भावना।

न चाभावयतः शान्तिरशान्तस्य कुतः सुखम्।।2.66।।
 
जिसके मन-इन्द्रियाँ संयमित नहीं हैं, ऐसे मनुष्यकी व्यवसायात्मिका बुद्धि नहीं होती और व्यवसायात्मिका बुद्धि न होनेसे उसमें कर्तव्यपरायणताकी भावना नहीं होती। ऐसी भावना न होनेसे उसको शान्ति नहीं मिलती। फिर शान्तिरहित मनुष्यको सुख कैसे मिल सकता है? 
 
18 बृजभूषण जी पंडित जी 2 दिन से उलझन में उलझन की वजह है उनके पास आया एक फोन कॉल वैसे तो यह कॉल बहुत खुशी की वजह भी बन सकती थी लेकिन फिलहाल पंडित जी थोड़े से परेशान है उन्हें यह कॉल उनके एक बस गुप्ता सर ने की थी गुप्ता सर से पंडित जी की हमेशा अच्छे रिलेशन रहे इसकी एक वजह तो खुद पंडित जी का अच्छा नेचर और काम के प्रति डेडीकेशन रहा दूसरा गुप्ता सर भी बहुत अच्छे इंसान है काम के मामले में बहुत प्रोफेशनल लेकिन साथ ही अपने एम्पलाइज का भी बहुत ध्यान रखते थे सब के सुख-दुख में भी शामिल होते हैं वैसे गवर्नमेंट ऑफिसेज का माहौल अच्छा हुआ करता था तब एक फैमिली की तरह सभी दूसरे से कनेक्ट रहते थे काम का प्रेशर कम हुआ करता था तो लोग टेंशन में भी काम रहते थे पेंशन का मोटी थी तो आपस में प्यार से भी रहते थे आज बहुत दिनों के बाद गुप्ता सबका कॉल आया तो पंडित जी को बहुत खुशी हुई उन्होंने बताया कि पंडित जी की गीता ज्ञान ब्लॉक को बहुत इंटरेस्ट से पढ़ते हैं और इसमें रीडर की जो कमेंट्स आते हैं उन्हें भी शादी पंडित जी समझदारी से उनके आंसर देते हैं यह भी गुप्ता सर को बहुत पसंद आता है पंडित जी की कहानीकिया था और अब अपना काम शुरू करने जा रहा था अगले भी उसके ऑफिस का इनॉग्रेशन है और गुप्ता सर चाहते थे कि पंडित जी उसे दिन इनॉगरेशन में नजर शामिल हो बल्कि वैभव समेत सलीम एम्पलाइज को मैनेजमेंट और सक्सेस से रिलेटेड गीता ज्ञान भी दिन इसी बात से पंडित जी बहुत गुलशन में थे एक तरफ तो उन्हें खुशी थी कि उनके बॉस ने उन्हें इतनी इंपॉर्टेंस थी लेकिन दूसरी तरफ उन्हें समझ नहीं आ रहा था कि वह वहां जाकर गीता से क्या सुनेंगे क्योंकि जेनरेशन इसका काम इसका वह कलर उनकी जेनरेशन और वह कलर से बिल्कुल भी आईडिया नहीं था कि आजकल के खासकर प्राइवेट ऑफिसेज में क्या चैलेंज होते हैं क्या टेंशन होती है ऐसे में जनरेशन को गीता ज्ञान देना अपने आप में एक बहुत बड़ा चैलेंज था उनकी पत्नी सरला जी ने पूछा ऐसी क्या बात है और फिर उन्होंने सरला जी को सारी बातें बता दी सरला जी को उनकी बात सुनते ही उनकी उलझन का सॉल्यूशन भी नजर आ गया क्या आपके दो बेटे प्राइवेट सेक्टर में जॉब कर रहे हैं उनसे अच्छा आपको कौन बता सकता है कि उनकी जब जो ऑफिसेज में किस तरह के शूज होते हैं और फिर आप आराम से उन पर गीता ज्ञान को अप्लाई करने का मोटिवेशन वैभव और उसकी पुलिस को दे सकते हैं और उन्हें क्या आप अपने बच्चों को भी समझ सकते हैं बहुत सरल पंडित जी खुश होकर बोले तुमने बड़े बेटे राघव से बात कीबहुत खुशी थी कि उसके फादर को यंग जनरेशन से इंटरनेट करने का मौका मिल रहा था जब पंडित जी ने उस सवाल किया कि उसकी जनरेशन को ऑफिस में किस तरह की प्रॉब्लम उसका सामना करना पड़ता है इस तरह की टेंशन रहती है वह कलर कैसा रहता है तब राघव ने उन्हें बहुत डिटेल में बताया पंडित जी हैरान थे कि इतनी कम उम्र में इन बच्चों पर कितना प्रेशर है कैसे इनका एक मिनट टेंशन में मिलता है खुद को प्रूफ करने के लिए कितना टू कंपटीशन रहता है कि सबएक दूसरे उम्र में इन बच्चों पर कितना प्रेशर है कैसे इनका एक-एक मिनट टेंशन में बीतता है खुद को प्रूफ करने के लिए कितना टू कंपटीशन रहता है कि सब एक दूसरे के दुश्मन बन जाते हैं राघव ने कहा यह सब तो आज के टाइम का एक बेटा टूट है जिससे हम भाग नहीं सकते उससे बात करने के बाद पंडित जी ने अपनी श्रीमद् भागवत गीता खोल दे दिल से चाहते थे कि अगर इनमें से एक दो बच्चों को भी गीता से कुछ सीख पाए समझ पाए तो उन्हें लगेगा कि कुछ किया है बहुत देर तक गीता ज्ञान में गोते लगाने के बाद आखिर पंडित जी के हाथ कुछ मोटी लग ही गए थे जिस दिन गुप्ता सर के बेटे के ऑफिस का इनॉग्रेशन था उसे दिन सुबह-सुबह ही पंडित जी सरला जी के साथ तैयार होकर वहां पहुंच गए थे उन्हें बहुत खुशी हो रही थी कि मॉडर्न फैसेलिटीज वाले ऑफिस की शुरुआत प्रॉपर पूजा पाठ और हवन के साथ हो रही थीनई सोच के साथ खानदानी संस्कारों का यह जोड़ उन्हें बहुत अच्छा लगा था जो पूजा पाठ और हवन संपन्न हो गया तब कॉन्फ्रेंस हॉल में बैठे गुप्ता सर ने बड़ी रिस्पेक्ट के साथ पंडित जी का इंट्रोडक्शन दिया पंडित जी जागते हुए आगे बढ़े और गुप्ता सर के पास पहुंच गए उन्होंने सर को धन्यवाद कहा और वैभव के साथ सारे स्टाफ को बेस्ट विशेस भी अब पंडित जी सबके साथ श्रीमद् भागवत गीता से चुने हुए कुछ मोटी बांटना शुरू किया प्यारे बच्चों मुझे बहुत खुशी है कि आप लोगों ने अपनी लाइफ के बहुत बड़े स्टेप को आज लिया है मैं भगवान श्री कृष्ण से प्रार्थना करूंगा कि आप सब कुछ सक्सेस दिन अब मैं आपको भगवान श्री कृष्ण के कुछ वचन सुनना चाहता हूं और उम्मीद करता हूं कि इससे आपको कुछ हेल्प मिलेगी आपको कुछ हेल्प मिलेगी सम गुड गर्ल्स कुछ इस तरह से भगवान श्री कृष्ण अर्जुन से कहते हैं कि है धनंजय कम न करने का आग्रह त्याग कर यश अपयश के विषय में समृद्धि होकर योग धाम का अर्थ होता है कर्तव्य अभिषेक सिंपल वर्ड्स में समझता हूं हम लोग धर्म का सही मतलब ही नहीं जानते हमें लगता है धर्म का मतलब पूजा पाठ करना व्रत उपवास करना तीर्थ यात्राएं करना या रोज मंदिर जाना है जबकि धर्म सिर्फ यही नहीं है भगवान श्री कृष्ण ने गीता में कर्तव्य यानी ड्यूटी को ही धर्म कहा है भगवान कहते हैं कि अपनी ड्यूटी को पूरा करने में कभी यश अपयश और नुकसान नहीं देखना चाहिए कि हमारी ड्यूटी क्या है ड्यूटी का मतलब प्रोफेशनल ड्यूटीज ही नहीं पर्सनल ड्यूटीज भी अपने-अपने परिवार अपनी सोसाइटी के प्रति हमारी रिस्पांसिबिलिटी तय होना जरूरी है जब यह तय होगा तब लाइफ में हमारी प्रायोरिटी भी सेट होगी और हर काम के लिए बेटर रिजल्ट्स मिलेंगे और मन भी शांत रहेगा मन में शांति होगी तो हर काम अच्छा होगा अपनी ड्यूटी को पूरा करते हुए कभी नफा नुकसान नहीं देखना है आपको लगता है कि आप सही है तब अपना काम करते जाना है दूसरा श्लोक इस तरह से नाचायुक्त से भावना नाचा भाव शांति से खुद श्लोक का मतलब इस तरह है और उसके मन में भावना भी नहीं होती ऐसी भावना रहित पुरुष को शांति नहीं मिलती और जिसे शांति नहीं उसे सुख कहां से मिलेगा इस सिंपल वर्ड्स में हर कोई व्यक्ति अपने लिए सुख जाता है इसके लिए हम सारी जिंदगी भटकते रहते हैं मेहनत करते हैं एक दूसरे से लड़ते झगड़ते हैं लेकिन हम भूल जाते हैं कि सुख बाहर नहीं हमारे अपने मन में हम लोग सुख को बाहर ढूंढते हैं और वह कभी भी नहीं मिलता जिससे कुछ देर के लिए मिले भी तो फिर खो जाता है सबसे जरूरी बात जो हमें समझनी है वह यह है कि जिसके मन में शांति ना हो उसे कभी सुख नहीं मिल सकता इसीलिए सुख पाने के लिए मां पर कंट्रोल होना बहुत जरूरी है आपकी टारगेट्स पूरे होने का सुख प्रमोशन का सुख सबटेंपल अगर आपके मन में शांति नहीं है इसीलिए पहले अपने मन को शांत रखें अगर यह हो गया तो कुछ भी इंपॉसिबल नहीं है इसके बाद पंडित जी ने कुछ और गीता ज्ञान की बातें शेयर की सुनने वालों के कुछ डाउट क्लियर किया और बहुत सारे सवालों के जवाब दिए यह बहुत ही इंटरएक्टिव सेशन था जिसमें पंडित जी ने भी बहुत कुछ सीखा जल्द फिर आने का प्रॉमिस करके पंडित जी और सरला जी वापस 
दैवी ह्येषा गुणमयी मम माया दुरत्यया ।
मामेव ये प्रपद्यन्ते मायामेतां तरन्ति ते ॥

प्रकति के तीन गुणों से युक्त मेरी दैवीय शक्ति माया से पार पाना अत्यंत कठिन है किन्तु जो मेरे शरणागत हो जाते हैं, वे इसे सरलता से पार कर जाते हैं।

19 हर शाम पंडित जी और दोस्तों की महफिल कॉलोनी के पास में जमती है कई सालों से यह रूल है कि सब के सब शाम 6:00 बजे बात की फिक्स होने पर पहुंच कर बैठ जाएंगे सर्दियों में टाइम 5:00 बजे का होता है यह रूल तभी टूटता है जब कोई बीमार हो कहीं गया हो या मौसम खराब हो सब के सब रिटायर्ड है अब करने को कुछ काम नहीं और घर के बाकी लोग अपने डेली रूटीनस में इतने बिजी हैं कि उनके लिए किसी के पास टाइम नहीं इसीलिए बाद में बैठकर एक दूसरे से अपना सुख-दुख बांट लेते हैं कुछ अपनी का लेते हैं कुछ दूसरों की सुन लेते हैं इसके अलावा भी बहुत सारी बातें हैं जैसे की दुनिया की बातें हैं पॉलिटिक्स की बातें हैं कि आप सुन रहे हैं गीता ज्ञान अब वापस आते हैं पंडित जी और उनके दोस्तों दिनों से दोस्तों की महफिल थोड़ा उदास उदासी रहती हैमंडली को ही क्या वह तो इस कॉलोनी को ही छोड़ कर जा रहा है जाना नहीं चाहता है फिर भी जा रहा है ऐसे में मंतोष हो गई जिस मेंबर की बात हो रही है उसका नाम है सत्यनारायण दुबे और जहां वह जा रहे हैं उसे जगह का नाम है सत्यनारायण जी की पत्नी की डेथ को 20 साल होने को आए हैं इनका इकलौता बेटा भी कई साल पहले एब्रॉड सेटल हो गया है सत्यनारायण जी अब एकदम अकेले पड़ गए कभी-कभी उनका एक भतीजा जाता है जब उन्हें डॉक्टर या बैंक तक जाने की जरूरत पड़ती है कुछ वक्त से सत्यनारायण जी की हेल्प ठीक नहीं रहती कभी ब्लड प्रेशर ठीक नहीं रहता तो कभी शुगर को हो जाता है भतीजा भी जॉब करता है इसीलिए रोज-रोज तो नहीं आ सकता इसीलिए उनके बेटे ने इस प्रॉब्लम का यह सॉल्यूशन निकला है कि उन्हें ओल्ड एज होम भेज दिया जाए ताकि वहां उनकी सही से देखभाल होती रहे पंडित जी को भी इस बात का अच्छा नहीं लग रहा है लेकिन इसमें कोई कर भी क्या सकता है बच्चों और बुजुर्गों को एक जैसी केयर की जरूरत होती है पंडित जी के सभी दोस्त उदास है जब सत्यनारायण जी साथ होते हैं तब सब नॉर्मल बातें करने की कोशिश करते हैं लेकिन जिस दिन वह नहीं आते तब उनका ही टॉपिक लेकर बैठे होते हैंतो कोई उनके बेटे की अब ब्रिंगिंग को कोई जमाने को ही दोषी ठहरा देता है कि जमाने के बच्चों में तो शर्म लाज भी नहीं बची है एक हमारा जमाना था जब मां-बाप के लिए सारी दुनिया की दौलत छोड़ दिया करते थे सत्यनारायण जी तो खुद इस बात की मिसाल थे पंडित जी को अक्सर सत्यनारायण जी की जवानी के दिन याद आ जाते थे पूरे शहर में कहते थे क्योंकि उन्होंने अपने पेरेंट्स की सेवा करने में कोई कसर नहीं छोड़ी थी सत्यनारायण जी के पेरेंट्स बहुत लंबी है और बहनों के इकलौते भाई थे सत्यनारायण जी बहाने तो शादी के बाद अपने घर चली गई इसीलिए पेरेंट्स की रिस्पांसिबिलिटी सत्यनारायण जी को निभाई थी जिसे उन्होंने बहुत अच्छे से निभाया सुबह-सुबह उठकर ऑफिस जाने से पहले अपने पेरेंट्स को नाश्ता बनाकर खिला दिया करते थे क्योंकि उनकी वाइफ बच्चों के स्कूल जाने की तैयारी में बिजी रहती है उसके रूम से लेकर कपड़ों तक की साफ सफाई की जिम्मेदारी खुद लेते थे क्योंकि उसे दौर में सब अपने काम खुद ही करते थे कामवाली रखने या नौकर रखने का ना तो चलन था नहीं इतने पैसे लोगों के पास हुआ करते थे जब उनके पापा बीमार पड़े तो उन्हें हर दूसरे दिन ऑफिस से छुट्टी लेनी पड़ती बस की डांट भी इस वजह से करनी पड़ती लेकिन उन्होंने इस बात से कभी माथे पर शिकार नहीं आने देउनकी भी पूरी गैर सत्यनारायण जी ने ही की ऐसा नहीं है कि उनकी वाइफ इसमें साथ नहीं देती थी वह भी बहुत अच्छी महिला थी सत्यनारायण जी खुद ही अपने पेरेंट्स की सेवा करना ज्यादा पसंद करते थे आज में है तब उनके पास कोई पानी देने वाला भी नहीं है दोस्तों की महफिल में इस बात को भी डिस्कस किया जाता था पंडित कहते हो कि इंसान अपने कर्मों का फल होता है हमारी जानकारी में तो सत्यनारायण ने बहुत अच्छे कर्म किए अपने पेरेंट्स की बहुत सेवा की फिर उसके साथ ऐसा क्यों हो रहा है बताओ उसे इस आगे में ऐसे क्यों अपना घर छोड़कर अनजान लोगों के साथ रहने जाना पड़ रहा है उन्हें समझाने की आत्मा कोई एक या दो जनों में नहीं बंधी होती वह तो लगातार एक शरीर से दूसरे शरीर में जाती रहती है नहीं होता इस जन्म में हम बहुत अच्छा करें लेकिन अगर आत्मा पिछले जन्म के बुरे कर्मों का बोझ लेकर चल रही है पंडित जी उन्हें समझाने की आत्मा कोई एक या दो जनों में नहीं बनती वह तो लगातार एक शरीर से दूसरे शरीर में जाती रहती है एक जान के कम से कुछ खसते नहीं होता इस जन्म में हम बहुत अच्छा करें लेकिन अगर आत्मा पिछले जन्म के बुरे कर्मों का बोझ लेकर चल रही है तो उसका फल तो भुगतना ही पड़ेगा अब वह दिन भी आ गया था जब सत्यनारायण जी को ओल्ड एज सब मिलकर लौट आए लेकिन पंडित नारायण जी पंडित जी घर में रहना चाहते थे क्योंकि यहां से उनकी यादें जुड़ी थी उनका जन्म यहां हुआ था उनकी पत्नी इस घर में ब्याह कराई थी और यही से विदा हुई थी वह जिंदगी के आखिरी पड़ाव पर अब इस घर से दूर नहीं रहना चाहते थे बहुत सारे ऑप्शंस ट्राई करने के बाद ही आया था पहले किसी रिलेटिव के बेटे को साथ रखा गया लेकिन एक बूढ़े आदमी के रिस्पांसिबिलिटी कौन लेना चाहेगा इसीलिए वह भी चला गया लेकिन वह भी कुछ टाइम के बाद छोटा-मोटा सामान चुराकर भाग गया हूं मैं डॉक्टर से लेकर नर्स तक की सारी फैसेलिटीज थी थाने से लेकर सोना जगन तक सब कुछ कैमरे के सामने होता था पंडित जी अपने दोस्त के मन को अच्छे से समझ रहे थे और यह भी समझ रहे थे कि उन्हें समझना बहुत जरूरी है इसीलिए उन्होंने सत्यनारायण जी को शांत किया और फिर उन्हें गीता का यह श्लोक सुनाएं परंतु जो मेरी शरण में आते हैं वह माया को पार कर जाते हैं अब मैं तुम्हें सिंपल वर्ड्स में इसका मतलब समझता हूं श्लोक में भगवान श्री कृष्ण अर्जुन को अपनी माया के बारे में समझ रहे हैं की माया जो हमारे मन में चीजों लोगों और जगह के लिए मोह पैदा करती हैभगवान श्री कृष्ण श्लोक में यह एक्सेप्ट करते हैं कि अहंकार से भरे हुए और सेल्फ सेंटर्ड लोगों के लिए मेरी माया से पैदा हुए मोह को पार कर पाना इंपॉसिबल है कि फलानी चीज मेरी है वह मेरा बेटा है भाई है यह मेरा घर है ऐसी सोच माया भी मैं ही लोगों के मन में भरता हूं क्योंकि तभी तो यह दुनिया चलेगी लेकिन अगर इंसान इस माया को समझते हुए अपनी जिंदगी चलाएं सारे दुखों से बच सकता है माया को समझने के बाद जो मेरी शरण में आ जाते हैं मतलब ध्यान करते हैं मेरे बताएं अनुसार चलते हैं वह इस मोह के जंजाल से पर निकल जाते हैं इसीलिए मेरे प्यारे दोस्त तुम भी चीजों के मुंह से बाहर निकालो यह घर यहां से जड़िया दे इस माया का रूप है यह तुम्हारे मन को झगड़े हुए सब कुछ इजी और अच्छा लगने लगेगा तब तक हमने जैसा भी जीवन दिया वह जी लिया लेकिन अब भगवान की शरण में ध्यान लगाने का वक्त है इस बात को समझ लोगे तो आगे का सफर आसान हो जाएगा इतना कहकर पंडित जी अपने दोस्त से गले में ले और मिलते रहने का प्रॉमिस करके अपने घर के लिए निकल गए चलते हुए उन्होंने भगवान श्री कृष्ण से सत्यनारायण जी को शक्ति और पेशेंस देने की प्रार्थना की और इसी के साथ गीता यह एपिसोड यही खत्म होते आप सुन रहे थे 
अपि चेत्सुदुराचारो भजते मामनन्यभाक्।

साधुरेव स मन्तव्यः सम्यग्व्यवसितो हि सः।।9.30।।
 
अगर कोई दुराचारी-से-दुराचारी भी अनन्यभावसे मेरा भजन करता है, तो उसको साधु ही मानना चाहिये। कारण कि उसने निश्चय बहुत अच्छी तरह कर लिया है।

20 बृजभूषण जी पंडित जी को गीता ज्ञान देने के लिए जिस जगह से बुलावा आया है की कोई भी शरीफ इंसान वहां जाना तो दूर उसका नाम तक सुनकर कम जाता है जगह का नाम है जेल दोस्तों आप सुन रहे हैं बालकृष्ण शर्मा दामाद प्रभाकर जेल पुलिस में काम करते हैं जमीन उन्होंने कल पंडित जी को कॉल किया कि वह बहुत टाइम से अपने ससुर जी के खाने के बाद पंडित जी का गीता ज्ञान ब्लॉक पढ़ रहे हैं और उनसे बहुत इंप्रेस्ड है फिर चाहते हैं कि पंडित जी उनकी जेल में कैदियों को गीता ज्ञान के कुछ सेशंस थे उन्होंने बताया कि जेल में इस तरह की बहुत सारी एक्टिविटीज चलती रहती है स्पिरिचुअलिटी की तरफ है और उनमें कुछ सुधार हो पंडित जी ने उनके इनविटेशन को बहुत खुशी से एक्सेप्ट कर लिया अगर समिति का कुछ भी भला उनकी वजह से हो सकता है तो उन्हेंही मिलती है प्रभाकर और उन्होंने एक संडे का दिन तय किया कि इस दिन वीडियो को 1 घंटे का सेशन दे दो संडे के दिन सुबह 10:00 बजे पंडित जी प्रभाकर के साथ जेल पहुंच गए फिल्मों में देखा था झील वैसी डरावनी जगह भी नहीं थी अपने कामों में बिजी थे कोई फर्नीचर बनाने का काम कर रहा था तो कोई सब्जियों की क्यारी में पानी डाल रहा था कोई कपड़े सी रहा था तो कोई व्यक्ति पेपर से और सिल्प्स बना रहा था कुल मिलाकर सब अपने काम में लगे थे रिस्पेक्ट के साथ पंडित जी को एक हाल में ले गया जहां दीवारों पर बड़ी अच्छी-अच्छी बातें लिखी थी पंडित जी और प्रभाकर के बैठने के लिए वहां कुर्सी लगी हुई थी और कैदियों को बैठने के लिए फर्श पर दरी बिछाई गई थी अब धीरे-धीरे सभी हाल के अंदर आने लगी उन्हें देखकर कौन कह सकता था कि उन्होंने किसी को मारा होगा किसी को चोट पहुंचाई होगी चोरी की होगी ज्यादा किसी का पूरा किया हो इस वक्त बिलकुल आम इंसानों की तरह थे ना उनके चेहरे पर किसी तरह की क्वालिटी थी नहीं इसी बात की कोई पहचान सके कि उन्होंने कोई क्रीम भी किया होगा उनमें से कुछ चेहरे उदास ज़रूर थे टर्म से चुके थे और कुछ आंखों में बहुत सारा गीत था उन सब को देखकर पंडित जी को बहुत बुरा लग रहा था हमारे कर्म हमें कहां से कहां ले जाते हैं कई बार हमारे हालात इतने खराब हो जाते हैं कि सही गलत के बीच खबर कि हम समझ नहीं पाते और फिर वह हो जाता है लेकिन आगे के लिए कुछ बैटर किया जा सकता है पंडित जी ने अपने मन में सोचा प्यारे दोस्तों मेरा नाम बृजभूषण है लेकिन प्यार से सब लोग मुझे पंडित जी कहकर बुलाते हैं मैं कोई पूजा पाठ करने वाला बहुत प्यार से मुझे आपके बीच बुलाया तो मुझे रहा नहीं है मैं भी आपसे मिलना चाहता था मैं आपको किसी किस्म का कोई भेज देकर नहीं करूंगा जो शायद आपकी मदद करें अपने समय को अच्छे से काटने में और अपने आने वाले कल को अच्छा बना जब आप यहां से निकाल कर बाहर की दुनिया में जाएंगे तब वहां मुसलमान है सबसे पहले मैं चाहूंगा कि आप लोग मुझसे जो भी आपके मन में सवाल है की श्रीमद् भागवत गीता जो कि खुद भगवान की वाणी है उसमें ढूंढ कर आपके सवालों के जवाब ढूंढ कर लाने की पूरी कोशिश करूंगा इसे भी कुछ पूछना हो पूछ सकता है पूरे हॉल में सन्नाटा सज गया ऐसा नहीं था कि किसी के मन में सवाल नहीं थे कैसे को लेकर इतना गिल्ट था कि कॉन्फिडेंस खत्म हो गया था ताकि किसी के मन में सवाल नहीं थे बल्कि शायद ही कोई कॉन्फिडेंस खत्म हो गया था उसके चेहरे पर गहरी उदासी थी जैसे उसने जीवन की उम्मीद ही को दी थी 24 साल है 24 इयर्स मैं यहां चोरी के एग्जाम में चोरी इसके बारे में मैं खुद ही पुलिस स्टेशन में जाकर बात की बताया था कि मैं कि मैं आपसे जानना चाहता हूं कि जो गिल्ट मुझे दिन-रात खाए जा रहा है उसे मैं बाहर कैसे निकालूं मेरी बॉडी तो यहां सजा काटकर फ्री हो जाएगी लेकिन मेरा मन इस दिल से कैसे फ्री होगा यह सवाल सुनकर पंडित जी ने कहा राहुल थोड़ा सा अपने बारे में बताइए सर मैं एक मिडिल क्लास फैमिली से हूं मेरे मां-बाप बहुत पैसे वाले तो थे नहीं लेकिन समिति में उनकी इज्जत थी हम तीन भाई बहन हैं मेरी दोनों बहनें बहुत अच्छी हैं पढ़ाई में बहुत सिंसियर हैं और मां-बाप की बातें मानने वाली है शुरू में मैं भी ऐसा ही था लेकिन टीनएज में आते-आते गलत संगत में पड़ गया और वहीं से मेरी बर्बादी शुरू हो गई शुरू में मैं भी ऐसा ही था लेकिन तीन इस तक आते-आते गलत संगत में पड़ गया और वहीं से मेरी बर्बादी शुरू हो गई मुझे नशे की आदत पड़ गई मैं स्कूल बंद करने लगा घर से पैसे चुराकर उनसे खुद और अपने दोस्तों को नशा करा था अब स्कूल से मेरे घर कंप्लेंट्स आने लगी तो मेरे पैरंट्स ने मुझ पर शक्ति करना शुरू कर दिया मुझे और भी जिद्दी बना दियाइसे उन्हें परेशान करता उन्हें परेशान देखकर मुझे बड़ी अजीब सी खुशी मिलती मेरी बहनों ने भी मुझे समझने की बहुत कोशिश की लेकिन पता नहीं मुझ पर क्या हावी हो गया था जो मुझे किसी की भी बात समझ ही नहीं आती फिर मेरी बड़ी से शादी तय हो गई पूरी फैमिली इसकी तैयारी में बिजी थी मेरे फादर ने सालों से मेहनत करके सेविंग्स करके जो पैसे बचाएं थे उनसे सिस्टर के लिए ज्वेलरी वगैरा का रेजिमेंट किया था शादी से ठीक 1 दिन पहले मैंने अपनी नशे की लत के आगे हार मान ली और अपने ही घर में चोरी करके अपनी बहन के गाने भेजते हैं और अपने दोस्तों के साथ सारे पैसे नशे में उड़ा दिए जब इस बात का मेरे फादर को पता चला तो उन्हें हार्ट अटैक आ गया किसी तरह उनकी लेकिन बहन की शादी टूट गई क्योंकि ससुराल में मेरी इस हरकत का पता चल गया था मुझे सबका इतना अफसोस हुआ कि मैं खुद ही थाने जाकर अपनी चोरी की बात कबूल कर ली मुझे अरेस्ट कर लिया गया मेरे पिताजी मुझे इतना नाराज थे कि उन्होंने पुलिस को मुझे जेल में ही रखना को कहा मतलब उन्होंने अपनी रिपोर्ट वापस नहीं लीतरह में तब से जेल में हूं मुझे अपनी गलती का पूरा एहसास है मैं सुधरना भी चाहता हूं लेकिन मुझे लगता है अब मुझे कोई माफ नहीं करेगा अगर मैं यहां से बाहर गया तो मेरा फ्यूचर नहीं होगा मेरा गिल्ट मुझे अंदर ही खा जा रहा है मैं क्या करूं पंडित जी की मुझे इस दिल से छुटकारा मिले राहुल मैं तुम्हारी बात सुनी और समझ ली मुझे खुशी है कि तुम्हें अपनी गलती का एहसास हुआ और अब तुम सुधारना भी चाहते हो रही बात गिलट की तो जब तुम्हें अपनी गलती का पूरा एहसास है तब इसे अपने मन में मत पालो गीता में भगवान श्री कृष्ण कहते हैं कि दुराचारों बजाते मां बनने भाग साधु रेप समांतव्य सम्यक भविष्य तो हिस्सा यह श्लोक गीता के नवे अध्याय में इसका मतलब है कि यदि कोई बहुत ही दुराचारी व्यक्ति भी प्रेम वह भक्ति के अनन्य भाव से हमको बचता है तो वह साधु है क्योंकि उसने भली-भांति निश्चय कर लिया है कि परमपिता परमेश्वर कृष्ण के भजन के समान अब अन्यत्र कहीं कुछ नहीं है सिंपल वर्ड्स में कहूं तो जिस पल तुमने अपना जुर्म मान लिया और उसे न दोहराने का खुदसे वादाअब अन्यत्र कहीं कुछ नहीं है सिंपल वर्ड्स में कहूं तो जिस पल तुमने अपना जुर्म मान लिया और उसे न दोहराने का खुद से वादा कर लिया तुम उसके बोझ से मुक्त हो गए तुम्हारे शरीर को तो दुनिया के कानून के हिसाब से सजा मिल ही रही है लेकिन तुम अपने मन को अगर भगवान श्री कृष्ण को डेडिकेट कर दोगे तो वह शांत हो जाएगा उसे इस जुर्म की सजा से मुक्ति मिल जाएगी और तब तुम बाहर जाकर भी शांति से जी पाओगे तुमने जो भी अपराध किया जानबूझकर या अनजाने में उसकी सजा मिलना है लेकिन अगर तुम खुद को अभी संभाल लो आगे से यह न करने की धन को तो आने वाले जीवन और जनों को सुधार लोग मैं तुम्हारे अच्छे फ्यूचर की कामना करता हूं इसके बाद पंडित जी से और भी कैदियों ने सवाल पूछे जिनमें से कुछ के जवाब उन्होंने दिए कुछ के अगले सेशन के लिए रखती है इस तरह 1 घंटे का स्टेशन समाप्त करके