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पारिवारिक समस्याए


लगाव
जय श्री कृष्णा, जैसा कि मैंने पिछली वीडियो मे कहा था कि अब हम अपने जीवन यात्रा के दौरान आने वाली समस्याओं के निराकरण के बारे में चर्चा करेंगे। इसी सीरीज आज की वीडियो में हम चर्चा करेंगे कि अगर आपका जीवन साथी आप पर बहुत शक करता है किसी और से बात करने मना करता है इस समस्या का कैसे निराकरण कर सकते है। तो आज कि वीडियो पर चर्चा प्रारंभ करते है। 

साथियों मैने पिछली वीडियो मे मैंने अपने एक साथी कि समस्या के बारे में थोड़ा सा जिक्र किया था जिस कारण यह वीडियो सीरीज बनाने का विचार मेरे मन में आया था। आज उसी समस्या पर बात करेंगे। 

जैसा कि मैंने पिछली वीडियो मे बताया था कि हम साथी अध्यापक शाम को प्रतिदिन एक चाय कि दुकान पर एक साथ इकट्ठा होते है और अपने दिन भर कि गतिविधि को शेयर करते है। उसी समय मैंने देखा कि हमारा एक अध्यापक साथी बहुत परेशान है उसका सिर लटका हुआ है तो मैने उससे पूछा कि क्या हुआ गुरु जी क्यों इतना परेशान है। तब उन्होंने कहा, नही गुरु जी ऐसी कोई बात नही है। हम टीचर्स आपस में एक दूसरे को भी गुरु जी कह कर सम्मान देते है। मैने कहा कि आप मुझसे अपनी परेशानी शेयर कर सकते है दुख शेयर करने से आपका दुख कम हो जायेगा और मैं विश्वास दिलाता हूं कि मैं किसी से कुछ भी नही बताऊंगा । बाद में उन्ही की अनुमति से उनकी समस्या पर वीडियो बना रहा हूं। 

फिर उस साथी ने एक बार बोलना शुरू किया तो रुका नही न जाने कब से अपना दर्द अपनी दिल में रखे हुए था। उसने कहा गुरु जी आप जानते है कि मैने लव मैरिज की है। मेरी पत्नी बहुत ही सुंदर सुशील और समझदार है स्कूल में पढ़ाने के साथ साथ वह घर के सारे काम करती है मुझे कुछ भी करने नही देती। चाहे वह बच्चों को स्कूल भेजना हो या मेरे बूढी मां की सेवा करना हो सारा काम अकेले करती है। उसने अपने स्कूल और घर के काम को बहुत ही अच्छे तरह से मैनेज कर रखा है। उसके काम को देखते हुए मैने कई बार कहा कि कोई नौकरानी रख लो ताकि तुम्हे आसानी हो सके लेकिन वह हमेशा मना कर देती है। इस तरह से देखा जाए तो वह दुनिया कि बेस्ट मां , और बहू है लेकिन सिर्फ एक कमी से वह अच्छी पत्नी नही बन सकी। और वह है उसकी शक करने की आदत

क्या बताऊं गुरु जी पता नही क्यों मेरी पत्नी मुझ पर बहुत शक करती है हमने प्रेम विवाह किया है हम एक दूसरे के प्रति वफादार भी है यह बात वह भी जानती है फिर भी वह हर समय देखती रहती है कि मैं किससे बात कर रहा हु सोसल मीडिया पर मेरे कौन कौन से फ्रेंड है और तो और वह तो शाम को यहां आने के लिए भी मना करती है। उसे लगता है जैसे मैंने उसे अपने प्रेम के जाल में फंसा लिया है किसी और को भी अपने प्रेम जाल में फंसा सकता हु। 

आप तो जानते ही हो अपने विभाग में महिला और पुरुष बराबर की संख्या में है और काम ऐसा है जिसमे एक दूसरे की सपोर्ट की जरूरत पड़ ही जाती है। इसी लिए अक्सर किसी न किसी महिला की कॉल आ जाती है। और जब पत्नी को पता चलता है तो घर में भयंकर लड़ाई होती है। वह हमेशा मेरा मोबाइल चेक करती रहती है कि किसकी कॉल आई किसका मैसेज आया। शादी के शुरू में तो मैने यह सब अवॉइड किया सोचा शायद यह महिलाओं आदत होती है धीरे धीरे विश्वास बढ़ेगा और यह आदत सुधर जायेगी। लेकिन मैं गलत साबित हुआ वह आज पहले से ज्यादा शक करती है अब तो बच्चे भी बड़े हो गए है सब समझने लगे है। मुझे उनके सामने जाने में भी बहुत शर्म आती है कि वह लोग मेरे बारे में क्या सोचेंगे। इसीलिए अब बर्दास्त नही होता। शायद इसी शक की वजह से उसने उसने आज तक नौकरानी नही रखी ।

 आखिर मेरी वाइफ भी तो इतनी सुंदर है अपने ही विभाग में है वह भी तो कई लोगो से बात करती है लेकिन मैने तो कभी शक नही किया। यहां तक कि मैने कभी उसका मोबाइल भी चेक नही करता। इतना कहते ही साथी की आंखों में आंसू आ गए। 

मैने उनके कंधे पर हाथ रखते हुए कहा बस इतनी सी बात गुरु जी, इसी के लिए आप इतना परेशान है। मेरे इतना कहते ही वह मेरी तरफ आश्चर्य से देखने लगे।

मैने आगे कहा कि गुरु जी आपको इन सब में भाभी जी का शक दिखा लेकिन इन सब के पीछे उसका सच्चा प्रेम नही दिखाई दिया। प्रेम आप भी करते है लेकिन आप अपनी पत्नी पर शक नहीं कर पाते क्योंकि वह हमेशा आपके घर में रहती है घर में हमेशा किसी न किसी की निगरानी में रहती है। और तो उनका स्कूल भी तो घर के पास में ही है। लेकिन आप हमेशा बाहर रहते है आपका स्कूल भी दूर है तो जाहिर सी बात है इसीलिए आप की पत्नी आपकी चिंता करती है। और जब भी मौका मिलता है कॉल करके हाल चाल ले लेती है। वैसे भी गुरु जी अगर 40 की उमर के बाद भी आपकी वाइफ आप पर शक कर रही है यह तो आपके लिए अच्छी बात है। उनकी नजर में आज भी आप पहले जैसे स्मार्ट और हैंडसम है मैने मजाकिया अंदाज में कहा। 

मैने आगे कहा कि हर व्यक्ति अपने लाइफ में कुछ लोगो को बहुत पसंद करता है इसी कारण उससे उम्मीदें लगा लेता है, आपकी पत्नी भी आपको पसंद करती है आपको खोने से डरती है इसीलिए उसने आपसे ढेर सारी उम्मीदें लगाई है। व्यक्ति को चाहिए कि वह किसी से उम्मीदें न लगाए। जैसा कि भगवद गीता में लिखा है

ज्ञेयः स नित्यसंन्यासी यो न द्वेष्टि न काङ्क्षति।

निर्द्वन्द्वो हि महाबाहो सुखं बन्धात्प्रमुच्यते।।
 

 अर्थात उस कर्मयोगी को सदा संन्यासी ही समझना चाहिये कि जो न तो द्वेष करता है और न किसी वस्तु की आकांक्षा ही करता है। अर्थात् जो सुख दुःख और उनके साधनों में उक्त प्रकार से रागद्वेषरहित हो गया है वह कर्म में बंधता हुआ भी सदा संन्यासी ही है। 

जो व्यक्ति किसी से आकांक्षा नहीं रखता वही सन्यासी है वही सुखी है और किसी से आकांक्षा रखना दुख ही देता है। लेकिन इस बात का क्या अर्थ निकाला जाए कि लोग एक दूसरे से लगाव समाप्त कर दे उनसे उम्मीद न लगाए। वास्तविक जीवन में यह संभव नही है मनुष्य को सामाजिक प्राणी माना जाता है जिस कारण हमे लगाव होते ही है जैसा मां का अपने बच्चो से , बच्चो का अपने माता पिता से और पत्नी का अपने पति से। और जब लगाव होता है तो स्वाभाविक है कि उम्मीदें होंगी। और जब कोई हमारे उम्मीद के अनुरूप कार्य नही करता है तो हमे दुख होता है हम तो भगवान से भी उम्मीदें लगा लेते है।

श्रीमद भगवद्गीता हमारे मन से इस गलत फहमी को दूर करती है हमे सिखाती है कि हमे किसी से भी उम्मीदें नही लगानी चाहिए, बिना उम्मीद लगाए ही रिश्ते बनाने चाहिए लेकिन इसके लिए एक संन्यासी जैसा कठोर हृदय होना चाहिए जो कि गीता के पाठ से ही संभव है।

 आप अपनी पत्नी को भी भगवद गीता का पाठ करने को कहे जिससे उनके मन में आपके प्रति जो उम्मीदें है वह खतम हो सके और वह आपके जीवन में कम से कम हस्तक्षेप करे। तब तक आप अपनी पत्नी के उम्मीद के अनुरूप कार्य करे अगर वह किसी कार्य को करने को मना करे तो कुछ दिनों के लिए उस कार्य को करना बंद कर दे। लेकिन बीच बीच में अपनी पत्नी को अहसास कराते रहे कि यह सही नहीं है हमे किसी से इतना भी लगाव नहीं लगाना चाहिए कि उसके जीवन में इतना हस्तक्षेप करने लगे कि उसकी अपनी लाइफ बंधन जैसी लगने लगे।

इतना सुनते ही साथी बहुत खुश हुए उन्होंने बताया कि वह अक्सर भगवद गीता का पाठ करते है और न जाने कितनी बार इस श्लोक को पढ़ा होगा लेकिन आज पहली बार इस श्लोक का सही अर्थ समझ में है। फिर उन्होंने ने मेरा धन्यवाद किया और कभी घर आने के लिए कहा। मैने कहा अगर मैं घर गया तो आप भी अपनी पत्नी का मोबाइल चेक करने लगेंगे। मैने मजाकिया अंदाज में कहा। 

साथियों इसी के साथ आज की चर्चा यही समाप्त होती है। अगर आपको लगता है कि इस समस्या को कोई और इससे बेहतर उपाय हो सकता है तो कमेंट के माध्यम से अवश्य बताएं। आपका कॉमेंट किसी का जीवन बदल सकता है। वीडियो अच्छी लगी हो तो वीडियो लाईक करे। वीडियो को शेयर करे ताकि यह वीडियो किसी जरूरत मंद के काम आ सके। आगे भी आपको इसी तरह की वीडियो मिलेगी इसीलिए अपनी समस्याओं से मुक्ति पाने के लिए हमारे चैनल को subscribe करके हमारे साथ जुड़ जाइए। आज की चर्चा में सामिल होने के लिए आप सभी का धन्यवाद, राधे राधे 


अहंकार
जय श्री कृष्णा, आशा है आप सभी कुशल मंगल से होंगे आज की वीडियो में हम चर्चा करेंगे कि जब आपको महसूस होने लगे कि आपका साथी अहकारी और घमंडी है बार बार आपके स्वाभिमान पर ठेस पहुंचा रहा है तब भगवद गीता के अनुसार आपको क्या करना चाहिए। तो आइए आज की वीडियो पर चर्चा प्रारंभ करते है।

बात जून माह की है उस समय विद्यालय में गर्मियों की छुट्टियां चल रही थी गुरु जी अपनी पत्नी की साथ गांव जा रहे थे। ट्रेन में उनके सामने वाली सीट पर एक 35 साल का युवक बैठा था। युवक का नाम सुशील था। सफर के दौरान थोड़ा बहुत परिचय हुआ तो पता चला कि वह भी सरकारी स्कूल में अध्यापक है। गुरु जी ने भी अपने बारे में बताया कि वह भी सरकारी स्कूल में अध्यापक है। जब दो लोग एक ही विभाग के ही हो तो स्वाभाविक रूप से लगाव बढ़ जाता है। 

ऐसा ही कुछ आज भी हुआ बात करते करते कब रात के 11 बज गए पता ही नही चला। बात चीत के दौरान एक बार प्यार और दोस्ती पर बात चलने लगी। सुशील जी अपनी भावनाओं को दबा नहीं पाए और गुरु जी से पूछा कि क्या बताऊं सर मैं बहुत असमंजस में हूं। इलाहाबाद में जब मैं प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने गया था तब वहा मेरी मुलाकात एक लड़की से हुई उस लड़की का नाम पूनम था । पूनम पढ़ने में बहुत होशियार थी हमारी तैयारी का क्षेत्र एक ही था इस कारण हम दोनो में अलग सा लगाव हो गया। हम दोनों इलाहाबाद में करीब 2 साल एक साथ रहे। शुरू में हम लोग बहुत सारा समय एक साथ गुजारते थे मोबाइल पर बात करते करते कब रात के 12 बज जाया करते थे पता ही नही चलता था। इसी बीच तैयारी करते करते मेरा सिलेक्शन प्राइमरी स्कूल में अध्यापक के पद पर हुआ और कुछ समय बाद पूनम का सलेक्शन माध्यमिक स्कूल में अध्यापक के पद पर दूसरे राज्य में हो गया। अर्थात् पूनम का सलेक्शन मेरे से ऊंचे पद पर हुआ इस तरह हम दोनो का सपना पूरा हुआ और हम दोनो अलग अलग राज्य में नौकरी करने लगे।

नौकरी मिलने के कुछ समय तक तो सब कुछ सही चलता रहा हम लोग मोबाइल के माध्यम से हमेशा एक दूसरे के टच में रहते थे और छुट्टियों के दौरान कभी कभी मिल भी लेते थे। लेकिन समय के साथ धीरे धीरे पूनम busy होने लगी। जहा पहले दिन भर बात होती थी अब दिन में कभी कभार ऑनलाइन मिल जाए तो बात हो जाती थी। 

उसके बाद सबसे बुरा दौर आया जब सिर्फ मैसेज के माध्यम से गुड मॉर्निंग और गुड नाईट के नाम पर कुछ बात होने लगी। जब कभी ऑनलाइन मिल जाए तो तो वह किसी न किसी बात पर हमारी लड़ाई होने लगी अर्थात बातें काम लड़ाई ज्यादा होने लगी। मुझे ब्लॉक भी करने लगी। जिससे मेरा स्वाभिमान टूटने लगा। कुछ समय तक उसका अभिमान और मुझे नीचा दिखाने का सिलसिला चलता ही रहा। कई बार तो मेरा स्वाभिमान कहता था कि सब कुछ खत्म कर दो। लेकिन मैं प्यार को लेकर मैं बहुत गंभीर था इसीलिए मैं स्वाभिमान को दर किनार कर फिर बात करना सुरु कर देता था।

लेकिन लास्ट टाइम जब हमारी लड़ाई हुई तो उसने मेरा स्वाभिमान बिल्कुल ही तोड़ दिया उसने एक तरह से मुझे गाली दी इस बार मैं अपने आप को समझा भी नही पाया और जब पूनम ने मुझे ब्लॉक किया तो मैने भी उसे ब्लॉक कर दिया। गुरु जी क्या मैंने सही किया। बात करते करतें सुशील की आंखो में आंसू आ गए। 

फिर गुरु जी ने कहा कि सुशील जी प्यार, परस्पर सम्मान और त्याग का नाम है लेकिन जब प्यार सिर्फ एक तरफ से हो तो प्यार में सम्मान नहीं रहता अर्थात इस हालत में प्यार ही नहीं रहता एक बोझ बन जाता है।आपकी बातों से लगता है पूनम जी में अपने पद और पैसे को लेकर अहंकार आ गया है अब वो अपने बराबर के लोगो के साथ रिश्ता रखना चाहती है। क्योंकि पद और पैसे के मामले में आप उनसे कम तर है इसीलिए वह किसी न किसी बहाने से रिश्ते को खतम करना चाहती है इसीलिए बात बात पर ऐसी बातें बोल देते है जिससे आपके स्वाभिमान में ठेस लगे ऐसे स्वभाव के बारे में भगवद गीता में लिखा है

दम्भो दर्पोऽभिमानश्च क्रोधः पारुष्यमेव च।

अज्ञानं चाभिजातस्य पार्थ सम्पदमासुरीम्।।16.4।।
दम्भः धर्मध्वजित्वम्। दर्पः विद्याधनस्वजनादिनिमित्तः उत्सेकः। अतिमानः पूर्वोक्तः। क्रोधश्च। पारुष्यमेव च परुषवचनम् -- यथा काणम् चक्षुष्मान् विरूपम् रूपवान् हीनाभिजनम् उत्तमाभिजनः इत्यादि। अज्ञानं च अविवेकज्ञानं 

अर्थात भगवान कहते है हे पार्थ ! दम्भ करना, घमण्ड करना, अभिमान करना, क्रोध करना, कठोर वाणी बोलना और अविवेक व्यवहार -- ये सभी आसुरीसम्पदाको प्राप्त हुए मनुष्यके लक्षण हैं।

श्लोक के अनुसार अगर कोई आपके साथ व्यवहार करते समय दंभ दिखाता है अभिमान करता है बात बात पर क्रोध करता है आपसे कठोर वाणी में बात करता है। ये सब आसुरी स्वभाव के लक्षण है।


सुशील जी मुझे लगता है आप अकेले रिश्ते को ढो रहे है पूनम जी आपसे रिश्ता रखना नही चाहती इसीलिए आपके साथ ऐसा व्यवहार कर रही है आपको बात बात पर नीचा दिखा रही है मेरे अनुसार ऐसे रिश्ते को खत्म कर देना चाहिए। क्योंकि अब रिश्ते के नाम पर सिर्फ आपका एक तरफा प्यार है। 

इस तरह से आपने ब्लॉक करके सही ही किया अब आप अनब्लॉक न कीजियेगा अगर पूनम जी में अहंकार नहीं होगा और वह आपके साथ रिश्ते को आगे बढ़ाना चाहती होंगी तो किसी न किसी माध्यम से आप से अवश्य संपर्क करेंगी। जब वह आपसे संपर्क करे तभी आप उनसे रिश्ते को आगे बढ़ाएगा। 

गुरु जी के जवाब से सुशील जी बहुत संतुष्ट दिखे फिर कहा गुरु जी अब हम लोग सोते है बहुत रात हो गई। गुरु जी ने आंखें बंद की लेकिन उन्हे पता है था कि सुशील जी को नींद नही आयेगी क्योंकि सच्चा प्यार को भूलना इतना आसान नहीं होता।