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भगवद गीता करेंट

पंडित जी ने गीता ज्ञान ब्लॉक जब से लिखना शुरू किया मैं बहुत सारे बदलाव आए हैं हर बदलाव अच्छा हो यह जरूरी है लेकिन उनके साथ इस मामले में लगभग सारे बदलाव अच्छे ही होंगे वैसे तो उन्हें बचपन से ही गीता में गहरी दिलचस्पी थी लेकिन जब से ब्लॉक पर लिखना शुरू किया तब से असल जिंदगी में इसके प्रयोग को लेकर उन्हें बहुत कुछ सीखने को मिला है जो कि आप और हम पर यहां सुन रहे हैंतब अपना ऑपरेशन खुद नहीं कर पता नै अपने बाल खुद नहीं कट पता और इससे भी सेटिंग एक और कहावत के घर की मुर्गी दाल बराबर होती है लगभग यही हाल पंडित जी के घर का है उनकी पत्नी के अलावा उनके घर में दो बेटे हैं जो अच्छे पढ़े लिखे समझदार और अच्छी नौकरियों पर है लेकिन जब बात पिता के अनुभव सुनने और उनकी सलाह मानने पर आती है कभी नहीं बेटों को अपने पिता की सोच पुराने जमाने की लगने लगती है समय ऐसा आया जब पंडित जी को लगने लगा कि उनके बच्चों को न सिर्फ गीता के ज्ञान जन बल्कि अपनी जिंदगी में उतरने की भी सख्त जरूरत है 5 साल 2020 की है वही साल जब कोरोना महामारी ने पूरी दुनिया को अपने घटक पंजों में जाकर लिया पूरी दुनिया इसके ढंग से कर रही थी हर देश हर व्यक्ति ऐसा भयानक मंजर शादी में पहली बार देखा था बीमार थे उन्हें बीमारी ने तबाह किया जो बीमारी से बच भी गए उनके रोजगार खतरे में आ गए लोगों को घरों में सीमेंट कर काम करना पड़ा और लगभग हर इंसान का मानसिक स्वास्थ्य किसी न किसी हद तक प्रभावित हुआ उनकी पत्नी हर वक्त परेशान रहती कि कहीं उनके परिवार में किसी कोई बीमारी ना हो जाए बेचारी हमेशा होताअपने दोनों बच्चों की चिंता में रहती है जो दूर दूसरे शहरों में लॉकडाउन के कारण फंसे हुए किसी तरह कोशिश करके पंडित जी का छोटा बेटा अभिनव अपने शहर वापस आते हैं उसकी ऑफिस में घर से काम करने की सुविधा दी रखी थी इस बात से पंडित जी की पत्नी को थोड़ा सुकून तो मिला कि चलो कम से कम एक बेटा तो आंखों के सामने उसकी मां ने ऐसे उठाया मानो बेटा ना हो कोई वीआईपी घर बैठे खुद को और अपने परिवार को संभालने की सलाह मांगता तो कोई दिमाग की शांति के उपाय तलाशता हुआ उनके बॉक्स में दस्तक देता कुल मिलाकर हर तरफ बस एक अजीब उदास आई का पंडित जी ने नोट किया कि उनका बेटा थोड़ा बदला सा लग रहा है मां के लाड का जवाब कभी जलाकर तो कभी चिड़चिड़ा स्वर में देता है उसे 5 साल के बच्चे की तरह व्यवहार मत करो मां से कहकर अपने कमरे में मंगवा दे इधर पिछले कुछ दिनों से उसके फोन पर चिल्लाने की आवाज में बाहर तक आने लगी थी शुरू में पंडित जी ने सोचा कि काम का तालाब होगा वैसे ही आजकल सब का समय खराब ही चल रहा है लेकिन हर बीते दिन के साथ उनके बेटे का व्यवहार और ज्यादा चिड़चिड़ा और कुछ पूछो तोवह चिल्लाने पंडित जी ने कई बार बेटे से बात करने की उसे समझाने की कोशिश की लेकिन वह भी बेकार हो गई एक दिन तो हद ही हो गईये तो बेटे के कमरे से फोन पर चिल्लाने की और फिर कमरे की चीज पटने की आवाज आने लगी पंडित जी और उनकी पत्नी ने दरवाजा खटखटाया लेकिन बेटे ने उन्हें चिल्ला कर उसके मामलों से दूर रहने को कहा बड़े बेटे से फोन पर यह परेशानी बाती तो उसने भी यही कहा कि आजकल हर कोई परेशान है नौकरियां खतरे में है खुद को सबसे बेहतर साबित करने का ऐसा दबाव है कि लोग इसे संभाल नहीं पा रहे उसे थोड़ा समय दीजिए वह खुद ही ठीक हो जाएगा एक रात जब पंडित जी पानी पीने की क्षमता गए तो उन्होंने अभिनव के कमरे की लाइट चली गई तो उनका लाडला बेटा घुटनों में सर्दी हो रहा है उनसे बर्दाश्त नहीं हुआ और वह तुरंत अंदर चले गए बेटे के सर पर हाथ पैर कर पूछा कि क्या हुआ अपने पिता के प्यार से छूने से अभिनव को जाने क्या महसूस हुआ पंडित जी ने उसे सीने से लगा लिया बेटे का यह हाल देखकर उनका कलेजा थोड़ी देर में सामान्य होकर अभिनव बोला उसने सब खराब कर दिया पापा पता नहीं मुझे क्या हो गया है मुझसे बर्दाश्त नहीं होता मुझे उस के मारे भूल जाता हूं कि हम सब इंसान है सब बुरे दौर से गुजर रहे हैं ऐसे में अगर किसी ने जाने अनजाने गलतियां कर दी थी तो उसे नजरअंदाज कर देना चाहिए आप ही बताओ पापा मैं क्या करूं पंडित जी ने बड़े प्यार से अपने बेटे के सर पर हाथ फेरते हुए कहाना और मानना चाहो तो मैं तुम्हें वह बताता हूं जो भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन से कहा था और जिस मान्य भर से तुम्हारी यह समस्या अपने आप दूर हो जाएगी तो सुनोगे आप बताओ मैं पूरी कोशिश करूंगा कि आपकी हर बात को समझो और उसे अमल मेल अभिनव पंडित जी ने श्रीमद् भागवत गीता का यह श्लोक

क्रोधाद्भवति संमोहः संमोहात्स्मृतिविभ्रमः।

स्मृतिभ्रंशाद् बुद्धिनाशो बुद्धिनाशात्प्रणश्यति।।2.63।।
 

।।2.62 -- 2.63।। विषयोंका चिन्तन करनेवाले मनुष्यकी उन विषयोंमें आसक्ति पैदा हो जाती है। आसक्तिसे कामना पैदा होती है। कामनासे क्रोध पैदा होता है। क्रोध होनेपर सम्मोह (मूढ़भाव) हो जाता है। सम्मोहसे स्मृति भ्रष्ट हो जाती है। स्मृति भ्रष्ट होनेपर बुद्धिका नाश हो जाता है। बुद्धिका नाश होनेपर मनुष्यका पतन हो जाता है।
 

 अभिनव को सुनाया क्रोध भगवती सम्मोहक सम्मोहन स्मृति विवाद हो ओटी वां श्लोक इसका अर्थ है क्रोध से मनुष्य की माटी यानी बुद्धि मारी जाती है मतलब वह मूड हो जाती है इससे याददाश्त नष्ट हो जाती है याददाश्त नष्ट हो जाने से मनुष्य की बुद्धि नष्ट हो जाती है और बुद्धि का नाश हो जाने पर मनुष्य खुद अपना ही नाश कर बैठता है इस लोक में भगवान श्री कृष्ण अर्जुन को यह समझ रहे हैं कोई भी युद्ध से आपको अपनी इंद्रियों को भी अपने नियंत्रण में रखना सीखना वरना आपके हारने के लिए बाहरी दुश्मनों की कोई जरूरत नहीं पड़ेगी आप खुद के ही दुश्मन बन जाए क्योंकि गुस्सा आते ही हम सबसे पहले अच्छे बुरे का विवेक खो देते हैं सामने कौन है उसके सम्मान की परवाह के बिना बातें बोलने लग जाते हैं या कोई ऐसा कदम उठा लेते हैं जिससे हमें पछतावे की सिवाय कुछ और नहीं मिलताक्रोध बड़े से बड़े वीरों के बाल को भी एक पल में समाप्त कर देता है बड़े-बड़े ज्ञानियों के ज्ञान को खत्म कर देता है और जीवन भर के कमाई पुणे और सम्मान को एक पल में चकनाचूर कर देता है इसीलिए सबसे पहले अपने क्रोध को जितना की लड़ाइयां जीत पाओगे लेकिन मैं कैसे करूं पापा हां हो सकता है छूट है गलत काम तो करता है अपने दिमाग को यह मैसेज देखकर चाहे कुछ भी हो जाए सिचुएशन हो अपना अपन नहीं होना है दूसरों की जगह खुद को रखकर देखने की आदत बनानी है और अगर किसी से कुछ ऐसा हो भी जाए जो गलत हो हमारा नुकसान हुआ हो तब भी पूरी कोशिश करनी है कि उसे के बजाय शांति और धैर्य से अगले को इसका एहसास कराया जाए पिता की प्यार भरी जीवन और गीता ज्ञान की ठंडी बुखार से अभिनव गण एकदम शांत हो गया था वह जानता था कि एक दिन में खुद को नहीं बदल पाएगा के श्लोक और उसके अर्थ के अनुसार अगर हर पूरी तरह बदलने और एक बेहतर इंसान बनने में कामयाब हो जाएगा बदले नजरिया की पहली शुरुआत में अभिनव से माफी दिल उन्हें कितनी बार दुखाया था और मन से अपने मन को पूरी तरह कंट्रोल करने का प्रॉमिस किया ताकि वह किसी और का दिल न दुखा है पंडित जी ने एक बार फिर भगवान श्री कृष्णा और श्रीमद् भागवत गीता को मन ही मां प्रणाम किया और हर बार हीरा दिखाने का आभार जाता है और आप भी गीता ज्ञान सुन रहे हैं