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जीवन में दुख ही दुख क्यों होते है

जय श्री कृष्णा, साथियों, आशा है आप सभी साथी कुशल मंगल से होंगे।  हम काल्पनिक कहानियों की सीरीज के माध्यम से भगवद गीता का मानव जीवन में क्या उपयोग है यह  समझाने का प्रयास कर रहे है। इससे कही न कही आप खुद को भगवद गीता से जोड़ पाएंगे और भगवद गीता के मानव जीवन में उपयोग को समझ पाएंगे। तो आइए आज की  कहानी सुरु करते है। 


आज की कहानी है चंदन की,

आज चंदन की उम्र लगभग 19 वर्ष है और वह एक अच्छी कंपनी में काम कर रहा है। 18 वर्ष पहले जब चंदन 1 वर्ष का था उसके माता पिता अपने गांव से शहर आए थे। कुछ समय बाद चंदन के पिता जी ने एक फैक्ट्री में काम करना शुरू कर दिया और फैक्ट्री के पास में ही एक किराए का कमरा लेकर रहने लगे। गुरु जी का घर, चंदन के पिता का घर से ज्यादा दूर नहीं था इसीलिए गुरुजी चंदन के परिवार को अच्छी तरह जानते है। चंदन के पिता जी की एक बहुत गंदी आदत थी  कि वह नशा करने के बाद अपनी पत्नी कमला को बहुत बुरी तरह मारते पीटते थे। लेकिन कमला चंदन के लिए सब बर्दास्त करती थी। समाज के लोगो ने चंदन के पिता को समझाया लेकिन सब कुछ बेकार।

 कुछ दिनों बाद एक बहुत बुरी खबर आई कि नशे के हालत में चंदन के पिता जी की एक रोड ऐक्सिडेंट में मृत्यु हो गई। कमला का रो रो कर बहुत बुरा हाल हो गया था। उसे पति के जाने का दुख तो था लेकिन साथ ही साथ उसे यह समझ में नहीं आ रहा था कि अब उसका घर कैसे चलेगा और चंदन की पढ़ाई का क्या होगा। समाज के लोगो ने जब कमला का दर्द समझा तो फैक्ट्री के मालिक पर दबाव बनाया । फैक्ट्री के मालिक को कमला पर दया आ गई और कमला को उसी  फैक्ट्री में नौकरी दे दी। सैलरी पति से कम थी लेकिन गुजर बसर के लिए पर्याप्त थी। 

अब कमला जो कुछ कमाती थी उससे अपना घर चलाती थी और चंदन को पढ़ने के लिए स्कूल भेजती थी। समय के साथ  चंदन की पढ़ाई भी पूरी हुई फिर उसकी शहर के बैंक में नौकरी भी लग गई नौकरी के कारण उसे ट्रेनिंग करने दिल्ली जाना पड़ा। करीब 6 महीने बाद उसने एक दिन मां को फोन किया कि अब उसकी ट्रेनिंग पूरी हो गई है । उसने कुछ पैसे बचाएं है जिससे वह अपनी मां का शहर के अच्छे अस्पताल में उसका इलाज करवाएगा। 

अब जैसे लगा कि कमला के जीवन में सब कुछ अच्छा होने वाला है उसके सब दुख दूर हो जाएंगे।  वैसे ही एक बहुत बुरी खबर आई। बीमारी की वजह से कमला की अचानक मृत्यु हो गई। चंदन का रो रो कर बहुत बुरा हाल था गुरु जी ने  जैसे तैसे करके उससे कमला की  अंतिम क्रिया की रस्म को पूरी किया। फिर सब लोग स्नान करने के लिए अपने अपने घर चले गए। 

शाम को गुरु जी चंदन से मिलने उसके घर गए तो गुरु जी को देख कर चंदन फफक फफक कर रोने लगा जैसे छोटा बच्चा रोता है। फिर गुरु जी ने उसे शांत किया तो वह बोला कि यह भगवान का कैसा न्याय है मेरी मां ने कभी किसी के साथ बुरा नही किया फिर क्यों मेरी मां के जीवन में हमेशा दुख ही दुख लिखा था। चंदन का दुख देख कर गुरु जी चंदन को संभाला और कहा बेटा भगवान  श्री कृष्ण ने भगवद गीता में कहा है

न जायते म्रियते वा कदाचि

न्नायं भूत्वा भविता वा न भूयः।

अजो नित्यः शाश्वतोऽयं पुराणो

न हन्यते हन्यमाने शरीरे।।2.20।।

अर्थात यह शरीर न कभी जन्मता है और न कभी मरता है तथा यह उत्पन्न होकर फिर होने वाला नहीं है। यह जन्मरहित, नित्य-निरन्तर रहने वाला, शाश्वत और पुराण (अनादि) है। शरीर के मारे जाने पर भी यह नहीं मारा जाता।

इस श्लोक के अनुसार तुम्हे अपनी मां के मरने का शोक नहीं करना चाहिए क्योंकि उनका यह शरीर ही नष्ट हुआ है उनकी पवित्र आत्मा तो अजर अमर है आज उन्हे इस योनि से मुक्ति मिली है। क्योंकि उन्हें दूसरी योनि में जन्म लेना है। तुम्हारा और उनका साथ सिर्फ यही तक था 

चंदन  अब तुम्हारे प्रश्न के बात करते  है भगवद गीता में भगवान श्री कृष्ण ने बताया है कि मनुष्य के कई जन्म होते है। उन जन्मों में किए गए कर्मों के अनुसार हमे अगले जन्म में सुख या दुख मिलता है। ये एक बैंक अकाउंट जैसे होता है। कमला दीदी के दुख उनके पिछले जन्मों के कर्मों के परिणाम रहा होगा। कमला दीदी का इस जन्म का कर्म बहुत अच्छा था संभवत उन्हें अपने अगले जन्म में सुख और शांति प्राप्त होगा । इसीलिए तुम व्यर्थ की चिंता न करो।

चंदन मुझे पता है कि तुम्हारी मां ने तुम्हारे लिए बहुत दुख बर्दास्त किए थे इसीलिए तुम अपनी मां का बहुत सम्मान करते थे उनके लिए बहुत कुछ करना चाहते थे। उन्होंने मुझे बताया था कि तुम उनका इलाज शहर के एक अच्छे अस्पताल में करना चाहते थे। तो तुम अपनी इच्छा को समाज के गरीब और लाचार लोगो का दुख दूर करके पूरी कर सकते हो।  इससे तुम्हे संतुष्टि भी मिलेगी और कही न कही तुम्हारी मां की आत्मा को शांति मिलेगी। 

इतना कहकर गुरुजी वहा से चल दिए कुछ समय बाद गुरु जी अपना रेगुलर चेकअप करवाने अस्पताल गए तो देखा कि वहा चंदन कुछ गरीब बूढ़ी महिलाओं का इलाज करवा रहा है। शायद इन बूढ़ी महिलाओं में चंदन को उसकी मां दिख रही होगी। यह सोच कर गुरु जी चंदन से बिना मिले डॉक्टर के केबिन में चले गए।

साथियों इसी के साथ आज की कहानी यही समाप्त होती है कहानी कैसी लगी कॉमेंट के माध्यम से जरूर बताइएगा। वीडियो को शेयर कर भगवद  गीता के प्रचार प्रसार में भागीदार बनिए। धन्यवाद।